जमशेदपुर : झारखंड की हाट सीटों में से एक जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर चल रही सियासी रस्साकशी खत्म हो गई है। जमशेदपुर पूर्वी की सीट जदयू की झोली में चली गई है। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय की सीट फाइनल हो गई है। तय हो गया है कि विधायक सरयू राय जदयू के टिकट पर जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ेंगे। इस सीट को लेकर ओडिशा के राज्यपाल पूर्व सीएम काफी उतावले हो रहे थे। मगर, भाजपा की तरफ से उन्हें समझा दिया गया है कि ज्यादा हड़बड़ी नहीं करें। सोच समझ कर काम लें। इसके बाद रघुवर दास अब बैकफुट पर हैं। जबकि, सीट फाइनल होने के बाद सरयू राय अपनी जीत की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। बताते हैं कि भाजपा ने काफी कोशिश की कि जमशेदपुर पूर्वी सीट पार्टी के ही खाते में रहे। जदयू को दूसरी सीट दे दी जाए। मगर, सरयू राय इसके लिए नहीं मानें। अंत में जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भाजपा नेताओं से साफ कह दिया था कि जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर उनका सिटिंग विधायक है। इस पर कोइ समझौता नहीं होगा। यह सीट जदयू को चाहिए ही चाहिए।
जदयू से लड़ने से सरयू को क्या होगा फायदा
जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय की सीट को लेकर चिंता खत्म होने के बाद अब चुनावी समीकरण पर कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि चुनाव में सरयू राय के साथ भारतीय जनतंत्र मोर्चा के कार्यकर्ता रहेंगे। जमशेदपुर में जदयू का राजनीतिक संगठन उतना मजबूत नहीं है। फिर भी जदयू से सरयू राय को समर्थन मिलेगा। सरयू राय ने इस रणनीति के तहत जदयू ज्वाइन किया था कि जमशेदपुर पूर्वी की सीट जदयू को मिल जाएगी। इसके बाद सरयू राय का काम आसान हो जाएगा। जमशेदपुर पूर्वी की सीट जदयू की झोली में चले जाने के बाद अब यह तय हो गया है कि सरयू राय के सामने भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं होगा। इससे सरयू राय राहत महसूस करेंगे। यही नहीं, भाजपा के स्टार प्रचारक भी उनके समर्थन में सभा करेंगे। सरयू राय को इसका भी फायदा मिलेगा।
फिर भी आसान नहीं होगी सरयू की राह
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सरयू राय को इसका उतना फायदा नहीं हो पाएगा। क्योंकि, उनके साथ भी भितरघात की आशंका है। सरयू राय भी इससे भलीभांति परिचित हैं। इस इलाके में पूर्व सीएम रघुवर दास का तगड़ा नेटवर्क है। कई सामाजिक संगठन हैं जो सीधे रघुवर दास से जुड़े हैं। इस इलाके के अधिकतर भाजपा नेता रघुवर दास के ही करीबी माने जाते हैं। ऐसे में सरयू राय भाजपा के नेटवर्क और कैडर का चुनाव में कितना फायदा उठा पाते हैं यह उनके राजनीतिक कौशल प डिपेंड करता है। माना जा रहा है कि भाजपा के कैडर और पदाधिकारियों को साधना सरयू राय के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। जनता को भी मालिकाना हक के मुद्दे पर मायूसी मिली है। ऐसे में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भी सरयू राय की राह आसान नहीं होगी।
डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा
रघुवर दास इस सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर हड़बड़ी में थे। अब उनसे कह दिया गय है कि हड़बड़ी नहीं करें। खबरें आई थीं कि अगर जमशेदपुर पूर्वी सीट भाजपा को नहीं मिली तो रघुवर निर्दलीय ही चुनाव लड़ सकते हैं। इसी को लेकर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा उन्हें समझाने के लिए ओडिशा गए थे। भाजपा चाहती है कि रघुवर दास पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिए गए फैसले के विरोध में न जाएं। पार्टी के फैसले के साथ खड़े हों। हिमंता बिस्वा सरमा ने रघुवर को यही समझाया है। रघुवर दास को पार्टी की मजबूरी भी बताई गई है। उन्हें बताया गया है कि केंद्र में जदयू सरकार को समर्थन दे रही है इसलिए उसकी बात मानना पार्टी की मजबूरी है। गौरतलब है कि भाजपा इस बार झारखंड में हर हाल में सरकार बनाना चाहती है। इसके लिए उसे एक-एक सीट पर जीत की रणनीति बनानी है। भाजपा चाहती है कि उसे एनडीए को अधिक से अधिक सीटें मिलें। इसके लिए वह नहीं चाहती कि जमशेदपुर पूर्वी की सीट उसके हाथ से निकल जाए।
रघुवर व सरयू में है पुरानी अदावत
रघुवर दास और सरयू राय में पुरानी अदावत है। साल 2014 में जब झारखंड में रघुवर दास की सरकार बनी तो सरयू राय के मंत्री बनने पर भी आशंका के बादल थे। बाद में शीर्ष नेतृत्व के कहने पर रघुवर ने सरयू को मंत्री बनाया था। मगर, सरकार के अहम फैसले सरयू को नहीं पता होते थे। रघुवर सरकार में सरयू राय हमेशा हाशिए पर ही रहते थे। सरयू राय ने तभी इसकी शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से की थी। इसके बाद भी हालात नहीं सुधरे थे। यहां तक की साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय का उनकी सीट जमशेदपुर पश्चिम से टिकट मिलने में भी संशय था। सरयू ने कई बार भाजपा के नेताओं से टिकट के बारे में जानना चाहा मगर, वहां से कोई सटीक जवाब नहीं मिल रहा था। सरयू राय भी डोलड्रम में थे। तभी उम्मीदवारों की आखिरी सूची आने के बाद भी जब जमशेदपुर सीट पर उम्मीदवारी को वेटिंग में रखा गया तब सरयू ने बगावत का एलान कर दिया और जमशेदपुर पूर्वी सीट से रघुवर के खिलाफ ही चुनाव लड़ गए।
सरयू ने 15 हजार से अधिक वोटों से रघुवर को दी थी शिकस्त
सरयू राय साल 2019 के चुनाव में तत्कालीन सीएम भाजपा के उम्मीदवार रघुवर दास के खिलाफ निर्दलीय ही मैदान में उतर गए थे। जनता में खूब जोश खरोश था। सरयू राय ने लोगों से वादा किया कि वह क्षेत्र को मालिकाना हक दिलाएंगे। इससे जनता को उनसे उम्मीद बढ़ी। इसके बाद हुए चुनाव में सरयू राय ने 73 हजार 945 वोट हासिल किए थे। इस इलाके में अजेय समझे जाने वाले रघुवर दास 58 हजार 112 वोट ही मिले थे। सरयू राय की जीत ने रघुवर दास का कॅरियर ही दांव पर लगा दिया है। अब वह झारखंड की राजनीति में आने को बेताब हैं मगर सियासी कील और कांटा नहीं बैठ पा रहा है।
कांग्रेस के डा. अजय व सरयू में हो कसता है मुकाबला
कांग्रेस से इस सीट पर पूर्व सांसद डा. अजय कुमार ताल ठोक सकते हैं। वह टिकट के दावेदार हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें हरी झंडी दे दी है कि वह जमशेदपुर पूर्वी से तैयारी करें। कहा जा रहा है कि कांग्रेस से डा. अजय कुमार का टिकट पक्का है। हालांकि, कई कांग्रेसी नेता चाहते हैं कि टिकट डाक्टर अजय कुमार ने नहीं मिले। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे ही चुनाव लड़ने के लिए रेस हैं और टिकट पाने के लिए दिल्ली तक लाबिंग कर रहे हैं। मगर, डा. अजय का टिकट पक्का माना जा रहा है। ऐसे में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर सरयू राय व डा. अजय में मुख्य मुकाबला होने की उम्मीद है।