जमशेदपुर : भाजपा ने दर्द दिया और भाजपा ही मरहम लगाने का नाटक कर रही है। भुइयांडीह में नदी किनारे अतिक्रमण की शिकायत भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने की थी। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ही पिछले साल 30 अगस्त को दिल्ली में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भुइयांडीह में स्वर्णरेखा नदी किनारे अतिक्रमण हटाने की मांग करते हुए केस दायर किया था। बाद में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के दिल्ली ऑफिस ने इस केस को कोलकाता को ट्रांसफर कर दिया। इस बात का खुलासा पूर्व सांसद डा. अजय कुमार ने शनिवार को जमशेदपुर सर्किट हाउस में एक प्रेस कांफ्रेंस में किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष नट्टू झा के अलावा धर्मेंद्र सोनकर, रईस रिजवी छब्बन, बबलू झ, राकेश साहू आदि मौजूद रहे।
बस्ती उजाड़ कर क्यों बनवाना चाहते हैं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
पूर्व सांसद डा. अजय कुमार ने बताया कि भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि भुइयांडीह में स्वर्णरेखा नदी के किनारे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनना है। इसलिए यहां से अतिक्रमण हटना चाहिए। पूर्व सांसद ने बताया कि अर्जुन मुंडा की शिकायत के बाद ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने इस मामले में केस दायर कर नोटिस जारी की है। इसी के बाद सीओ भुइयांडीह बस्ती पहुंचे थे और नदी किनारे बसे गरीबों को हटाने के लिए नोटिस दी थी।
बड़ी कंपनी से डील की जताई आशंका
पूर्व सांसद डा. अजय कुमार ने कहा कि उन्हें हैरत है कि एक राजनीतिज्ञ जो हमेशा जनता के हित की बात करता है, दिल्ली में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भुइयांडीह में नदी किनारे अतिक्रमण के लिए क्यों केस दायर करता है। आखिर वह गरीबों की बस्ती क्यों उजाड़ना चाहता है। डा. अजय कुमार ने आशंका जताई कि जरूर इसके पीछे किसी बड़ी कंपनी से कोई डील हुई है। कोई कंपनी यहां गरीबों को उजाड़ कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना चाहती है।
तब केंद्रीय मंत्री थे अर्जुन मुंडा
पूर्व सांसद सह कांग्रेस के वरीय नेता डॉ. अजय कुमार ने कहा कि भाजपा सत्ता के लिए कितना नीचे गिर सकती है। यह मामला इसकी मिसाल है। इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। नीति और सिद्धांत की बात करने वाली बीजेपी के नेताओं ने सत्ता और राजनीतिक लाभ के लिए भुईंयाडीह के कल्याणगर, इंदिरा नगर एवं नदी किनारे बने लगभग 150 घरों को उजाड़ने का प्लान तैयार कर लिया। पूर्व सांसद ने बताया कि 30 अगस्त 2023 को तत्कालीन जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री और झारखंड के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा ने अतिक्रमण के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की नई दिल्ली पीठ में शिकायत की थी। इसके बाद मामला एनजीटी द्वारा आवेदन संख्या 567/2023 के माध्यम से स्वीकार किया गया। जहां मामला कोलकाता पीठ को ट्रांसफर कर दिया गया। कोलकाता पीठ द्वारा आवेदन संख्या 567/2023 को बदल कर 145/2023/EZ कर दिया गया है। डॉ. अजय ने कहा कि भाजपा ने शुरु से ही जमशेदपुर के लोगों को ठगने का काम किया है। इसका ताजा उदाहरण बीजेपी नेता द्वारा भुईंयाडीह मामले में एनजीटी में शिकायत दर्ज कराना है। वहीं भाजपा विचारधारों से जुड़े सरयू राय ने भी पिछले पांच वर्षों में इन बस्तियों में नागरिक सुविधाओं को लेकर कोई कार्य नहीं किया। जिसके कारण इन बस्तियों के लोग नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
मामले में विधायक सरयू राय को भी घसीटा
पूर्व सांसद डा. अजय कुमार ने इस मामले में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय को भी घसीटा। भुइयांडीह और आसपास का सारा इलाका जहां 150 घरों के खिलाफ एनजीटी ने नोटिस दी है वह जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र में आता है। डा. अजय कुमार ने कहा कि विधायक सरयू राय और अर्जुन मुंडा में गाढ़ी दोस्ती है। अर्जुन मुंडा की इस कारस्तानी के बारे में सरयू राय को खूब पता था। इसके बाद भी उन्होंने लोगों से यह बात छिपाए रखी कि इस मामले में अर्जुन मुंडा ने ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में शिकायत की है। पूर्व सांसद ने कहा कि विधायक सरयू राय ने अपने ही क्षेत्र की जनता से छल किया है। उन्होंने सरयू राय और भाजपा को एक ही सिक्के के दो पहलू करार दिया।
सरयू राय की याचिका खारिज
डॉ. अजय ने कहा कि “चौबे गए थे छब्बे बनने दुबे बन कर रह गए। मतलब यह है कि “जब कोई व्यक्ति लाभ की आशा से कोई कार्य करता है और उसमें हानि ही होती है। अजय कुमार ने कहा कि वर्तमान में यह उक्ति सरयू राय पर बिल्कुल फिट बैठती है। शुक्रवार को सुबह 10 बजे हमारे क्रेडिटजीवी सरयू राय ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि एनजीटी में उनकी याचिका स्वीकार कर ली गई है, लेकिन हकीकत यह थी कि दोपहर 1 बजे उनकी याचिका खारिज कर दी गई। तो आप समझ सकते हैं कि सरयू राय को श्रेय लेने की कितनी जल्दी है।
एक भी घर टुटने नहीं देंगे
डॉ. अजय ने कहा कि भुइयांडीह के कल्याण नगर, इंदिरा नगर भुइयांडीह सहित नदी किनारे बसे लगभग 150 को टूटने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि उनके वकील एनजीटी में इस मामले पर कड़ी नजर रख हुए हैं। झारखंड सरकार को 2 सितंबर को एनजीटी में अपना पक्ष रखने का समय मिला है। यह राज्य सरकार के लिए प्राथमिकता वाला मामला है। अधिवक्ता और झारखंड के महाधिवक्ता इस मामले पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।