झारखंड में उठा सियासी बवंडर दिल्ली पहुंच गया है। भाजपा जिनके कंधे पर झारखंड में ऑपरेशन लोटस को अंजाम देने जा रही थी, वह कंधा 10 विधायकों का भार नहीं उठा सका। दिल्ली का पानी पीते ही पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के सुर भले बदल गए, लेकिन चंपई सोरेन उन सभी विधायक में यह विश्वास ही नहीं पैदा कर सके कि भाजपा में जाना बेहतर होगा। नतीजा यह हुआ कि चंपई सोरेन की गाडी ऑपरेशन लोटस के ऐसे कीचड में फंस गयी, जहां से आगे बढने पर अब कुछ खास फायदा होता नहीं दिख रहा, और वापस पीछे लौटना भी मुश्किल हो रहा है। आखिर दिल्ली में ऐसा क्या हुआ कि भाजपा का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया ?
कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन
कोल्हान के इस टाइगर पर ही भाजपा ने दांव लगाया था। चंपई गुपचुप तरीके से ये पहले कोलकाता पहुंचे। वहां रात भर होटल में रूके। पश्चिम बंगाल में भाजपा के बडे नेता शुभेंदु अधिकारी से मिले। जिसके बाद वे वहां से फिर दिल्ली पहुंचे।
दिल्ली पहुंचते ही घर से जेएमएम का झंडा गायब, ट्विटर अकाउंट से जेएमएम का सिंबल गायब और तो और उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर उन्होंने लंबा-चौडा एक पत्र लिखा, जिसमें कहा कि वे झारखंड मुक्ति मोरचा में अपमानित महसूस कर रहे हैं। यह सारा कुछ उनके प्लान के मुताबिक ही हो रहा था। लेकिन अगर प्लान के मुताबिक कुछ नहीं हो रहा था तो वह यह कि जिन विधायकों को झारखंड मुक्ति मोरचा और कांग्रेस से तोड कर भाजपा में शामिल करवाने वाले थे, वे विधायक फ्लाइट ही नहीं पकड पाए। उनकी उडान हवा में नहीं हुई. बल्कि वे जमीन पर रह कर ही काम करते रहे, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में कुछ बनें या ना बनें, कम से कम विधायक तो जरूर बन जाएं। चंपई सोरेन दिल्ली में इंतजार करते रह गए लेकिन झारखंड का कोई विधायक उनके साथ नहीं गया। यहां तक कि दशरथ गगराई ने तो बाकायदा अपने लेटर पैड पर यह लिख कर जारी किया कि वे कहीं नहीं जा रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि आधी रोटी खाएंगे, गुरुजी शिबू सोरेन का मान बढाएंगे।
इसी प्रकार समीर मोहंती ने कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन उनके राजनीतिक गुरू और झारखंड मुक्ति मोरचा उनकी राजनीतिक पाठशाला है। वे कहीं नहीं जा रहे हैं। इसी प्रकार रामदास सोरेन, मंगल कालिंदी समेत अन्य सभी विधायकों ने कहा कि वे चंपई सोरेन की हरा नहीं पकड रहे हैं। भाजपा ने चंपई सोरेन के साथ मिल कर जिस गुब्बारे को फुलाया था वह गुब्बारा लीक कर गया। अब चंपई सोरेन अगर भाजपा में जाते हैं तो वहां उन्हें वह मान-सम्मान मिलेगा, इसमें संदेह है। क्योंकि जिस बाबूलाल मरांडी को बडा आदिवासी चेहरे के तौर पर जेवीएम से भाजपा में लाया गया, उनके चेहरे पर ही भाजपा खुद भरोसा नहीं कर रही है. यही कारण है कि भाजपा अब तक बाबूलाल मरांडी को सीएम फेस घोषित नहीं कर पाई है।
हिमाचल में भी फ्लॉप हो चुका है ऑपरेशन लोटस
जिस प्रकार से झारखंड में ऑपरेशन लोटस को अंजाम देने की योजना थी उसी प्रकार पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने ऑपरेशन लोटस को अंजाम दिया था। कांग्रेस के साथ ही अन्य निरदलीय को मिला कर कुल नौ विधायकों को तोड लिया गया था। लेकिन बाद में जब उपचुनाव हुए तो इसमें छह विधायकों ने अपनी विधायकी भी खो दी। जनता से उन्हें पूरी तरह से नकार दिया और कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत हुई। सरकार को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ. जनता ने भाजपा के ऑपरेशन लोटस का जवाब बैलेट से दिया।
सोनिया गांधी को मिल गयी थी भनक, रातों रात लिया गया बड़ा फैसला
झारखंड में ऑपरेशन लोटस की शुरुआत होने वाली है, इसकी भनक कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को हो गयी थी। इसे लेकर उन्होंने पार्टी के टॉप लीडरशिप को आगाह भी किया था। हेमंत सोरेन के जेल से निकलने के बाद उन्हें इसकी जानकारी दी गयी। यही कारण था कि 7 जुलाई को रथ यात्रा के दिन शपथ ग्रहण की पूर्व में तिथि तय होने के बाद भी आनन-फानन में तय समय से पहले हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण किया। हालांकि, ऑपरेशन लोटस की जानकारी होने के बाद भी हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को दो-दो विभाग का मंत्री बनाया. हेमंत सोरेन के जेल से निकलने के बाद पूर्व सीएम चंपई सोरेन आनन-फानन में आइएएस-आइपीएस से लेकर तमाम अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करते रहे, लेकिन चंपई के मान-सम्मान को ठेस नहीं पहुंचे इस वजह से जिन अधिकारियों का भी उन्होंने पोस्टिंग किया उसे रद्द नहीं किया गया। हालांकि, उन्हें यह जानकारी थी कि अपने किस सलाहकार के कहने पर और किस प्रकार का डील होने की वजह से ट्रांसफर-पोस्टिंग की जा रही है। सही समय आने का इंतजार किया जा रहा था।
अब क्या करेंगे कोल्हान टाइगर ?
अब राज्य में जिस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो गयी है उसमें कोल्हान टाइगर यानी चंपई सोरेन दोराहे पर खडे हैं। अगर वे भाजपा के साथ आगे बढते हैं तो यह स्पष्ट है कि भाजपा उन्हें सीएम का चेहरा नहीं बनाएगी। वे एक साधारण विधायक की हैसियत से भाजपा में शामिल होंगे। अगर वे पीछे आते हैं और कहते हैं कि भाजपा में जाने का कोई सवाल ही नहीं, बस मन की पीडा थी जिसे ट्वीट के बहाने जाहिर किया, और इस स्थिति में अगर वे झारखंड मुक्ति मोरचा में ही रहते हैं तो अब पार्टी उन पर एतबार नहीं करेगी। उनका वह कद नहीं रहेगा जो अब तक रहा था। कुल मिला कर झारखंड में भाजपा का ऑपरेशन लोटस का प्रयास नाकाम हो गया है। इसे नाकाम करने में कांग्रेस की टॉप लीडरशिप के साथ ही सीएम हेमंत सोरेन का भी हाथ है। सीएम हेमंत सोरेन ने खुद मोरचा संभाल लिया है