रांची : झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रह चुके और डाल्टन विधानसभा से 6 बार जीत का परचम लहराने वाले इंदर सिंह नामधारी अपने बेटे दिलीप सिंह नामधारी को विधायक बनाना चाहते हैं। दिलीप सिंह नामधारी की राजनीति में इंट्री के लिए इंदर सिंह नामधारी परेशान हैं। इंदर सिंह नामधारी ने बेटे को सियासत के मैदान में उतारने के लिए इस कदर परेशान हैं कि वह भाजपा, जदयू और कांग्रेस तीनों दलों के संपर्क में हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस में से जो पार्टी दिलीप सिंह नामधारी को डाल्टनगंज विधानसभा सीट से टिकट दे देगी। इंदर सिंह बेटे को उसी पार्टी में शामिल करा देंगे।
दिल्ली में भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात
इंदर सिंह नामधारी हाल ही में दिल्ली गए थे। वहां उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकर्जुन खड़गे से मुलाकात की है। इस मुलाकात में इंदर सिंह नामधारी ने अपने बेटे दिलीप सिंह नामधारी के लिए डाल्टनगंज सीट से टिकट मांगा है। सूत्र बताते हैं कि इंदर सिंह नामधारी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना पूरा राजनीतिक इतिहास बताया है। यह भी बताया है कि वह विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही डाल्टनगंज से छह बार विधायक रह चुके हैं। बताते हैं कि फिलहाल इंदरसिंह नामधारी की बात नहीं बन पाई है। कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें प्रदेश में नेताओं के संपर्क में रहने और प्रदेश अध्यक्ष से बात करने को कह दिया है। साथ ही कहा है कि दिलीप सिंह नामधारी को पार्टी में शामिल कराएं। बाकी बात बाद में होगी।
भाजपा के भी संपर्क में है नामधारी
इंदर सिंह नामधारी भाजपा में रहे हैं। इसलिए भाजपा के बडे़-बड़े नेताओं से उनका संपर्क है। अपने बेटे को डाल्टनगंज से टिकट दिलाने के लिए वह भाजपा में भी लाइनअप कर रहे हैं। मगर, बेटे के लिए डाल्टनगंज से भाजपा का टिकट हासिल कर पाना इंदर सिंह नामधारी के टेढ़ी खीर है। क्योंकि, अभी डाल्टनगंज से भाजपा के आलोक चौरसिया विधायक हैं। अब भाजपा अपने सिटिंग विधायक आलोक चौरसिया का टिकट काट कर तो दिलीप सिंह नामधारी को टिकट नहीं देगी। मगर, राजनीति में कभी कुछ भी संभव है। मगर, इस बार भाजपा झारखंड में सरकार बनाना चाहती है। इसलिए, इस बार भाजपा किसी भी सीट पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। बताते हैं कि डाल्टनगंज में आलोक चौरसिया की सियासी स्थिति बढिया है। इसलिए, उनका टिकट कटने का इमकान कम है। ााजपा
2009 में चुनाव हार गए थे नामधारी
भाजपा ने दिलीप सिंह नामधारी को डाल्टनगंज विधानसभा सीट से 2009 में भी उम्मीदवार बनाया था। मगर, दिलीप सिंह नामधारी यह चुनाव हार गए थे। उन्हें कांग्रेस के केएन त्रिपाठी ने चुनाव हरा दिया था। दिलीप सिंह नामधारी को 39 हजार 338 मत ही मिले थे। जबकि, केएन त्रिपाठी को 43 हजार 771 वोट मिले थे। यही वजह है कि दिलीप नामधारी को न कांग्रेस भाव दे रही है और ना ही भाजपा। इसलिए, उन्हें भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों से टिकट मिलने की उम्मीद कम है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगर दिलीप सिंह नामधारी को टिकट मिलेगा तो कांग्रेस से ही थोड़ा-बहुत चांस बनता है।
जदयू के भी संपर्क में हैं नामधारी
इंदरसिंह नामधारी जदयू से भी विधायक रहे हैं। जदयू के नेताओं से भी उनके संपर्क हैं। इसलिए, बेटे को डाल्टनगंज से टिकट दिलाने की कवायद में इंदर सिंह नामधारी ने जदयू के नेताओं से भी संपर्क किया है। कहा जा रहा है कि इंदरसिंह नामधारी चाहते हैं कि जदयू डाल्टनगंज सीट अपनी झोली में ले ले और फिर दिलीप सिंह नामधारी को टिकट दे दे।
दो बार से विधायक हैं आलोक चौरसिया
डाल्टनगंज से भाजपा विधायक आलोक चौरसिया दो बार से विधायक हैं। आलोक चौरसिया ने साल 2014 में कांग्रेस के केएन त्रिपाठी को हराया था। आलोक चौरसिया को 59 हजार 202 वोट मिले थे। इस बार वह झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़े थे। कांग्रेस के उम्मीवार केएन त्रिपाठी को 43 हजार 571 मत हासिल हुए थे। साल 2019 के चुनाव में आलोक चौरसिया भाजपा में चले गए। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए 1 लाख 3 हजार 698 वोट हासिल किए थे। जबकि, कांग्रेस के केएन त्रिपाठी को 82 हजार 181 वोट से ही संतोष करना पड़ा था।
डाल्टनगंज में 17 बार विधानसभा चुनाव, छह बार जीते इंदरसिंह
संविधानसभा के गोपा बाबू ने इस विधानसभा सीट पर 1952 में जीत हासिल की थी। इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी उमेश्वरी चरण जीते थे। वरिष्ठ अधिवक्ता सच्चिदानंद त्रिपाठी ने भी इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। स्वतंत्रता सेनानी पूरण चंद्र चार बार यहां के विधायक रहे। 1985 में ईश्वर चंद्र पांडेय को यहां से जीत मिली। 1990 से लगातार छह बार इंदरसिंह नामधारी डाल्टनगंज से जीतते रहे। इस तरह, इस सीट पर कुल 17 बार चुनाव हुआ है। इसमें से सबसे अधिक 6 बार इंदरसिंह नामधारी ने जीत हासिल की है। जबकि, स्वतंत्रता सेनानी पूरनचंद्र ने चार बार जीत हासिल की है।
बेरोजगारी है समस्या
डाल्टनगंज इलाके में इंडस्ट्री का अभाव है। इसलिए बेरोजगारी बहुत है। इलाके के युवा काम करने के लिए दूसरे राज्यों को पलायन कर जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल की समस्या है। किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच रहा है।
डाल्टनगंज विधानसभा सीट
1952- अमिये कुमार घोष उर्फ गोपा बाबू, कांग्रेस
1957- उमेश्वर चरण, कांग्रेस
1962- सच्चिदानंगर त्रिपाठी, स्वतंत्र पार्टी
1967- पूरनचंद, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1969- पूरनचंद, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1972-पूरनचंद, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1977- पूरनचंद, जनता पार्टी
1980- इंदरसिंह नामधारी, भाजपा
1985- ईश्वर चंद्र पांडेय, कांग्रेस
1990- इंदरसिंह नामधारी, भाजपा
1995- इंदर सिंह नामधारी, जनता दल
2000- इंदरसिंह नामधारी, जेडीयू
2005- इंदरसिंह नामधारी, जेडीयू
2007- इंदरसिंह नामधारी, निर्दलीय
2009 -केएन त्रिपाठी, कांग्रेस
2014- आलोक चौरसिया, भाजपा
2019- आलोक चौरसिया, भाजपा