इस हफ्ते पेश हो सकता है संसद में वक्फ बोर्ड बिल , क्या होंगे बदलाव , विपक्ष कर रहा है विरोध , जानें पूरी बात
नई दिल्ली : संसद में इस हफ्ते सरकार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल ला सकती है। इसे पहले राज्यसभा में पेश करने किया जाएगा। इस बिल को लेकर देश में सियासी गर्मी बढ़ गई है। बीजेपी इस बिल को पास कराने की कोशिश में लगी हुई है। वहीं, विपक्ष पूरी जोर-शोर से इसका विरोध कर रहा है।
विपक्ष का हमला
सोमवार को विपक्ष के कई नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगते हुए कहा कि सरकार वक्फ ऐक्ट में संशोधन के लिए बिल पास करा कर समाज में खाईं पैदा करना चाहती है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार इसे पहले राज्यसभा में पेश करने कि तैयारी में है। हालांकि राज्यसभा में नंबर भले ही बीजेपी के पक्ष में नहीं है , लेकिन सरकार को लगता है की एनडीए के घटक दलों की मदद से इस बिल को पास कराया जा सकता है।
क्यों राज्यसभा में पहले पेश करना चाह रही सरकार ?
भाजपा इसे राज्यसभा में पेश करना चाहती है क्योंकि यह एक स्थायी सदन है, जो कभी भंग नहीं होती है। राज्यसभा का स्थायी स्वरूप इस बिल को कभी निष्प्रभावी नहीं होने देता। संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय के लिए अधिक पारदर्शी और लाभकारी बनाना है।
वक्फ के फैसलों को दी जा सकेगी कानूनी चुनौती
वर्तमान कानून में वक्फ बोर्ड के निर्णयों को न्यायिक समीक्षा से बाहर रखा गया है। नए संशोधन के तहत, वक्फ बोर्ड के फैसलों को कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। यह कदम मुस्लिम समाज के गरीबों, महिलाओं और बुद्धिजीवियों की मांग पर उठाया गया है, जिनका कहना है कि मौजूदा कानून में बदलाव की जरूरत है।
वक्फ कानून संशोधन बिल को लेकर विपक्ष का विरोध
वक्फ कानून में संशोधन से संबंधित बिल को पास कराना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। विपक्षी दलों ने इसका खुलकर विरोध किया है। JD(U) और TDP जैसे घटक दलों की समर्थन क्षमता पर भी सवाल उठे हैं। आईयूएमएल के सांसद ईटी मोहम्मद बशीर ने इसे गलत इरादे से लाया गया कदम बताते हुए इसके खिलाफ पुरजोर विरोध की बात की है। शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार बजट पर चर्चा से बचने के लिए वक्फ मुद्दे को उठाकर ध्यान भटकाना चाहती है।
समाजवादी पार्टी वक्फ ऐक्ट में संशोधन के खिलाफ: अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी संसद में वक्फ ऐक्ट में संशोधन से संबंधित बिल का विरोध करेगी। यह बिल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संसद के आगामी सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को भड़काने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “हम लोग इसके खिलाफ रहेंगे। भाजपा के पास हिंदू-मुस्लिम करने या मुसलमानों के अधिकारों को छीनने के अलावा कोई काम नहीं है।”अखिलेश यादव ने कहा कि मोदी सरकार ने एंग्लो इंडियंस के अधिकार भी छीन लिए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले लोकसभा और विधानसभा में एंग्लो इंडियंस की एक सीट होती थी, जो अब फर्जी जनगणना के माध्यम से हटा दी गई है।
घट जाएंगी वक्फ बोर्ड की शक्तियां
केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ ऐक्ट में संशोधन का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना है, जिससे कि मुस्लिम समुदाय को लाभ मिल सके। हालांकि, यदि यह विधेयक पारित होता है, तो वक्फ बोर्ड की शक्तियां घट सकती हैं और इसके निर्णयों को न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।अखिलेश यादव के विरोध और उनकी पार्टी की स्थिति से स्पष्ट है कि वक्फ ऐक्ट में संशोधन पर संसद में तीखी बहस और विरोध की संभावना है .
यूपी के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने किया समर्थन
यूपी के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन से संबंधित बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “इस विधेयक की जरूरत है। क्योंकि वक्फ बोर्ड अपने नियमों और विनियमों के अनुसार काम करता है, और सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। इसलिए सरकार इसे सुसंगत बनाने के लिए यह विधेयक ला रही है।”ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आरोप लगाया कि वे केवल गुमराह करने और मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए बिल का विरोध कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह संशोधन बिल वक्फ बोर्ड की भूमिका को स्पष्ट और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से लाया गया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी की टिप्पणी
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन पर अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा, “अभी तक मैंने मसौदा या संशोधन विधेयक को नहीं देखा है, लेकिन मुझे यह जानकारी है कि वक्फ विधेयक में संशोधन किया जाएगा। यह एक लंबे समय से चली आ रही आवश्यकता है।” हिमंता बिस्वा सरमा ने आगे कहा, “मुझे लगता है कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मुस्लिम आंदोलन को न्याय प्रदान करने और वक्फ संपत्तियों के सही आवंटन को सुनिश्चित करने में मदद करेगा।” उनके अनुसार, यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करेगा।
वक्फ बोर्ड से जुड़े प्रमुख तथ्य जो चर्चा में हैं
– वक्फ अधिनियम का इतिहास: भारत में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया। इसके बाद 1995 और 2013 में दो बार संशोधन किया गया।
– वैश्विक तुलना: दुनिया के किसी भी देश में वक्फ बोर्ड के पास इतनी शक्तियां नहीं हैं, यहां तक कि सऊदी अरब और ओमान में भी ऐसा कानून नहीं है।
– वक्फ संपत्तियों की स्थिरता: एक बार जब कोई जमीन वक्फ के पास चली जाती है, तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता। पावरफुल लोगों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है, जिससे इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।
– वक्फ संपत्तियों का राजस्व: भारत में वक्फ संपत्तियां विश्व में सबसे ज्यादा हैं, लेकिन इनसे 200 करोड़ रुपये का भी राजस्व नहीं आ रहा है।
– हस्तक्षेप की सीमाएं: केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, और अदालतें भी वक्फ बोर्ड के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। वक्फ बोर्ड पर नियंत्रण रखने वालों के अलावा कई अन्य लोग भी इस कानून के खिलाफ हैं।
– सच्चर कमेटी की सिफारिशें: सच्चर कमेटी ने वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया है और कहा है कि वक्फ संपत्ति का उपयोग केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों तक सीमित होना चाहिए।
मोदी सरकार का वक्फ अधिनियम में संशोधन का प्लान
शुक्रवार को कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में लगभग 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। मोदी सरकार का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को “वक्फ संपत्ति” के रूप में नामित करने की शक्तियों पर अंकुश लगाना है।
संशोधनों का प्रमुख उद्देश्य:
– संपत्तियों की नामांकन प्रक्रिया पर नियंत्रण: वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित किया जाएगा ताकि किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ के रूप में नामित करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जांच सुनिश्चित की जा सके।
– सत्यापन की प्रक्रिया: वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा, जिससे गलत या अनावश्यक दावों पर रोक लगाई जा सके।
संशोधन विधेयक के संभावित प्रभाव:
– प्रबंधन और ट्रांसफर में बदलाव: विधेयक के पारित होने के बाद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और ट्रांसफर में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे, जो वक्फ बोर्ड की शक्तियों को नियंत्रित करेंगे और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।
सिफारिशों का संदर्भ:
– कानून में संशोधन की जरूरतों का हवाला देते हुए जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों को भी शामिल किया गया है, जिनमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार की बात की गई है।
वक्फ अधिनियम में संशोधन से संभावित प्रभाव
1. संपत्तियों की रजिस्ट्री और मूल्यांकन:
– संशोधन के बाद, वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्तियों को जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड कराना होगा। इससे संपत्तियों का मूल्यांकन और राजस्व की जांच सुनिश्चित की जा सकेगी, जिससे संपत्तियों की स्थिति और वित्तीय स्थिति पर पारदर्शिता बढ़ेगी।
2. संपत्ति पर नियंत्रण:
– मौजूदा कानून के तहत, राज्य और केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में दखल नहीं दे सकती हैं। संशोधन के बाद, वक्फ बोर्ड के फैसलों पर सरकार की निगरानी और नियंत्रण बढ़ेगा, जिससे संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप संभव होगा।
3. संपत्ति का नामांकन:
– नए विधेयक के अनुसार, केवल मुस्लिम व्यक्ति ही वक्फ संपत्ति बना सकते हैं, जिससे वक्फ संपत्तियों की पहचान और प्रबंधन में स्पष्टता आएगी।
4.बोर्ड की संरचना में बदलाव:
– वक्फ बोर्ड की संरचना में सुधार होगा, जिसमें महिलाओं की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। प्रत्येक राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय परिषद में दो-दो महिला सदस्य शामिल होंगे। इससे महिलाओं को वक्फ बोर्ड के निर्णयों में अधिक भागीदारी मिलेगी।
5. नए ट्रिब्यूनल की स्थापना:
– जहां वक्फ बोर्ड नहीं है, वहां लोग नए ट्रिब्यूनल में जा सकेंगे। इससे वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों के समाधान के लिए एक वैकल्पिक मंच उपलब्ध होगा।
6. विवादित संपत्तियों का सत्यापन:
– संशोधन विधेयक के तहत, वक्फ बोर्ड द्वारा दावे किए गए सभी संपत्तियों का अनिवार्य और पारदर्शी सत्यापन किया जाएगा। पुराने और विवादित संपत्तियों का नए सिरे से सत्यापन संभव होगा, जिससे दावों और प्रतिदावों की सही स्थिति का पता चल सकेगा।
7. धारा 19 और 14 में बदलाव:
– वक्फ एक्ट की धारा 19 और 14 में प्रस्तावित बदलाव से केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव होगा।
8. अपील की प्रक्रिया:
– वक्फ बोर्ड के फैसलों के खिलाफ अब हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी, जो कि पूर्व में संभव नहीं था। इससे न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया में सुधार होगा और वक्फ बोर्ड के निर्णयों की पारदर्शिता बढ़ेगी।
वक्फ बोर्ड कितनी संपत्ति है ?
– संपत्तियों की संख्या और क्षेत्रफल:
– भारत में वक्फ बोर्ड के पास कुल 8,72,292 से ज्यादा रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियां हैं, जो 8 लाख एकड़ से अधिक भूमि में फैली हुई हैं। 13 साल के भीतर वक्फ की संपत्तियों की संख्या और क्षेत्रफल में दोगुना वृद्धि हुई है।
– 2009 तक, वक्फ की 3 लाख रजिस्टर्ड संपत्तियां थीं, जो 4 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई थीं।
– चालू संपत्तियां:
– वक्फ बोर्ड के पास 16,713 चल संपत्तियां भी हैं।
– संपत्ति प्रबंधन और डेटा:
– इन संपत्तियों का प्रबंधन विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा किया जाता है। वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पोर्टल पर इन संपत्तियों का विवरण दर्ज किया गया है।
– लगभग 3,29,995 वक्फ संपत्तियों की जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) मैपिंग भी की गई है।
– संपत्तियों का मूल्यांकन:
– वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की कुल अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है।
– देश में भूस्वामी स्थिति:
– वक्फ बोर्ड देश में सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी है।
– राज्यवार विवरण:
– उत्तर प्रदेश में वक्फ की सबसे अधिक संपत्तियां हैं। यूपी के सुन्नी बोर्ड के पास 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं।
– संपत्ति में वृद्धि:
– हर साल हजारों व्यक्तियों द्वारा वक्फ के रूप में संपत्तियां दी जाती हैं, जिससे वक्फ बोर्ड की संपत्ति में निरंतर वृद्धि होती रहती है।