रांची संसदीय क्षेत्र में आने वाली सिल्ली विधानसभा सीट इस बार प्रदेश की सबसे हाट सीटों में से एक होने वाली है। यहां से सुदेश महतो का विजय रथ रोकने की तैयारी चल रही है। प्रदेश भर की नजरें इस बात पर टिक गई हैं कि सिल्ली में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो का सिक्का चलेगा। या फिर जयराम महतो की पार्टी उनका विजय रथ रोकने में कामयाब होगी। आज हम अपनी इस रिपोर्ट में सिल्ली विधानसभा सीट पर चल रही सियासी उठापटक का विश्लेषण करेंगे। देखेंगे कि सुदेश महतो की इस सीट पर क्या सियासी समीकरण बन रहे हैं। क्या इस बार के चुनाव में सुदेश महतो अपनी कश्ती को मंजिल तक पहुंचा पाएंगे। या जयराम महतो यहां जो राजनीतिक तूफान उठा रहे हैं उसमें सुदेश की चुनावी नाव भंवर में फंस कर उलट तो नहीं जाएगी। वो कहावत है ना। एक जंगल में दो शेर नहीं हो सकते। वैसा ही सुदेश महतो और जयराम महतो के साथ है। कुड़मी वोटरों पर सियासत करने वाले यह दो कद्दावर नेता हैं। अब इस राजनीतिक जंगल में दो शेर कैसे रह सकते हैं। अब इन दो सियासी शेरों के बीच सिल्ली में राजनीतिक जंग का आगाज होने वाला है। जहां सुदेश महतो बैकडोर से अपनी चाल चल रहे हैं तो जयराम महतो सिल्ली में उन पर सामने से वार करने को तैयार हैं।
सिल्ली के सियासी शतरंज पर सेट किए जा रहे मोहरे
कहा जा रहा है कि सुदेश महतो को घेरने के लिए झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा JKLM के जयराम महतो कमर कस चुके हैं। वह इस विधानसभा चुनाव में सुदेश महतो को पटखनी देने पर आमादा नजर आ रहे हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो जयराम महतो सिल्ली के चुनावी शतरंज पर राजनीति के मोहरे सेट करने में लग गए हैं। सुदेश महतो के खिलाफ दमदार उम्मीदवार की तलाश की जा रही है। जयराम चाहते हैं कि साल 2014 के चुनाव में सुदेश महतो को हराने वाले अमित महतो उनके साथ आ जाएं। जयराम महतो अमित महतो को अपनी पार्टी में लेना चाहते हैं। इसके लिए अमित महतो को साधने की कोशिश शुरू कर दी गई है। अगर अमित महतो जयराम महतो की पार्टी JKLM में आते हैं तो वह सिल्ली से सुदेश महतो के खिलाफ उम्मीदवार होंगे। इस तरह, सिल्ली में चुनावी सीन कुछ इस तरह होगा। आजसू से सुदेश महतो और JKLM से अमित महतो होंगे। इसके अलावा, झामुमो का कोई उम्मीदवार होगा।
झामुमो में हो सकती है अमित महतो की वापसी
मगर, एक चर्चा जोरों से चल रही है। कहा जा रहा है कि अपनी खतियानी पार्टी बना कर राजनीति करने वाले अमित महतो झामुमो में घर वापसी करने के मूड में हैं। इसके लिए उनकी झामुमो से अंदरखाने बात चल रही है। झामुमो को भी सिल्ली में एक उम्मीदवार की तलाश है। ऐसे में अमित महतो झामुमो के सियासी खांचे में फिट बैठते हैं। क्योंकि, अमित महतो ने साल 2014 के चुनाव में इस सीट से झामुमो की जीत का परचम बुलंद कर दिया था। तो ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अमित महतो ने घर वापसी कर ली या फिर अपनी ही पार्टी से चुनाव लड़ने का एलान किया तो फिर जयराम महतो क्या करेंगे।
तब देवेंद्र नाथ महतो होंगे जयराम के प्रत्याशी
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तब जयराम महतो अपनी ही पार्टी के देवेंद्र नाथ महतो को सिल्ली से उतारेंगे। देवेंद्र नाथ महतो ने सिल्ली से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जता दी है। देवेंद्र नाथ महतो ने जयराम महतो के कहने पर इसी साल रांची लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था। देवेंद्र नाथ महतो को रांची लोकसभा सीट पर 1 लाख 32 हजार 647 वोट मिले थे। वह तीसरे नंबर पर थे। इससे जयराम महतो की पार्टी में देवेंद्र नाथ महतो का कद ऊंचा हो गया है। सिल्ली में देवेंद्र नाथ महतो को 49 हजार 362 वोट मिले थे। जबकि, कांग्रेस की यशस्विनी सहाय को 34 हजार 846 वोट और भाजपा के संजय सेठ को 57 हजार 281 वोट मिले थे। इसलिए, कहा जा रहा है कि जयराम महतो देवेंद्र नाथ महतो को सिल्ली से उतारने जा रहे हैं। अब अगर अमित महतो झामुमो से चुनाव लड़ते हैं तो ऐसे में सिल्ली में चुनावी नजारा कुछ यूं नजर आएगा। यहां आजसू से सुदेश महतो होंगे। तब जयराम महतो की पार्टी से देवेंद्र नाथ महतो ताल ठोकते नजर आएंगे। चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा।
अमित जयराम के साथ आए तो ईचागढ़ जाएंगे देवेंद्र
लेकिन, अगर अमित महतो जयराम महतो की पार्टी में आ जाते हैं तो देवेंद्र नाथ महतो को ईचागढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ने को कह दिया जाएगा। तब सिल्ली में मुकबला सुदेश महतो, अमित महतो और झामुमो के उम्मीदवार के बीच होगा। पर अगर, अमित महतो अपनी ही खतियानी पार्टी से चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला, सुदेश महतो, अमित महतो, देवेंद्र नाथ महतो और झामुमो के उम्मीदवार के बीच होगा। यानि, तब यहां चतुष्कोणीय मुकाबला हो सकता है। कहा जा रहा है कि इस बार सुदेश महतो की राह आसान नहीं होगी। सुदेश महतो को घेरने की पूरी कोशिश हो रही है।
महतो वोटों में बिखराव से सुदेश को होगा नुकसान
कहा जा रहा है कि अगर झामुमो के खिलाफ वाले महतो वोटों में बिखराव होता है तो सुदेश महतो को यहां से साल 2014 वाली स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अमित महतो ने सुदेश महतो को पटखनी दे दी है। अमित महतो ने 79 हजार 747 वोट हासिल कर सुदेश को 29 हजार 740 वोटों से शिकस्त दी थी। बाद में एक मामले को लेकर अमित महतो की विधायिकी चली गई तो इस सीट पर साल 2018 में उपचुनाव हुए। उपचुनाव में सुदेश महतो ने अपनी वापसी के लिए रात दिन एक कर दिया। मगर, झामुमो के टिकट पर चुनाव लडने वाली अमित महतो की पत्नी सीमा देवी ने सुदेश महतो को धूल चटा दी थी। उन्होंने सुदेश महतो को 13 हजार 510 वोटों से हराया था। सीमा देवी को 77 हजार 129 वोट मिले थे तो वहीं सुदेश महतो 63 हजार 619 वोट ही हासिल कर सके थे। हालांकि, 2019 के चुनाव में सुदेश महतो ने वापसी कर ली थी। उन्होंने झामुमो के टिकट पर चुनाव लड रहीं अमित महतो की पत्नी सीमा महतो को 20 हजार 195 वोटों से हरा दिया था। बाद में 20 फरवरी 2022 को अमित महतो ने खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग को लेकर अपनी पत्नी सीमा देवी के साथ झामुमो को अलविदा कह दिया था।
आजसू के गढ में ललकार रहे जयराम
सिल्ली विधानसभा सीट सुदेश महतो की परंपरागत सीट बन चुकी है। वह यहां से साल 2000 से 2009 तक लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। अब लोगों की नजरें सिल्ली विधानसभा सीट पर टिक गई हैं कि यहां के राजनीतिक हालात क्या होने वाले हैं। सिल्ली विधानसभा सीट पर कुड़मी वोटर उम्मीदवार की जीत की पटकथा लिखते हैं। इसीलिए इस सीट से चार बार सुदेश महतो, एक बार अमित महतो और एक बार उनकी पत्नी सीमा देवी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंच चुके हैं। सुदेश महतो ने अपना पहला चुनाव 25 साल की उम्र में लड़ा था। तब उन्होंने इंटर पास किया था। विधायक बनने के बाद वह यूथ आइकन बन गए थे। बाद में सुदेश महतो झारखंड के डिप्टी सीएम भी बने।
सीओ कार्यालय का घेराव करने के मामले में चली गई थी विधायकी
सिल्ली की सियासी फिजा में अमित महतो जिस तेजी से उभरे थे उतनी ही तेजी से उनका सियासी जीवन उलटफेर में फंस गया। साल 2006 में उन्होंने सोनााहतु में सीओ कार्यालय का घेराव किया था। इसमें हिंसा हुई थी और सीओ घायल हुए थे। इस मामले में अमित महतो के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। कोर्ट ने साल 2018 में अमित महतो को दो साल की सजा सुना दी थी। इसके बाद अमित महतो की विधायकी चली गई। हालांकि, बाद में साल 2023 में हाईकोर्ट ने उनकी सजा की अवधि को दो साल से कम करके एक साल कर दिया था। सजा कम हो जाने के बाद अब अमित महतो चुनाव लड़ सकते हैं।