यूपी में बीजेपी की हार के मंथन में जुटी भाजपा, निशाने पर हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
लखनऊ: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा को उम्मीद से कम सीटें मिली हैं। यहां समाजवादी पार्टी को अच्छी खासी सीटें मिलीं। समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में लोकसभा में सर्वाधिक 37 सीटें मिली हैं। जबकि, भाजपा 33 सीटों पर सिमट गई। उत्तर प्रदेश में भाजपा की जो हार हुई है, उसका मंथन शुरू हो गया है। दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेता इस बात को लेकर मंथन कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार क्यों हुई। उम्मीद से कम सीटें क्यों मिलीं। योगी आदित्यनाथ की मानें तो वह कहते फिर रहे हैं कि यह पार्टी के ओवर कॉन्फिडेंस का नतीजा था। बड़े-बड़े नेता ओवर कॉन्फिडेंस में थे कि यूपी में इस बार पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें आ रही हैं। इसके चलते कार्यकर्ता भी ओवर कॉन्फिडेंस में आ गए और ज्यादा मेहनत नहीं की।
तो इसलिए राजपूतों ने दे दिया झटका
वहीं, योगी विरोधी खेमा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरने के लिए उनकी राजपूत बिरादरी पर निशाना साध रहा है। कहा जा रहा है कि राजपूत इस बार लोकसभा चुनाव में मैदान में नहीं आए और इस वजह से भाजपा को कम सीटें मिलीं। कौशांबी विधानसभा लोकसभा चुनाव की मिसाल दी जा रही है। जहां प्रतापगढ़ के राजा रघुराज प्रताप सिंह ऐन आखिरी वक्त में सपा के पाले में चले गए और भाजपा के सिटिंग सांसद हार गए। इस खेमे का मानना है कि राजपूतों में यह बात घर कर गई थी कि अगर केंद्र सरकार मजबूत होती है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खतरा है। इसी के चलते राजपूत ने भाजपा को झटका दे दिया। कहा जा रहा है कि सीएम के इशारे पर राजपूत घर में बैठ गए। यही नहीं संघ को लेकर भी बात कही जा रही है कि संघ के बड़े अधिकारी भी सरकार को लगाम लगाना चाहते थे। अब माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की राजनीति करवट लेगी। कुछ लोगों को आशंका है कि योगी आदित्यनाथ को हटाया जा सकता है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ऐसा करना भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बस की बात नहीं है। वह सिर्फ अभी राजनीति का आकलन कर रहे हैं। स्थिति को भांपने में लगे हुए हैं। कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ शिवराज सिंह चौहान नहीं हैं। योगी आदित्यनाथ को हटाना भाजपा के लिए मुश्किल होगा।
महाराष्ट्र व झारखंड के विधानसभा चुनाव तय करेंगे दिशा
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के परिणाम उत्तर प्रदेश की राजनीति पर असर डालेंगे। महाराष्ट्र में लाडली बहना योजना लाई गई है। कहा जा रहा है कि यह योजना महाराष्ट्र में भाजपा की राजनीति को मजबूत करेगी।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक पर भी निशाना साधा जा रहा है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह दोनों नेता लोकसभा चुनाव के दौरान निष्क्रिय रहे।
मंत्री और सांसद भी दे रहे योगी के विरोध में बयान
योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने हार का ठीकरा बुलडोजर पॉलिसी पर फोड़ा है। उनका कहना है कि योगी सरकार की बुलडोजर पॉलिसी की वजह से जनता में उनके प्रति नाराजगी सामने आई। मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल आरक्षण को लेकर योगी सरकार पर निशाना साध चुकी हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर भाजपा के सांसद और विधायक योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं तो इसमें ऊपर के नेताओं का हाथ है। उनके बिना यह मंत्री सांसद कुछ नहीं बोल सकते।