धनबाद : धनबाद की झरिया सीट सूबे की एक हाट सीट मानी जाती है। इस सीट पर सिंह मेंशन का हमेशा कब्जा रहा है। यहां से सिंह मेंशन के सूर्य देव सिंह 1977 के बाद चार बाद विधायक रहे। अब हालात यह बन गए हैं कि इनकी बहुएं चुनाव मैदान में एक दूसरे से दो-दो हाथ करती नजर आ रही हैं। विधानसभा चुनाव 2014 में सिंह मेंशन की तीन बहुएं चुनाव के अखाड़े में उतरने जा रही हैं। खानदान के नीरज सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव 2019 में लोगों की हमदर्दी बटोरी थी और 12 हजार 54 वोटों से जीत का परचम बुलंद कर दिया था। इस बार उनकी राह रोकने के लिए रागिनी सिंह तैयार खड़ी हैं। इसके अलावा, इस बार इस खानदान की तीसरी बहू भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। मगर, इनके सलाहकार अभी इस बात को लेकर पशोपेश में हैं कि चुनाव झरिया से ही लड़ा जाए या धनबाद से।
दो फाड़ हो गए एक घराने
अभी झरिया में दो घराने राजनीति पर छाए हुए हैं। सूर्य मेंशन और रघुकुल। कभी दोनों एक ही घराने हुआ करते थे। मगर, खानदान में इस कदर अदावत हुई कि दोनों घराने अलग-अलग हो गए। सिंह मेंशन से ही एक और घराना उभरा जिसका नाम पड़ा रघुकुल। सिंह मेंशन के संजीव सिंह झरिया के विधायक थे। बाद में स्व. सूर्यदेव सिंह के भाई स्व. विक्रमा सिंह के बेटे धनबाद के डिप्टी मेयर रह चुके नीरज सिंह की हत्या हुई। नीरज सिंह को 21 मार्च 2017 को उस समय गोलियों से भून दिया गया जब वह अपने आवास जा रहे थे। नीरज को 67 गोलियां लगी थीं। रास्ते में उन पर हमला हुआ था जिसमें नीरज सिंह के अलावा उनका ड्राइवर और दो बाडीगार्ड भी मारे गए थे। इस मामले में सूर्यदेव सिंह के संजीव सिंह जेल गए। इसके बाद सत्ता रघुकुल खानदान के हाथ में चली गई। रघुकुल घराने की नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह अभी झरिया से विधायक हैं।
2014 में संजीव सिंह से हार गए थे नीरज सिंह
साल 2014 में विधानसभा चुनाव में सिंह मेंशन और रघुकुल आमने सामने थे। सिंह मेंशन की तरफ से स्व. सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह चुनाव मैदान में थे तो रघुकुल की तरफ से स्व. विक्रमा सिंह के बेटे नीरज सिंह चुनाव लड़ रहे थे। इस चुनाव में सिंह मेंशन के संजीव सिंह के हाथ बाजी लगी थी। उन्होंने नीरज सिंह को 33 हजार 692 वोटों से हराया था। 2009 के चुनाव में सिंह मेंशन की कुंती सिंह चुनाव जीती थीं। सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर कांग्रेस के सुरेश सिंह को 3 हजार 16 मतों से शिकस्त दी थी। 2005 में भी कुंती सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के सुरेश सिंह को 31 हजार 588 मतों से हरा दिया। 2011 में सुरेश सिंह की भी हत्या कर दी गई थी। इसके पहले 2000 में सूर्यदेव सिंह के भाई बच्चा सिंह समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और कांग्रेस के अब्दुल कय्यूम अंसारी को हराया था।
सिंह मेंशन का तीसरा कुनबा भी सियासत में कूदा
अभी तक झरिया की राजनीति में सिंह मेंशन और रघुकुल ही हावी थे। अब सिंह मेंशन का तीसरा कुनबा भी सियासत में कदम रखने जा रहा है। इस घराने का नाम है पृथ्वी मेंशन। इस घराने की बहू आसनी सिंह तीन-चार साल से राजनीति में आने की तैयारी में जुटी हैं। आसनी सिंह स्व. सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह के बेटे शशि सिंह की पत्नी हैं। वह कई मजदूर संगठनों से जुड़ी हैं और मजदूरों की लड़ाई लड़ती हैं। कहा जा रहा है कि मजदूर संगठनों के जरिए आसनी सिंह सियासत में दखल दे चुकी हैं। जल्द ही उनके चुनाव लड़ने का एलान भी होने जा रहा है। उनके ज्यादातर सलाहकार आसनी सिंह को झरिया से ही चुनाव लड़ाना चाहते हैं। मगर, कुछ सलाहकार आसनी सिंह को धनबाद से चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं। अभी यह फैसला नहीं हो पाया है कि आसनी सिंह धनबाद से चुनाव लड़ेंगी या झरिया से।
सत्ता छीनने की जुगत में रागिनी सिंह
सिंह मेंशन की बहू रागिनी सिंह झरिया की सत्ता छीनने की कवायद में जुटी हैं। रागिनी सिंह चाहती हैं कि झरिया की सत्ता वापस सिंह मेंशन लौट आए। रागिनी सिंह स्व. सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह की पत्नी हैं। संजीव सिंह अपने चचेरे भाई नीरज सिंह हत्याकांड में 2017 से जेल में हैं। रागिनी सिंह ने विधानसभा चुनाव 2019 भाजपा के टिकट पर लड़ा था। मगर, वह नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह से हार गई थीं। इसके बाद रागिनी सिंह राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं। वह बराबर लोगों से मिलती रहीं और जनता की मदद करती रहीं। भाजपा की मीटिंग में भी उनकी मौजूदगी रही ताकि जनता उनकी सक्रियता देखे। वहीं, पूर्णिमा नीरज सिंह विधायक होने के नाते इस जमीन को बचाने में जुटी हैं। वह नहीं चाहतीं की सत्ता की चाबी सिंह मेंशन के हाथ में जाए। वह भी विधायक होने के नाते हमेशा जनता के संपर्क में रहती हैं। अब विधानसभा चुनाव 2024 में यह देखना दिलचस्प होगा कि झरिया की सत्ता सिंह मेंशन वापस लौटती है या फिर रघुकुल में ही निवास करती है। पृथ्वी मेंशन की राजनीति में आने की मंशा किस हद तक परवान चढ़ती है।
फरार चल रहे हैं आसनी सिंह के पति शशि
स्व. सूर्यदेव सिंह के बेटे रामाधीर सिंह के पुत्र शशि सिंह आसनी सिंह के पति हैं। शशि सिंह कोल किंगपिन सुरेश सिंह की हत्या के मामले में फरार चल रहे हैं। सुरेश सिंह कांग्रेस के नेता थे। 7 दिसंबर 2011 को नुनू सिंह के बेटे की शादी के रिसेप्शन में सुरेश सिंह की हत्या कर दी गई थी। बताते हैं कि धनबाद क्लब में शादी के दौरान ही सुरेश सिंह ने शशि पर कुछ अपमानजनक टिप्पणी कर दी थी और इसके बाद शशि सिंह ने सुरेश सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस मामले में रामधीर सिंह, संजीव सिंह और शशि सिंह के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। रामधीर सिंह और संजीव सिंह के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिलने पर उन्हें केस से हटा दिया गया था। शशि सिंह अब भी फरार हैं। जबकि, उनके साथी प्रमोद लाला, आलोक वर्मा और मोनू सिंह बेल पर हैं।
शशि के पिता भी जेल में हैं बंद
शशि के पिता रामाधीर सिंह भी मजदूर नेता सकलदेव सिंह के छोटे भाई विनोद सिंह की हत्या के मामले में जेल में आजीवन जेल की सजा काट रहे हैं। विनोद सिंह की हत्या 15 जुलाई 19098 को कतरास में कर दी गई थी। सिंह मेंशन में दुश्मनी की दरार कोयला कारोबारी संजय सिंह की हत्या के बाद से पड़ी। सूर्यदेव सिंह ने अपने भाई राजन सिंह की सााली पुष्पा सिंह से कराई थी। बाद में संजय सिंह की हत्या कर दी गई। इसके बाद सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह के करीबी रंजय सिंह की हत्या रघुकुल के सामने कर दी गई थी। इसी के बाद नीरज सिंह की हत्या हुई।
जानिए सिंह मेंशन का खानदान
सिंह मेंशन के सूर्य देव सिंह सबसे बड़े भाई थे। इसके बाद झारखंड के पूर्व मंत्री रह चुके बच्चा सिंह, बैरिया के विधायक विक्रमा सिंह, बलिया के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामाधीर सिंह और सबसे छोटे भाई राजन सिंह हैं। इनमें से सूर्यदेव सिंह, बच्चा सिंह और राजन सिंह का निधन हो चुका है। इन भाइयों में विक्रमा सिंह और रामाधीर सिंह अभी जीवित हैं।
झरिया विधानसभा सीट
2000 – बच्चा सिंह, समता पार्टी
2005- स्व. सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह
2009- स्व. सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह
2014- स्व. सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह, भाजपा
2019- पूर्णिमा नीरज सिंह, कांग्रेस