रांची : झारखंड में जेएमएम के बाद भारतीय जनता पार्टी का अगला टारगेट कांग्रेस है। झारखंड मुक्ति मोर्चा को एक प्लानिंग के तहत आदिवासी सीटों पर उलझा कर रखने के लिए ऑपरेशन लोटस चलाया गया है। अब भारतीय जनता पार्टी का अगले चरण में कांग्रेस को निशाना बनाने जा रही है। इंडिया गठबंधन की सामान्य सीटें जो कांग्रेस के खाते में चली जाती हैं, इन सीटों के कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए भी भारतीय जनता पार्टी रेड कारपेट बिछाने जा रही है। बहरहाल, इन सभी गहमागहमी के बीच कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। जिलाध्यक्षों के पास जो आवेदन दिए गए थे, उन आवेदनों के आधार पर स्क्रीनिंग कमेटी ने सभी सीटों पर पांच-पांच कैंडिडेट के नाम तय किए हैं। आइए आपको बताते हैं कि कैंडिडेट का नाम तय करने में क्या था फार्मूला, कौन-कौन सी नई सीटें कांग्रेस के खाते में जाने वाली हैं और किस सीटिंग विधायक की सीट कटने की संभावना है।
कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम लिफाफे में बंद, दिल्ली में होंगे फाइनल
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी भी कमर कस कर तैयार है। पार्टी ने राज्य की सभी 81 विधानसभा सीटों से संभावित उम्मीदवारों के नाम मंगवाए हैं। 28 अगस्त तक जिलाध्यक्षों के पास आवेदन जमा हो गए। उन सभी आवेदनों पर एक सप्ताह तक रांची में मंथन हुआ। इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने हर सीट से पांच-पांच उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए हैं। अब संभावित उम्मीदवारों के नाम को प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश और झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर संयुक्त रूप से कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को सौपेंगे। वहां एक राउंड की बातचीत के बाद हर सीट पर तीन-तीन नामों को टेबल पर रखा जाएगा। इन तीन नामों पर ही मुख्य रूप से डिस्कशन होगा। यह नाम जो संगठन की ओर से भेजा गया है, इसके अलावा कांग्रेस पार्टी की ओर से अलग से दो एजेंसी के जरिए सर्वे कराया गया है। इसमें एक पार्टी के ही स्ट्रेटिजिस्ट सुनील कानूगोलू की एजेंसी है जबकि दूसरी स्वतंत्र एजेंसी है. यानी हर सीट पर तीन लेयर में उम्मीदवारों के नाम की सूची बनाई गई है। सर्वे टीम की ओर से भी तीन-तीन नाम तय किए गए हैं। दोनों एजेंसी और संगठन द्वारा भेजी गई सूची में शामिल जिस नाम पर सहमति बनेगी उसे ही टिकट दिया जाएगा।
झारखंड मुक्ति मोरचा और कांग्रेस के बीच होगी सीटों की अदला-बदली
इंडिया गठबंधन इस बार के विधानसभा चुनाव में किसी प्रकार की कोई गलती नहीं करना चाहता है। इसके लिए ऐसी सीटें जो पिछली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में चली गई थी़, और झामुमो वह वहां हार गई थी। अगर वहां कांग्रेस का संगठन या उम्मीदवार मजबूत है तो इस प्रकार की सीटों की अदला-बदली की जाएगी। इसी प्रकार कांग्रेस के खाते वाली कुछ सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास जाएंगी. इस बार खूंटी और तोरपा विधानसभा सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के बजाय कांग्रेस के खाते में आने की प्रबल संभावना है। कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पूर्व राज्य सभा सांसद डॉक्टर प्रदीप बालमुचू इस बार तोरपा सीट से चुनाव लडेंगे। इसके लिए केंद्रीय आलाकमान भी होमवर्क कर रहा है कि उन्हें कहां से लडाया जाए। तोरपा सीट को प्रदीप कुमार बालमुचू के मुफीद माना गया है।
लोहरदगा और बड़कागांव सीट में है तनातनी
लोहरदगा सीट से मौजूदा विधायक व वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के अलावा सांसद सुखदेव भगत के पुत्र अभिनव भगत ने आवेदन किया है। रांची की पूर्व मेयर रमा खलखो ने भी इस सीट के लिए आवेदन दिया है। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि लोहरदगा में डॉ रामेश्वर उरांव और सुखदेव भगत के बीच हमेश तनातनी रहती है। ऐसे में अब पार्टी लोहरदगा में किसे खुश करेगी और किसे नाराज, यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं, बडकागांव से सीटिंग विधायक अंबा प्रसाद के साथ-साथ उनके पिता और पूर्व मंत्री योंगेद्र साव ने भी आवेदन किया है। योगेंद्र साव के जेल चले जाने के बाद उनकी पुत्री अंबा प्रसाद को पार्टी ने टिकट दिया था। इस तरह इस सीट का भी मामला दिलचस्प हो जाता है।
डॉ अजय कुमार की राह में अपने ही अटका रहे हैं रोड़ा
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और ओडिशा, तमिलनाडु और पुडुचेरी के प्रभारी डॉक्टर अजय कुमार ने इस बार जमशेदपुर पूर्वी सीट से ताल ठोक दी है। जमशेदपुर पूर्वी सीट को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर अंतिम बार 1985 में कांग्रेस उम्मीदवार डी. नरीमन चुनाव जीते थे। उसके बाद से आज तक कांग्रेस यहां से जीत नहीं सकी है। इस बार डॉक्टर अजय कुमार इस सीट से चुनाव लडने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि उनकी राह में रोडे अटकाए जा रहे हैं। ये रोडे कोई भाजपा या फिर सरयू राय की पार्टी नहीं बल्कि उनके अपने ही अटका रही है।
खत्म हो सकता है कांग्रेस का सियासी सूखा
जमशेदपुर में कांग्रेस चार खेमे में बटी हुई है। एक खेमा जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे का है, दूसरा खेमा पूर्व जिलाध्यक्ष विजय खां का है। जबकि तीसरा खेमा डॉक्टर अजय कुमार का है। चौथा खेमा बन्ना गुप्ता का है। इसमें बन्ना गुप्ता को छोड कर बाकी तीनों जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लडना चाहते हैं और एक दूसरे के खिलाफ क्षेत्र में कैंपेनिंग कर रहे हैं। हालांकि, इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास कोई दमदार चेहरा नहीं है, कांग्रेस अगर सही तरीके से एकजुट होकर यहां चुनाव लडती है तो करीब 40 साल का सियासी सूखा समाप्त हो सकता है।
मंत्री और विधायकों की सीटिंग सीट पर भी की गई है दावेदारी
जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट पर मंत्री बन्ना गुप्ता चुनाव लड़ते आए हैं। लेकिन इस सीट पर पार्टी के कार्यकारी नगर अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनकर, रईस रिजवी छब्बन, फिरोज खान, जेबा खान, नट्टू झा, राकेश तिवारी समेत दर्जन भर नेताओं ने दावा ठोका है। सभी का कहना है कि इस सीट पर मंत्री बन्ना गुप्ता के बजाय उन्हें टिकट दिया जाए। हालांकि, सामान्य स्थिति में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसी प्रकार खिजरी विधानसभा से पांच लोगों ने आवेदन किया है। इसमें सीटिंग विधायक राजेश कच्छप, पूर्व विधायक स्व. सावना लकडा की पत्नी सीता लकडा, नाती विपिन लकडा के अलावा अमूल्य नीरज खलखो और सतीश पॉल मुंजीनी का नाम शामिल है।