जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी में भाजपा बेबस हो गई है। भाजपा चाहते हुए भी जमशेदपुर पूर्वी में अपने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास या उनके परिवार के लोगों को नहीं ला पा रही है। ऐसे में रघुवर को बैकफुट पर जाना पड़ा है। सरयू राय को राजनीति का चाणक्य ऐसे ही नहीं कहा जाता। ऐसा दांव चला कि जमशेदपुर पूर्वी में रघुवर की सियासत को चारो खाने चित कर दिया है। भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि अमित शाह ने सरयू को मनाने की काफी कोशिश की मगर कामयाबी नहीं मिली। कहा जा रहा है कि सरयू राय को समझाया गया कि वह राजी-खुशी अपनी सीट जमशेदपुर पश्चिम से बदल लें। सरयू जमशेदपुर पश्चिम में चले जाएं और पूर्वी से रघुवर या उनके परिवार के लोगों को लड़ने दें। सूत्रों की मानें तो सरयू अपनी सीट इस शर्त पर बदलने के लिए तैयार हैं कि जमशेदपुर पूर्वी से न तो रघुवर दास को टिकट मिलेगा और ना ही उनके परिवार को। कहा जा रहा है कि भाजपा भी इसके लिए तैयार हो गई है।अब यह पक्का हो गया है कि जमशेदपुर पूर्वी की सीट भले ही भाजपा की झोली में चली गई हो मगर अब यहां से न तो रघुवर दास आ सकते हैं और ना ही उनके परिवार का कोई सदस्य। यह सरयू की जीत मानी जा सकती है।
सरयू ने ले लिया अपना बदला
सीटों के बंटवारे का आम तौर से जो फार्मूला होता है उसके अनुसार जमशेदपुर पूर्वी की सीट जदयू को ही मिलनी चाहिए थी। मगर, ओडिशा के राज्यपाल झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास जिद पर अड़े थे। उन्होंने बीजेपी के सामने दो विकल्प रखे थे। पहला उन्हें खुद जमशेदपुर पूर्वी से टिकट दिया जाए। अगर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता तो उनके परिवार में से किसी एक को यहां से उम्मीदवार बनाया जाए। भाजपा इन दोनों के लिए तैयार थी। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो भाजपा ने रघुवर को पूर्वी का टिकट देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। मगर, उसकी सरयू के सामने एक नहीं चली। सरयू ने भाजपा के सामने साफ शर्त रख दी कि वह यह सीट तभी छोड़ेंगे जब यहां से रघुवर की सियासत का नामोनिशान नहीं रहे। भाजपा को मन मसोस कर सरयू की शर्त माननी पड़ी है। इस तरह, सरयू राय ने भी रघुवर दास से अपना बदला ले लिया। रघुवर ने भी साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय को भाजपा से टिकट नहीं लेने दिया था।
पूर्वी से टिकट लेने को रघुवर ने लगाया था एड़ी चोटी का जोर
झारखंड में चुनाव की सुगबुगाहट होने पर रघुवर ने जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा की उम्मीदवारी पाने की कोशिश की। दिल्ली जाकर अमित शाह से मिले। सारी गोटें सेट कर दी गईं। सरयू राय को घेरने की कोशिश शुरू कर दी गई। इन सबसे परेशान सरयू राजनीति के इस कुचक्र से निकलने की कोशिश करने में जुट गए। मगर, जब सरयू ने दांव चला तो रघुवर का सारा किया धरा बेकार हो गया। सरयू ने दिमाग लगाया और जदयू को साध लिया। पहले पटना जाकर बिहार के सीएम नीतिश कुमार को पटाया और फिर दिल्ली जाकर जदयू के चाणक्य कहे जाने वाले कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा से बात कर उनकी पार्टी में शामिल हो गए। सरयू के जदयू में शामिल होते ही बीजेपी के हाथ पैर फूल गए। तभी साफ हो गया था कि अब सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी सीट पर आसानी से कब्जा मार देंगे। क्योंकि, दिल्ली में भाजपा की सरकार जदयू की मेहरबानी पर ही चल रही है। मगर, बाद में भजपा ने सरयू के सामने जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ने के लिए कह दिया।
सरयू को मिला नीतिश का साथ
28 सितंबर को जब यह पक्का हो गया कि जमशेदपुर पूर्वी की सीट सरयू के लिए फाइनल हो गई है तो रघुवर दास ने आखिरी कोशिश की और दिल्ली पहुंच गए। इसकी भनक सरयू राय को लग गई। जानकारी मिलने के बाद विधायक सरयू राय ने बिहार के सीएम नीतिश कुमार से बात की। इधर रघुवर दिल्ली पहुंचे और उधर पीछे पीछे नीतिश कुमार और सरयू राय भी दिल्ली पहुंच गए। रघुवर के कहने पर अमित शाह कुछ सख्त फैसला लेते कि उसके पहले ही सरयू राय के लिए नीतिश कुमार खड़े हो गए। सूत्र बताते हैं कि सरयू राय के लिए नीतिश कुमार ने ऐसा स्टैंड लिया कि अमित शाह को लगा कि अब अगर इधर से उधर हुआ तो गठबंधन ही खतरे में पड़ जाएगा। केंद्र सरकार मुसीबत में नहीं फंसे इसके लिए अमित शाह ने आखिरी दांव चला और कहा कि अगर चाहें तो सरयू राय जमशेदपुर पश्चिमी से लड़ जाएं। यह सरयू राय की मर्जी पर छोड़ा गया। तब सरयू ने मौका गनीमत जान कर दिमाग लगाया और रघुवर या उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं देने की शर्त लगा दी। इस तरह फिलहाल सरयू रघुवर को सियासी हाशिए में धकेलने में कामयाब हो गए हैं।
पूर्वी से ब्राम्हण या भुमिहार उम्मीदवार को मिल सकता है चांस
भाजपा अब जमशेदपुर पूर्वी से दमदार उम्मीवार की तलाश में जुट गई है। भाजपा का थिंक टैंक जमशेदपुर पूर्वी से कोई ब्राम्हण या भुमिहार उम्मीदवार लड़ाना चाहता है। इसके लिए पूर्व क्रिकेटर सौरभ तिवारी की चर्चा चल रही है। सौरभ तिवारी दिल्ली जा कर अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं। जबकि, भुमिहार के नाम पर रांची के एक भाजपा के कद्दावर नेता का नाम आ रहा है। अब देखना है कि पूर्वी में भाजपा की तरफ से कौन उम्मीदवार सामने आता है।
हाथ से निकल गया किला
राजनीति के जानकार कहते हैं कि अगर सरयू राय को साल 2019 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम से टिकट मिल जाता तो आज पूर्वी में इतना तूफान नहीं मचता। रघुवर दास ने कई साल मेहनत मशक्कत कर पूर्वी को अपना किला बनाया था। उन्होंने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि उनका यह किला कभी उनके चिर प्रतिद्वंद्वी सरयू राय ही ध्वस्त कर देंगे। अब अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस चुनाव में यहां से रघुवर या उनके परिवार को भाजपा का टिकट नहीं मिलेगा।