रांची: झारखण्ड में भाजपा का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है। बीते कुछ दिनों से झारखण्ड में राजनीतिक सुनामी आई हुई है। झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री की भाजपा में शामिल होने की बहुत खबरें और संकेत नजर आ रहे थे। उनके साथ ही दशरथ गागराई, निरल पूर्ति, समीर महंती, चमरा लिंडा, मंगल कालिंदी, रामदास सोरेन और संजीव सरदार के भी भजपा में शामिल होने की भी बातें हो रही थीं। इस बारे जब सवाल किया गया तब उन्होंने इसे अफवाह कह कर बात को ख़ारिज कर दिया। 18 अगस्त को अचानक ही चंपई सोरेन की कोलकाता से दिल्ली जाने की खबर सामने आती है। वह दिल्ली करीब 1 बजे पहुंचते हैं। दिल्ली में उनकी भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने की चर्चाएं होती हैं। जब उनसे यह सवाल किया गया की क्या वे भाजपा में शामिल होने वाले हैं ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वह जहां हैं वहीं हैं। इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में एक लम्बा पोस्ट लिखा और कहा कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने उन्हें कुर्सी से उतार कर अपमानित किया है। उनका मोह JMM से भंग हो गया है। उन्होंने अपने पोस्ट में तीन विकल्प दिए थे कि या तो वह सन्यास ले लेंगे, या नया संगठन बनाएंगे या तो वह किसी अच्छे साथी के साथ अपना राजनीतिक सफर आगे बढ़ाएंगे।
सीएम आवास पहुंचे कोल्हान के विधायक
20 अगस्त को झारखण्ड मुख्यमंत्री आवास में हलचल मच गई। चम्पई सोरेन के साथ जिन विधायकों की होने की बात हो रही थी। वह सारे विधायक एक एक कर के 20 अगस्त को सीएम आवास पहुंच गए। लगभग 3 घंटे तक विधायकों ने हेमंत सोरेन से मुलाकात की। सारे विधायकों ने कहा कि वह सब हेमंत सोरेन के साथ मजबूती से खड़े हैं। वे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा छोड़ कर कही नहीं जाएंगे।
वहीं चंपई सोरेन भी 20 अगस्त को दिल्ली से सरायकेला पहुंच गए। जब उनसे भाजपा में शामिल होने के बारे में सवाल किया गया तो वह कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका आई कोई मकसद नहीं है जिससे पार्टी को नुकसान पहुंचे।
चम्पई सोरेन ने कहा की वह अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर अडिग हैं। पहले उन्होंने तीन विकल्प दिए थे। जिसमें सन्यास लेना , नया संगठन बनाना और किसी अच्छे साथी या दल के साथ अपना राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाना। लेकिन अब उन्होंने कहा है कि वे सन्यास नहीं लेंगे। क्योंकी उन्हें लोगों से बहुत प्यार मिल रहा है। या तो वह अब नया संगठन बनाएंगे या फिर फिर उन्हें कोई अच्छा साथी मिल जाए तो उसके साथ वह काम करेंगे। जिससे उनके जीवन का नया अध्याय शुरू होगा। उन्होंने ये साफ किया है कि उनकी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के किसी भी व्यक्ति से कोई बात चीत नहीं हुई है।
इस सबसे यह निर्कर्ष निकलता है की इंडिया गठबंधन की सक्रियता की वजह से झारखण्ड में हो रहे ऑपरेशन लोटस अब फेल हो गया है।
नहीं कामयाब हो पाई डील
भाजपा के सूत्रों की माना जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की भाजपा से एक डील हुई थी। इस डील में यह बात हुई थी की उन्हें झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कुछ विधायकों को लेकर भाजपा में शामिल होना होगा। इस डील के तहत उनके साथ जो भी विधायक आते उन सभी को 2024 के विधानसभा चुनाव में टिकट मिलना था। चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को भी सेट करने की बात हो रही थी। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में भाजपा से डील चंपई के बेटे कर रहे थे। झांरखंड में विधायकों को मनाने का काम चंपई सोरेन कर रहे थे।
कैसे लीक हुआ प्लान ?
चंपई और भाजपा के बीच हो रहे इस डील को पूरी तरह से सीक्रेट रखा गया था। किसी को भनक न लगे इसी कारण चंपई कोलकाता में भाजपा के नेताओं के साथ डील कर रहे थे। जिसके बाद उन्हें दिल्ली रवाना होना था। लेकिन दिल्ली जाने से पहले ही पूरा मामला लीक हो गया। चंपई किस फ्लाइट से कोलकाता गए , कब गए, वह वह किस होटल में रुके थे। वह दिल्ली कितने बजे रवाना होने वाले हैं यह सारी बात लीक होकर सामने आ गई।
पूरा मामला जानते हुए हेमंत थे शांत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूरा मामला मालूम था लेकिन वह शांत थे। जब चंपई दिल्ली जा रहे थे तब हेमंत सोरेन पाकुड़ में मईयां योजना की ग्रैंड ओपनिंग में मशगूल थे। उन्होंने इस मामले को लेकर कोल्हान के सारे विधायकों को खुद कॉल कर के मिलने के लिए रांची सीएम हाउस बुलाया। सभी विधायकों की समस्या सुनने के बाद उन्हें समाधान का आश्वासन दे कर वापस भेज दिया।
2021 में भी चला था आपरेशन लोटस
2021 से चार बार फेल हुआ भाजपा का ऑपरेशन लोटस
जुलाई 2021 में भी झारखण्ड में हेमंत सोरेन की सरकार गिराने के लिए बड़ी साजिश रची जा रही थी। उस समय यह खबर सामने आ रही थी कि भाजपा के महाराष्ट्र के एक बड़े नेता कांग्रेस के विधायकों के साथ रांची के किसी होटल में सरकार गिराने की डील कर रहे थे। यह सूचना मिलते ही हेमंत सोरेन ने बेरमो से कांग्रेस के विधायक कुमार जयमंगल उर्फ़ अनूप सिंह से ही कोतवाली थाना में केस दर्ज करवाया था। इसके बाद इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस में उन लोगों से लंबी पूछताछ की और उनके पास से भारी मात्रा में कैश भी बरामद किया था।
बंगाल में गिरफ्तार हुए थे तीन विधायक
ठीक एक साल बाद जुलाई 2022 में फिर एक बार हेमंत सोरेन की सरकार को गिराने की कोशिश की गई। इस बार कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की जा रही थी। ये बंगाल के रस्ते से असम जा रहे थे। इस डील को लेकर उनकी मुलाकात असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा से होने वाली थी। इसकी खबर मिलते ही हेमंत सोरेन ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की मदद से कांग्रेस के तीन विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी , इरफ़ान अंसारी और राजेश कच्छप को हावड़ा के पांचाल में गिरफ्तार करवा दिया था। इनके पास से भारी मात्रा में कैश भी बरामद हुआ था। इसके पास से कुल 49.37 लाख रूपए बरामद हुए थे। इनके खिलाफ रांची में भी केस दर्ज कराया गया था। तीनों विधायक ने लगभग एक महीना जेल में गुजारा था। इस पर एक्शन लेते हुए पहले कांग्रेस ने तीनों को पार्टी से निकाल दिया। फिर वे तीनों पार्टी में दोबारा शामिल भी हो गए। इनमे से एक इरफ़ान अंसारी तो अब हेमंत की कैबिनेट में मंत्री भी हैं।
दो साल पहले भी हुई थी सरकार गिराने की कोशिश
2022 में अगस्त में फिर से एक बार सरकार गिराने की कोशिश की गई थी। इस वक्त यह आरोप लगे थे की हेमंत सोरेन ने खनन लीज पट्टा अपने नाम कराया था। इस मामले में राज्यपाल ने चुनाव आयोग को जांच करने के आदेश दिए। चुनाव आयोग में हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की थी। जिस कारण से हेमंत सोरेन की कभी सदस्यता भी जा सकती थी।
हो रही थी हार्स ट्रेडिंग
इस मामले में चुनाव आयोग की अनुशंसा के बाद हॉर्स ट्रेडिंग के भी मामले साने आने लगी। खबर आ रही थी की हेमंत सरकार के कई मंत्री और विधायक भाजपा के संपर्क में है। पहले हेमंत सोरेन ने सारे विधायकों को सीएम आवास में रखा। JMM और कांग्रेस के कुल 32 विधायकों को रायपुर भेज दिया गया था। 5 दिन विधायकों को रायपुर में रखने के बाद विधनसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। हेमंत ने इस बार फ्लोर टेस्ट में विश्वास मत जीतकर अपनी सरकार बचा ली। विशेष सत्र में हेमंत सोरेन ने ओबीसी आरक्षण को बढ़ावा देने और 1932 खतियान को लागू करने की बात की। जिससे उन्हें फ्लोर टेस्ट में विश्वास मत मिला। यह उनका मास्टर प्लान था।
जनवरी में सारी हदें पार
अब जनवरी 2024 में तो सारी हदें पार हो गईं। मानी लॉन्ड्रिंग और जमीन घोटाला मामले ने ईडी के सम्मन और पूछताछ के बाद मुख्यमंत्री हेमत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। इससे सरकार पर संकट की स्थिति बन गई थी। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की बातें होने लगी थीं। लेकिन हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन या भाई बसंत सोरेन को सीएम की कुर्सी देने के बजाय चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया। बसंत सोरेन कैबिनेट में मंत्री बनाए गए। फिर उनकी पत्नी गांडेय से उपचुनाव जीतकर विधायक बन गईं। 28 जून को हेमंत के जेल से छूटने के बाद झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों के बीच ख़ुशी की लहर थी। चंपई सोरेन 2 फरवरी 2024 से लेकर 3 जुलाई 2024 तक झारखण्ड के मुख्यमंत्री रहे। 4 जुलाई को हेमंत सोरेन ने फिर से एक बार मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली थी।