रांची : कांग्रेस और जेएमएम के बीच इन दिनों सीटों के बंटवारे पर मंथन शुरू कर दिया है। कांग्रेस 32 से 35 सीटें मांग रही है। जबकि, जेएमएम चाहती है कि इस बार कांग्रेस को 20 सीटें दी जाए। जेएमएम के नेताओं का तर्क है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को 32 सीटें मिली थीं। मगर, वह 17 सीटें ही जीत सकी थी। इसलिए जेएमएम का फार्मूला ऐसा है कि कांग्रेस उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़े जिसमें उसका प्रदर्शन अच्छा रहा था। ऐसी सीटें छोड़ दे जहां वह भाजपा के सामने काफी कमजोर रही थी। तो, दूसरी तरफ कांग्रेस ने रोटेशनल सीएम का मुद्दा उठा दिया है। मसलन, कांग्रेस चाहती है कि सीएम के पद पर कांग्रेस की भी दावेदारी होनी चाहिए। कांग्रेस इसी वजह से इस बार अधिक सीटें चाहती है। कांग्रेस का तर्क है कि उसे अधिक सीटें दी जाए तो वह चुनाव में भी अधिक सीटें जीते और सीएम पद पर भी उसकी दावेदारी हो। कहा जा रहा है कि सीटों के बंटवारे पर चल रही रस्साकशी से कांग्रेस-जेएमएम के गठबंधन पर खतरा मंडराने लगा है। माना जा रहा है कि जेएमएम रोटेशनल सीएम को लेकर तैयार नहीं है।
दोनों दल कर रहे 81 सीटों पर तैयारी
जेएमएम और कांग्रेस दोनों दल झारखंड की सभी 81 सीटों पर तैयारी कर रहे हैं। जेएमएम सभी सीटों पर उम्मीदवारों की सूची तैयार कर रही है। इसी तरह, कांग्रेस भी सभी सीटों पर उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ऐसा हर चुनाव में होता है कि राजनीतिक दल सभी सीटों पर अपनी तैयारी रखते हैं। ताकि, अगर बीच में गठबंधन पर आंच आती है तो दलों के पास पहले से ही उम्मीदवार तैयार रहें। इसी तरह, एनडीए के घटक दल भी सभी सीटों पर तैयारी कर रहे हैं। भाजपा ने अभी कुछ दिन पहले सभी सीटों पर उम्मीदवारों के चयन के लिए रायशुमारी कराई है। आजसू भी सभी सीटों पर सम्मेलन किया है और संगठन को मजबूत किया है।
सीटों के फार्मूले के लिए इंडियन गठबंधन में पहले चक्र की बातचीत
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के फार्मूले के लिए इंडियन गठबंधन के नेताओं ने बातचीत शुरू कर दी है। कुछ दिन पहले ही सीएम हेमंत सोरेन से कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात में सीटों के बंटवारे पर बातचीत हुई है। कहा जा रहा है कि जेएमएम सीपीआइ एमएल को छह से सात सीटें तक देने का मन बनाए हुए है। जेएमएम का मानना है कि चुनाव के बाद अगर विधायकों के खरीद-फरोख्त की बात आएगी तो सीपीआइ एमएल के विधायकों के बीजेपी में जाने की संभावना न के बराबर होगी।