रांची : संथाल के एक और बड़े नेता लोबिन हेंब्रम ने भी शनिवार को भाजपा का दामन थाम लिया है। रांची में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में लोबिन भाजपा में शामिल हो गए। लोबिन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ली है। भाजपा की सदस्यता लेने के साथ ही उन्होंने हेमंत सोरेन पर निशाना साध दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह पार्टी से नाराज नहीं हैं। बल्कि, पार्टी में उभर रहे युवा नेतृत्व से उनकी नाराजगी है। उनका सीधा इशारा हेमंत सोरेन पर ही है। लोबिन ने यह भी कहा कि अब झामुमो के पुराने नेताओं की नहीं सुनी जा रही है।
पहले ही बुलंद कर दिया था बगावत का झंडा
इस साल संथाल से झामुमो के दूसरे विधायक का विकेट गिरा है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के टिकट पर सांसद बनने की तमन्ना लेकर झामुमो की जामा विधायक शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन भी भाजपा में चली गई थीं। मगर, वह अपने सियासी सफर पर कामयाब नहीं हो सकीं। लोकसभा चुनाव के दौरान ही जब बोरियो से झामुमो के विधायक रहे लोबिन हेंब्रम ने पार्टी से बगावत कर राजमहल से लोकसभा चुनाव लड़ा था तभी यह साफ हो गया था कि आज नहीं तो कल लोबिन का भी विकेट भाजपा गिरा देगी। लोबिन के भाजपा में जाने से साफ हो गया है कि लोबिन हेंब्रम भी भाजपा के संपर्क में थे और उधर के ही इशारे पर झामुमो से बगावत कर चुनाव लड़े थे।
बोरियो से भाजपा दे सकती है टिकट
लोबिन हेंब्रम बोरियो से विधायक थे। माना जा रहा है कि भाजपा लोबिन को बोरियो से टिकट देगी और चुनाव लड़ाएगी। भाजपा के थिंक टैंक का मानना है कि लोबिन हेंब्रम उसके लिए एक जिताऊ उम्मीदवार साबित होंगे। इसीलिए लोबिन को भाजपा में लाया गया है। लोबिन हेंब्रम भाजपा की उम्मीद पर कितने खरे उतरते हैं यह तो समय बताएगा।
JMM से बगावत के बाद चली गई विधानसभा की सदस्यता
लोबिन हेंब्रम लोकसभा चुनाव 2024 में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से राजमहल सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांग रहे थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर तत्कालीन सांसद विजय हांसदा को टिकट दिया था। इससे नाराज होकर लोबिन ने झामुमो से बगावत कर दी और निर्दलीय ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। JMM के आलाकमान ने उनके खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। इसके कुछ ही दिनों बाद उनकी विधानसभा से विधायकी भी समाप्त कर दी गई थी।
सीता सोरेन को सीएम बनाने की उठाई थी मांग
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपाई सोरेन को जब मुख्यमंत्री बनाया गया तब लोबिन ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी गद्दी उनके भाई बसंत सोरेन को मिलनी चाहिए न कि चंपाई सोरेन को। उन्होंने आगे यह भी कहा कि हेमंत सोरेन के बाद गद्दी दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन को मिलनी चाहिए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोबिन की बयानबाजी सोची समझी थी। उन्हें बयान कहीं और से मिल रहे थे। दरअसल इन बयानबाजी का मकसद झामुमो में फूट पैदा करना था।