जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर इस बार स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की राह रोकने के लिए एआइएमआइएम मैदान में उतर गया है। इस बार झामुमो नेता बाबर खान एआइएमआइएम के उम्मीदवार हो सकते हैं। माना जा रहा है कि मंगलवार को आज बाबर खान झामुमो से इस्तीफा दे देंगे। यही नहीं, इसी के साथ ही वह एआइएमआइएम ज्वाइन करने का भी एलान कर सकते हैं। अब बन्न गुप्ता की राह में एक और रोड़ा आ गया है। एआइएमआइएम से बाबर खान के आने से जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर इस बार सियासी समीकरण बदलने वाले हैं। कई चुनावों से मुस्लिम वोटर यहां से अपने समुदाय का विधायक चुनने के लिए बेताब हैं। इस बार एआइएमआइएम जमशेदपुर पश्चिम सीट पर एक तगड़ा उम्मीदवार तलाश कर रही थी। यह तलाश अब खत्म हो गई है। सूत्रों की मानें तो एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष ने जमशेदपुर आकर झामुमो नेता बाबर खान से मुलाकात की है। बाबर खान को एआइएमआइएम ज्वाइन करने के लिए तैयार कर लिया है। आइए हम जानते हैं कि बाबर खान के एआइएमआइएम में जाने से इंडिया गठबंधन का कितना नुकसान होगा। जमशेदपुर पश्चिम सीट पर नया राजनीतिक समीकरण क्या बनने जा रहा है।
पिछली बार एआइएमआइएम नहीं रहा था प्रभावी
पिछले विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर एआइएमआइएम प्रभावी नहीं रहा था। पार्टी ने जमशेदपुर के समाजसेवी रियाज शरीफ को टिकट दिया था। यह जमशेदपुर में एआइएमआइएम का पहला चुनाव था। इस चुनाव में एआइएमआइएम को 8 हजार पांच वोट मिले थे। मगर, इस बार माना जा रहा है कि बाबर खान एक कद्दावर मुस्लिम नेता माने जाते हैं। वह कई साल से झामुमो में रहे हैं। उनका मानगो ही नहीं, धतकीडीह, शास्त्रीनगर में खासा असर है। यही नहीं, जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट के आदिवासी इलाके में भी उनका प्रभाव है। इसलिए, वह एआइएमआइएम के लिए एक अच्छे उम्मीदवार साबित हो सकते हैं।
बन्ना को झेलनी पड़ सकती है बगावत
जमशेदपुर पश्चिम से अभी कांग्रेस के बन्ना गुप्ता विधायक हैं। मगर, इस बार उनका विजयी रथ रोकने की तैयारी हो रही है। जमशेदपुर पश्चिम इलाके में इस बार बन्ना गुप्ता का विरोध हो रहा है। उनके कई अपने साथी उनका विरोध कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस चुनाव में बन्ना गुप्ता को बगावत झेलनी पड़ सकती है। इससे कहा जा रहा है कि इस बार जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर बन्ना गुप्ता की राह आसान नहीं होगी। फिर भी बन्ना गुप्ता अभी से मेहनत में जुट गए हैं। उनकी बूथ समितियों की मीटिंग का दौर चल रहा है। जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा इलाके में बन्ना गुप्ता का अपना नेटवर्क है।
जमशेदपुर पश्चिम में आखिरी मुस्लिम विधायक थे हसन रिजवी
जमशेदपुर पश्चिम से कई मुस्लिम विधायक बने हैं। हसन रिजवी 1990 में झामुमो के टिकट पर यहां से जीते थे। इसके बाद कई बार मुस्लिम उम्मीदवारों ने यहां से चुनाव लड़ा मगर, जीत हासिल नहीं कर पाए। हसन रिजवी से पहले कांग्रेस से मोहम्मद शमसुद्दीन खान और 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर अय्यूब खान चुनाव जीते थे। इसके बाद साल 2000 में कांग्रेस के टिकट पर शमसुद्दीन खान ने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में 22 हजार 568 वोट पाकर शमसुद्दीन खान दूसरे नंबर पर रहे। इस चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बन्ना गुप्ता को भी मतदाताओं ने निराश नहीं किया। उन्हें भी 22 हजार 568 मत मिले। झामुमो से सैयद नौशाद चुनाव लड़ रहे थे। सैयद नौशाद ने 10 हजार 849 वोट काट लिए। अगर सपा और झामुमो को मिले वोटों को जोड़ लिया जाए तो यह भाजपा के विजयी उम्मीदवार 49 हजार 413 से अधिक होता है। यानि, अगर सपा और झामुमो के यह वोट कांग्रेस को मिल जाते तो कांग्रेस के उम्मीदवार शमसुद्दीन की जीत निश्चित थी।
2005 में हिदायत खान ने की थी कोशिश
साल 2005 के चुनाव में वर्तमान में झामुमो के वरिष्ठ नेता हिदायतउल्ला खान ने विधायक बनने की कोशिश की थी। वह लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर यहां से खड़े हुए थे। तब भाजपा के उम्मीदवार सरयू राय ने 47 हजार 428 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भी भाजपाइयों ने अपनी राजनीतिक कुशलता से यह सीट जीती थी। इस चुनाव में हिदायत खान तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 34 हजार 124 वोट मिले थे। चौथे नंबर पर कांग्रेस की उम्मीदवार आयशा अहमद रही थीं। उन्हें 19 हजार 269 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर सपा के बन्ना गुप्ता थे। उन्हें 34 हजार 733 वोट मिले थे। अगर लोक जन शक्ति पार्टी और कांग्रेस को मिले वोटों को ही जोड़ दिया जाए तो यह सरयू राय को मिले वोटों से अधिक होता है।