नई दिल्ली: जम्मू- कश्मीर में चुनाव समाप्त हो गए नतीजे भी आ गए. इस चुनाव के नतीजे बहुत ही चौका देने वाले आये. सबसे बड़ी बात तो यह है की यहां 10 सालों के बाद चुनाव हुए. इस बार चुनाव में किसी भी तरीके का हिंसा नहीं हुआ. मतदाताओं ने बिना किसी कहुफ़ के अपना मत से अपना प्रतिनिधि चुना. इस चुनाव के नतीजे के बाद यह सवाल उठ रहा है कि आखिर कश्मीर घाटी के मुसलमानों ने भाजपा को वोट क्यों नही देते है? इस चुनाव में जम्मू में तो भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन दिखाया. लेकिन कश्मीर में भाजपा अपना कमाल नहीं दिखा पाई. जम्मू-कश्मीर के कुल 90 विधानसभा सीट है. इसमें भाजपा को केवल 29 सीट में जीत मिली है. यह सारी सीट भाजपा को जम्मू के 43 विधानसभा सीट में से मिली है. वहीं दूसरी ओर कश्मीर से भाजपा को एक भी सीट में जीत नहीं मिली है. भाजपा कश्मीर में कमल नहीं खिल पाई. भाजपा का कश्मीर में अब तक का यह सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा है.
चुनाव विश्लेषकों का कहना है की इस बार भाजपा ने कश्मीर के 47 सीट में से केवल 19 प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था. भाजपा ने जिन 19 सीटों पर अपना उम्मेदवार खड़ा किया था, वह सारे मुस्लिम थे. भाजपा के कई बड़े नेता यहा तक की पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने तो यह दावा किया था की कश्मीर से धरा 370 को हटाने के बाद इलाके में बहुत शांति है. उन्होंने यह भी दावा किया था कि कश्मीर के लोगों को भारतीय जनता पार्टी के ऊपर पूरा भरोसा है. लेकिन कश्मीर के लोगों ने भाजपा पर भरोसा नहीं दिखाया.
चुनाव में किसने कितने सीट जीते
जम्मू-कश्मीर में कुल 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ. सरकार बनाने का आकड़ा 46 का है. इस बार हुए चुनाव में भाजपा ने 29 सीटों पर 25.64 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. कांग्रेस ने 06 सीटों पर 11.97 वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटों पर 23.43 परिषत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. पीडीपी ने 03 सीटों पर 8.87 वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. माकपा ने 01 सीट पर 0.59 वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. आम आदमी पार्टी ने 01 सीट पर 0.52 वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. निर्दलीय उम्मीदवारों ने 08 सीटों पर 28.98 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की.
भाजपा का राशिद फैक्टर हुआ फेल
चुनाव विश्लेषकों के अनुसार लोकसभा चुनाव में जीते हुए इंजीनियर राशिद विधानसभा चुनाव में कोई कमाल नहीं दिखा पाए. उनका लोकसभा चुनाव जीतना बस केवल उस समय के माहौल के कारण था. इंजीनियर रशीद की लीडरशिप वाली जमात-ए-इस्लामी और अवामी इत्तेहाद पार्टी के प्रत्याशियों ने कोई खास प्रभाव नहीं डाला. कुल 44 उम्मीदवारों को इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने चुनावी मैदान में उतरा था. लेकिन एक ने भी जीत हासिल नहीं की थी.
धारा 370 हटाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन ने भाजपा के मुश्किलें बढ़ा दी थी. इनके गह्थ्बंधन के बाद कश्मीर में भाजपा के खिलाफ भाजपा विरोधी लहर फ़ैल गई. कश्मीर के लोगों ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस को एक अच्छा विकल्प माना. वहीं दूसरी ओर भाजपा के लिए धारा 370 को हटाना एक बड़ी चुनौती साबित हुई. भाजपा ने धारा 370 हटाने के बाद सारे देश में एक नरेटिव सेट तो कर दिया. लेकिन भाजपा कश्मीर के लोगों को यह बात नहीं समझा पायी की धारा 370 के हटने के बाद उनके सारे प्रोब्लम्स ख़तम हो गए.
नेशनल कॉन्फ्रेंस को पीडीपी के कमजोर होने का मिल फ़ायदा
इस बार के चुनाव में महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी पार्टी का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा. पीडीपी के खाते में इस चुनाव में केवल 03 सीट ही आई. पीडीपी के कमजोर हो जाने के कारण नेशनल कॉन्फ्रेंस को इसका खूब फ़ायदा मिला. इसके परिणाम यह रहे की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कुल 42 सीटों पर जीत हासिल की.
भाजपा को नहीं मिला गुज्जर-बकरवाल समुदाय का साथ
जम्मू-कश्मीर में चुनाव जीतने के लिए गुज्जर-बकरवाल समुदाय के लोगों की भूमिका काफी अहम मानी आती है. जम्मू-कश्मीर में चुनाव जीतने के लिए सारी राजनीतिक पार्टियां इन ही दोनों समुदायों को साधने का प्रयास करती है. भाजपा ने गुज्जर समुदाय के लोगों को साधने के खूब रणनीति बनाई लेकिन भाजपा का यह प्लान सक्सेस नहीं हो पाया. इस कारण से राजौरी-पुंछ के आठ सीटों में से भाजपा को केवल एक सीट पर जीत मिली.
जम्मू में भी भाजपा को क्लीन स्वीप नहीं
जम्मू को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है. जम्मू-कश्मीर में 90 में से 43 सीट जम्मू में है. इस बार भाजपा को केवल जम्मू के 29 सीटों में जीत मिली है. कश्मीर में भाजपा अपना हटा तक नहीं खोल पाई. इसका मुख्य कारण जम्मू में मौजूद अच्छी आबादी में हिंदू है. जम्मू को ही भाजपा का असल वोट बैंक माना जाता है. लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा ने जम्मू के पीरपंजाल से कई मुस्लिम कैंडिडेट्स उतारे थे क्योंकि यह इलाका मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. लेकिन इस क्षेत्र से उनमे से एक भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली.
कश्मीर से नहीं लड़ी थी लोकसभा 2024 चुनाव
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सिर्फ जम्मू से अपने उम्मेदवार उतारे थे. भाजपा ने कश्मीर से चुनाव नहीं लड़ा था. क्योंकि जम्मू हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है. भाजपा ने जम्मू के 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था. कश्मीर के मुस्लिम बाहुल्य इलाका होने के कारण भाजपा ने कश्मीर के 3 में से 1 सीट पर भी अपना उम्मेदवार नहीं खड़ा किया था. चुनाव में जम्मू और उधमपुर सीट पर भाजपा जीती थी.
मुस्लिम कैंडिडेट्स का प्लान हुआ फेल
जम्मू-कश्मीर के चुनाव में भाजपा ने बहुत सोची समझी रणनीति बनाई थी. भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर अपना दाव खेला था. कश्मीर में मुस्लिम समुदाय के लोगों का अधिक प्रभाव देखते हुए भाजपा ने कश्मीर में कुल 19 मुस्लिम कैंडिडेट्स उतारे थे. लेकिन भाजपा का यह प्लान फेल हो गया सारे उम्मीदवार हार गए. कश्मीर में हुए पंचायत चुनाव में भी भाजपा ने अपने प्रत्याशियों को मौका दिया था. इसमें कुछ हद तक भाजपा कामियाब भी हुई थी. इसी कारण से विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुस्लिम कैंडिडेट्स को उतारने की रणनीति बनाई थी. लेकिन बीजेपी का प्लान फेल हो गया.
एक दशक पहले भाजपा की क्या थी स्थिति
पिछली बार 10 साल पहले जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए थे. इस चुनाव में भाजपा 25 सीटों पर जीत हासिल कर के दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी. महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने कुल 28 सीट जीती थी. इसके बाद भाजपा और पीडीपी ने मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई थी. लेकिन साल 2018 में दोनों पार्टियों के बीच आपसी मतभेद के कारण सरकार गिर गई थी. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में कोई भी चुनी हुई सरकार नहीं थी. इस बार के चुनाव में भाजपा को कुल 29 सीट मिली है.