रांची : झारखंड का चुनावी रण जोर पकड़ चुका है। भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी अपने इक्कीस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। जमशेदपुर ईस्ट विधानसभा क्षेत्र पर लोगों की निगाह लगी थी कि यहां से किसे टिकट मिलता है। मगर, कांग्रेस ने यहां कोई चौंकाने वाला फैसला नहीं किया। पहले से ही पूर्व सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डाक्टर अजय के नाम की चर्चा थी और टिकट भी उन्हीं को दिया गया है। इस खबर में हम आपको जमशेदपुर ईस्ट विधानसभा सीट पर जीत हार का विश्लेषण बताएंगे। कांग्रेस के इक्कीस उम्मीदवारों के नाम बताएंगे। यह भी बताएंगे के डाक्टर अजय को टिकट मिलने की राह में क्या रोड़ा था और उसे डाक्टर अजय ने कैसे हटाया।
डाक्टर अजय जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे पर पड़े भारी
जमशेदपुर ईस्ट में कांग्रेस के टिकट के लिए मारामारी थी। खासतौर से दो नाम हवा में तैर रहे थे। पूर्व सांसद डाक्टर अजय कुमार और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे। डाक्टर अजय कुमार पहले से ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का आशीर्वाद लेकर आए थे। इसके बाद भी आनंद बिहारी दुबे टांग खिंचाई में लगे थे। उनका पूरा जोर था कि किसी तरह डाक्टर अजय को जमशेदपुर ईस्ट से चुनाव नहीं लडने दिया जाए। डाक्टर अजय को टिकट नहीं मिले। इसके लिए जमशेदपुर ईस्ट से कांग्रेस का कोई तगड़ा दावेदार सामने लाने की जरूरत थी। उन्हें कोई नहीं मिला तो खुद सामने खड़े हो गए। जनसंपर्क अभियान चला दिया। जनता से संपर्क साधने लगे। डाक्टर अजय की फर्जी शिकायतों का पुलिंदा दिल्ली पहुंचाया गया। मगर, उन्हें तब मुंह की खानी पडी जब कांग्रेस ने डाक्टर अजय के टिकट पर मुहर लगा दी। कांग्रेस ने जमशेदपुर ईस्ट से डाक्टर अजय कुमार का टिकट फाइनल करते हुए उनके नाम की सूची जारी कर दी है। हालांकि, पहले से ही तय था कि कांग्रेस आनंद बिहारी दुबे को टिकट नहीं देने जा रही है। क्योंकि, सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने टिकट वितरण के लिए जो कमेटी बनाई है उसने पड़ताल की तो पाया कि आनंद बिहारी दुबे साल दो हजार चौदह के विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर ईस्ट से चुनाव लडे थे। वह रघुवर दास से 70 हजार 151 मतों से हार गए थे।
विद्रोही माहौल के बीच होगा रोचक मुकाबला
कांग्रेस की सूची आने के बाद जमशेदपुर ईस्ट की तस्वीर साफ हो गई है। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा की पूर्णिमा दास साहू और कांग्रेस के डाक्टर अजय कुमार के बीच होने जा रहा है। पूर्णिमा दास साहू ओडिशा के राज्यपाल व झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू हैं। रघुवर दास 1995 से 2014 तक 5 बार लगतार इस सीट पर विधायक रहे हैं। उनका यहां मजबूत नेटवर्क है। उनके अपने कार्यकर्ता और अपना संगठन यहां काम करता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2014 के चुनाव में रघुवर दास को 1 लाख 3 हजार 427 वोट मिले थे। जबकि, आनंद बिहारी दुबे अपने कांग्रेस के कैडर वोट को छोड़ दें तो आम जनता के महज 13 हजार 270 वोट ही हासिल कर सके थे। पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में जनता ने रघुवर दास को भी सबक सिखा दिया था। विधानसभा चुनाव 2019 में रघुवर दास को महज 58 हजार 112 वोट मिले थे। जबकि, भाजपा का यहां कैडर वोट 60 हजार के आसपास है। जबकि, निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय को 73 हजार 945 वोट मिले थे।
इस बार भी रघुवर की बहू पूर्णिमा दास साहू की राह आसान नहीं है। सामने अच्छे छवि वाले कांग्रेस के डाक्टर अजय कुमार तो हैं ही। नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं की भी फौज है। यहां से टिकट के दावेदार रहे भाजपा नेता शिवशंकर सिंह ने बगावत का एलान कर दिया है। उन्होंने यहां से टिकट भी खरीद लिया है। नामांकन भी करेंगे। उनका कहना है कि भाजपा ने जमशेदपुर ईस्ट में कार्यकर्ताओं की अनदेखी की है। वह कार्यकर्ताओं की लडाई लड़ रहे हैं। ऐसे माहौल में भाजपा क्या अपना यह किला वापस ले पाएगी। राजनीतिक जानकारों को इस पर शक है। डाक्टर अजय के लिए भी राह आसान नहीं है। इस सीट पर कांग्रेस का 20 हजार कैडर वोटर है। कांग्रेस का कोई उम्मीदवार हो उसे इतने वोट मिलने ही मिलने हैं। मगर, इस बार इस वोट में सेंधमारी हो रही है। डाक्टर अजय के विरोधी इस वोट का बंटवारा करने की साजिश रचने लगे हैं। कांग्रेस में भी भितरघात की प्रबल आशंका है। डाक्टर अजय की टांग खिंचाई के लिए कई विद्रोही नेता कमर कस रहे हैं। हालात बता रहे हैं कि इस सीट पर मुकाबला कांटे का होने जा रहा है।
नहीं कटा जरमुंडी से बादल पत्रलेख का टिकट
बादल पत्रलेख नाम याद है ना। जरमुंडी वाले विधायक। कभी प्रदेश के कृषि मंत्री हुआ करते थे। लोकसभा चुनाव में इन पर निष्क्रियता का आरोप लगा था और इन्हें इनके पोर्टफोलियो से बेदखल कर दिया गया था। चर्चा थी कि बादल पत्रलेख का विधानसभा चुनाव में टिकट भी काटा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के लिए जरमुंडी में कांग्रेस एक अदद उम्मीदवार की तलाश में है। मगर, कांग्रेस ने बादल पत्रलेख पर एक बार फिर भरोसा जताया है। बताया जा रहा है कि टिकट बचाने के लिए बादल पत्र लेख को लंबी लाबिंग करनी पडी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को साधना पडा है और उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि वह यह सीट निकालेंगे और अब हमेशा पार्टी के लिए काम करेंगे। लेकिन, जानकार बताते हैं कि इस बार जरमुंडी में बादल पत्रलेख की राह आसान नहीं है। साल 2019 के चुनाव में बादल पत्रलेख इस सीट से महज 3099 वोट से जीते थे। उन्हें 52 हजार 507 वोट मिले थे। जबकि, भाजपा के देवेंद्र कुंवर को 49 हजार 407 मत मिले थे। साल 2014 के चुनाव में भी बादल पत्रलेख की कोई बहुत बड़ी जीत नहीं हुई थी। इस चुनाव में बादल सिर्फ 2708 मतों से जीते थे। बादल पत्रलेख को 43 हजार 981 वोट मिले थे। जबकि, झामुमो के हरिनारायण राय को 41 हजार 273 मत मिले थे।
इन नेताओं को मिला टिकट
कांग्रेस ने जिन 21 उम्मीदवारों की सूची जारी की है उनमें जामताड़ा से डाक्टर इरफान अंसारी, जरमुंडी से बादल पत्रलेख, पोडैयाहाट से प्रदीप यादव, महागामा से दीपिका पांडेय सिंह, बडकागांव से अंबा प्रसाद साहू, रामगढ से ममता देवी, मांडू से जयप्रकाश पटेल, हजारीबाग से मुन्ना सिंह, बेरमो से कुमार जयमंगल, झरिया से पूर्णिमा नीरज सिंह, बाघमारा से जलेश्वर महतो, जमशेदपुर ईस्ट से डाक्टर अजय कुमार, जमशेदपुर वेस्ट से बन्ना गुप्ता, जगन्नाथपुर से सोनाराम सिंकू, खिजरी से राजेश कच्छप, हटिया से अजय नाथ शाहदेव, मांडर से शिल्पी नेहा तिर्की, सिमडेगा से भूषण बारा, कोलेबीरा से नमन विक्सल कोंगाड़ी, लोहरदगा से रामेश्वर उरांव और मनिका से रामचंद्र सिंह के नाम शामिल हैं।