जमशेदपुर : झामुमो छोड़ कर भाजपा में गए पूर्व सीएम चंपई सोरेन क्या सरायकेला में घिर जाएंगे। क्या उनके विरोधी झामुमो के साथ मिल कर सरायकेला सीट पर ऐसा ताना बाना बना रहे हैं कि उसमें चंपई सोरेन को फंसाया जा सके। इन दिनों झारखंड की सियासत में यह सवाल तैरने लगा है। कहा जा रहा है कि चंपई सोरेन ने सरायकेला के आदिवासी संगठनों पर डोरे डाले मगर उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी। यही नहीं, सरायकेला जिला का संगठन भी झामुमो के साथ है। इससे सरायकेला में चंपई सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
सरायकेला में कमजोर पड़ सकती है पकड़
भाजपा में चंपई सोरेन की जिम्मेदारी बढ़ गई है। चंपई सोरेन को आदिवासी सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है। चंपई को भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए लगाया गया है। चंपई सोरेन अपने काम में जुट गए हैं। उन्होंने पिछले दिनों पाकुड़ इलाके का दौरा किया था। उस इलााके में कई मीटिंग की थी। चंपई सोरेन दुमका भी गए थे। यहां वह आदिवासी संगठनों से मिले थे। चंपई सोरेन लिट्टी पाड़ा पहुंचे थे और वहां उन्होंने आदिवासी संगठनों से मुलाकात की थी। यहां आदिवासी समाज के लोगों से मीटिंग करने के बाद चंपई सोरेन पाकुड़ पहुंचे थे। यहां आदिवासी समाज के साथ उन्होंने एक मीटिंग की थी और यहां एक सम्मेलन भी आयोजित किया गया था। चंपई सोरेन ने पाकुड़ में केकेएम कॉलेज हास्टल में छात्रों से मुलाकात की थी।
संथाल पर फोकस किया तो हाथ से निकल सकता है सरायकेला
सूत्र बताते हैं कि चंपई सोरेन को विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी सीट के अलावा अन्य आदिवासी सीटों पर फोकस करना होगा। ऐसे में वह सरायकेला पर उतना पहले जैसा फोकस नहीं कर पाएंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि खरसावां में साल 2014 के चुनाव में पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की हार का मुख्य कारण यह भी था कि वह पूरे झारखंड पर फोकस कर रहे थे और अपनी सीट खरसांवा पर ध्यान नहीं दे पाए थे। यही, स्थिति साल 2019 के चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी सीट पर हुई थी। तत्कालीन सीएम रघुवर दास भी चुनाव में झारखंड पर फोकस कर रहे थे। वह भी जमशेदपुर पूर्वी में कम समय दे पाए थे। तत्कालीन सीएम रघुवर दास के जमशेदपुर पूर्वी में अधिक ध्यान नहीं दे पाने की वजह से यहां विधायक सरयू राय ने खेल कर दिया था और रघुवार दास का अपना किला ढह गया था।
चंपई को भितरघात का भी खतरा
कहा जा रहा है कि चंपई सोरेन को सरायकेला में भितरघात भी झेलना पड़ सकता है। सरायकेला विधानसभा सीट से भाजपा के कई नेता चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। अब चंपई सोरेन के भाजपा में आने से उनके अरमानों पर पानी फिर गया है। इस वजह से यह नेता चंपई से अंदर अंदर नाराज नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह नेता चंपई के साथ भितरघात कर सकते हैं। बताते हैं कि सरायकेला के स्थानीय भाजपा नेताओं में ऐसे लोगों की अच्छी खासी तादाद है जो चंपई सोरेन को नापसंद करते हैं। ऐसे में सरायकेला में चंपई सोरेन की राह आसान नहीं होगी। चंपई को यहां काफी मेहनत करनी पड़ेगी। आदिवासी समाज को तोड़ना चंपई के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
माझी-परगना महाल संगठन झामुमो के साथ
सूत्र बताते हैं कि चंपई सोरेन ने सरायकेला में माझी परगना महाल संगठन पर डोरे डालने की कोशिश की थी। इन्हें भाजपा के पाले में करने की बात चल रही थी। मगर, संगठन के जिम्मेदारों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। सूत्रों की मानें तो सरायकेला के सभी आदिवासी संगठनों के कुछ जिम्मेदारों ने रांची जाकर सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की है और झामुमो के साथ ही अपनी निष्ठा व्यक्त की है।