पुराने उम्मीदवार नए दलों से लड़ रहे चुनाव
उम्मीदवारों ने अपने दल बदल लिए हैं। मगर, उनका मुकाबला उनके पुराने प्रतिद्वंद्वियों से ही है। अगर किसी नेता को उसकी पार्टी ने टिकट देने में आनाकानी की तो उसने दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली। नई पार्टी ज्वाइन करते ही उसको टिकट भी मिल गया। मगर, उनके सामने जो नेता मुकाबले में हैं वह वही हैं जिससे उनका मुकाबला कई चुनावों से होता चला आ रहा है। ऐसे नेताओं में कई नाम हैं। यूं तो नेताओं को पार्टी का टिकट लेने में जूते घिसने पड़ते हैं। मगर, इन नेताओं को नई पार्टी में जाते ही टिकट थमा दिया गया। हम इस खबर में बताएंगे कि कितने ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपनी पार्टी बदल ली और दूसरे दल में जाते ही उनको टिकट मिल गया। कौन कौन से दलबदलू अपनी सीट पर फंस गए हैं।
कोल्हान की दो सीटों पर दलबदल वाले नेता
कोल्हान में ऐसी दो सीटें हैं। जहां नए दल से दो पुराने प्रतिद्वंद्वी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें पहली सीट है जमशेदपुर वेस्ट। यहां से साल 2014 के चुनाव में सरयू राय ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीते भी थे। मगर, इस बार विधानसभा चुनाव 2024 में सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से जदयू के टिकट पर लड़ रहे हैं। सरयू राय ने साल 2019 में तब भाजपा छोड़ दी थी जब उनका टिकट काटा गया था। सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने साल 2019 में एक सर्वे कराया था और इसमें पता चला था कि सरयू राय को अगर टिकट दिया गया तो पार्टी हार जाएगी। इसी के बाद सरयू राय का टिकट काट दिया गया था। मगर, सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन सीएम रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लडा और जनता को मालिकाना हक दिलाने का लालच दे कर चुनाव जीत लिया। जनता को तब तक भ्रम था कि सरयू राय पहुंचे हुए नेता हैं और जो कहते हैं वह करते हैं। मगर, जब इस बार कांग्रेस मालिकाना हक को मुद्दा बना रही थी तो सरयू राय भांप गए और उन्होंने पार्टी बदल ली। वह जदयू में चले गए और जमशेदपुर पूर्वी के माहौल को देखते हुए उन्होंने जमशेदपुर पश्चिम से लड़ना कुबूल कर लिया। अब जमशेदपुर पश्चिम में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सरयू राय के सामने उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ही हैं।
सरायकेला सीट पर यही हुआ। यहां साल 2019 के चुनाव में चंपई सोरेन जेएमएम और गणेश महली भाजपा से चुनाव लड़े थे। इस बार चंपई सोरेन दल बदल कर भाजपा में आ गए तो गणेश महली कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने जब देखा कि भाजपा में टिकट नहीं मिलेगा तो गणेश महली ने जेएमएम का दामन थाम लिया। जेएमएम ने गणेश महली का टिकट भी फाइनल कर दिया है। अब इस सीट पर चेहरे तो पुराने हैं मगर पार्टी बदली हुई है।
हुसैनाबाद में कमलेश सिंह का हो रहा विरोध
हुसैनाबाद में विधानसभा चुनाव 2019 में कमलेश सिंह एनसीपी से जीते थे। इस बार उन्होंने पाला बदल लिया है। उन्होंने पार्टी बदल ली और भाजपा में चले गए। भाजपा में कई ऐसे चेहरे हैं जो पांच साल से इलाके में मशक्कत कर रहे थे और इस इंतजार में अपना माहौल बना रहे थे कि चुनाव आने पर भाजपा उन्हें उम्मीदवार बनाएगी। मगर, ऐसे सारे उम्मीदवारों को छोड़ कर भाजपा ने पार्टी ज्वाइन करते ही कमलेश सिंह को हुसैनाबाद से टिकट थमा दिया। इस साल भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कमलेश सिंह के सामने राजद के संजय कुमार सिंह यादव हैं। कमलेश सिंह साल 2005 और साल 2019 में दो बार हुसैनाबाद से विधायक रह चुके हैं। साल 2005 में कमलेश सिंह ने राजद के संजय कुमार सिंह यादव को सिर्फ 35 वोट से हराया था। कमलेश सिंह को 21 हजार 661 वोट मिले थे। जबकि, राजद के संजय कुमार सिंह यादव को 21 हजार 626 वोट। साल 2009 के चुनाव में यह सीट राजद की झोली में चली गई थी। यहां से राजद के संजय कुमार सिंह यादव जीते थे। एनसीपी से कमलेश सिंह चौथे स्थान पर थे। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर 57 हजार 275 वोट पाकर कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने एनसीपी के कमलेश सिंह को 27 हजार 752 वोट से हराया था। साल 2019 के चुनाव में एनसीपी के कमलेश सिंह ने 41 हजार 293 वोट पाकर राजद के संजय कुमार सिंह यादव को हरा दिया था।
बोरियो में लोबिन हेंब्रम हैं दल बदलू
लोबिन हेंब्रम पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में बोरियो से जीते थे। वह तब झामुमो में थे। मगर, उन्होंने इस साल झामुमो छोड़ दी और भाजपा ज्वाइन कर ली। भाजपा से कई पदाधिकारी टिकट के दावेदार थे। मगर, पार्टी ने उन सबको दरकिनार करते हुए लोबिन हेंब्रम को टिकट पकड़ा दिया। झामुमो ने यहां से धनंजय सोरेन को उतारा है। अब इस सीट पर लोबिन हेंब्रम और धनंजय सोरेन के बीच मुकाबला है। साल 2019 के चुनाव में लोबिन हेंब्रम ने भाजपा के सूर्य नारायण हांसदा को हराया था। तब आजसू के ताला मरांडी तीसरे स्थान पर थे। साल 2014 के चुनाव में बोरियो से भाजपा के ताला मरांडी चुनाव जीते थे। जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे लोबिन हेंब्रम 712 वोट से हार गए थे। साल 2009 के चुनाव में लोबिन हेंब्रम ने भाजपा उम्मीदवार ताला मरांडी को हरा दिया था। साल 2005 के चुनाव में भाजपा के ताला मरांडी ही जीते थे। इस तरह बोरियो में एक बार जेएमएम तो अगली बार भाजपा जीतती रही है।
जमुआ में केदार ने कर दिया खेल
केदार हाजरा जमुआ से भाजपा से टिकट की आस लगाए बैठे थे। मगर, जैसे ही उन्हें पता चला कि भाजपा उनका टिकट काट देगी उन्होंने जेएमएम से संपर्क साधा और पार्टी ज्वाइन कर ली। जेएमएम ने पार्टी में आते ही केदार हाजरा को जमुआ से टिकट थमा दिया। साल 2019 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर केदार हाजरा ने ही चुनाव लड़ा था और जीते थे। केदार हाजरा को 58 हजार चार सौ 68 वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस की मंजू कुमारी को हराया था। मंजू कुमारी को 40 हजार 293 वोट मिले थे। साल 2014 में भी इस सीट से भाजपा के केदार हाजरा ने ही 56 हजार 27 वोट हासिल कर जेवीएम के सत्यानारायण दास को हराया था। सत्यनारायण दास को 32 हजार 927 वोट मिले थे। साल 2009 में यहां से जेवीएम के चंद्रिका महथा ने 42 हजार 824 वोट पाकर चुनाव जीता था। उन्होंने सीपीआई के सत्यनारायण दास को 18 हजार 527 वोट से हराया था। साल 2005 से भी यहां से बीजेपी के केदार हाजरा ने 49 हजार 336 वोट हासिल कर जेएमएम के चंद्रिका महथा को 5 हजार 134 वोट से हराया था।
मांडू में इस बार पलट सकती है बाजी
जय प्रकाश भाई पटेल ने साल 2019 का विधानसभा चुनाव मांडू से भाजपा के टिकट पर लडा था। मगर, इस बार उनकी सीट वही है मगर, पार्टी बदल गई है। वह मांडू से ही इस दफा कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड रहे हैं। मांडू से झामुमो के टिकट पर टेकलाल महतो साल 2000 और 2009 में चुनाव जीत कर विधायक बने थे। जयप्रकाश भाई पटेल टेकलाल महतो के ही बेटे हैं। जयप्रकाश भाई पटेल लगातार हर चुनाव में पार्टी बदल रहे हैं। उन्होंने पहले साल 2014 में जेएमएम के टिकट पर भाजपा के कुमार महेश सिंह को 7 हजार 12 वोटों से हराया था। इस चुनाव में जयप्रकाश भाई पटेल को 78 हजार 499 वोट मिले थे। जबकि, भाजपा के कुमार महेश सिंह ने 71 हजार 487 वोट हासिल किए थे। साल 2019 में जयप्रकाश भाई पटेल ने जेएमएम छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। जयप्रकाश भाई पटेल ने भाजपा के टिकट पर 49 हजार 855 वोट हासिल कर आजसू के निर्मल महतो को02062 वोटों से हरा दिया। इस चुनाव में निर्मल महतो को 47 हजार 768 वोट मिले थे। जयप्रकाश भाई पटेल ने इस बार फिर पार्टी बदल ली है। अब वह कांग्रेस में आ गए हैं। कांग्रेस से उन्होंने लोकसभा चुनाव हजारीबाग से लड़ा था। मगर, जनता ने उन्हें नकार दिया। अब वह फिर मांडू से कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। उनका मुकाबला आजसू के उम्मीदवार निर्मल महतो से होगा।
बरकट्ठा में भी उम्मीदवारों ने बदल पाला
बरकट्ठा से विधानसभा चुनाव 2019 में अमित यादव निर्दलीय चुनाव जीते थे। मगर, इस बार भाजपा ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। इस सीट से अमित यादव इस बार निर्दलीय की जगह भाजपा के उम्मीदवार हैं। बरकठ्ठा से साल 2009 में अमित यादव ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधायक का पद प्राप्त किया था। तब उन्होंने 39 हजार 485 वोट प्राप्त किए थे और जेवीएम के जानकी प्रसाद यादव को 9 हजार 368 वोटों से हराया था। मगर, साल 2014 के चुनाव में भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड रहे अमित कुमार यादव हार गए थे। उन्हें जेवीएम के जानकी प्रसाद यादव ने ही हराया था। साल 2019 चुनाव में भाजपा ने अमित यादव का टिकट काट दिया था। भाजपा ने सोचा कि जानकी यादव विधायक हैं उन्हें पार्टी में लाकर एक सीट बढ़ाई जा सकती है। मगर, ऐसा नहीं हुआ। टिकट कटने के बाद अमित कुमार यादव निर्दलीय खडे हो गए। जानकी यादव भाजपा से लड रहे थे। मगर, निर्दलीय उम्मीदवार अमित यादव ने 72 हजार 572 वोट पाकर भाजपा के जानकी यादव को धूल चटा दी। जानकी को 47 हजार 708 वोट मिले थे। इस बार फिर भाजपा ने बरकट्ठा से निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव को भाजपा में शामिल कर लिया है। तो जेएमएम ने 2014 में जेवीएम के टिकट पर चुनाव जीतने वाले जानकी प्रसाद यादव को टिकट दे दिया है। यहां दो पुराने उम्मीदवार नई पार्टी से चुनाव लड रहे हैं।
सारठ में क्या होगा चुन्ना सिंह का
चुन्ना सिंह ने साल 2019 का चुनाव सारठ से जेवीएम के टिकट पर लड़ा था। जेवीएम ने भाजपा में विलय कर लिया है। चुन्ना सिंह को लगा कि भाजपा उन्हें टिकट नहीं देगी तो उन्होंने पाला बदला और वह जेएमएम में आ गए। जेएमएम ने उन्हें सारठ से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे दिया है। दुमका लोकसभा सीट के तहत आने वाली इस सीट पर चुन्ना सिंह ने साल 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था मगर हार गए थे। इसके बाद 1990 और 1995 में कांग्रेस के ही टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने थे। बाद में बीजेपी के टिकट पर चुन्ना सिंह ने चुनाव लड़ा मगर हार गए। साल 2005 में चुन्ना सिंह राजद के टिकट पर चुनाव लड कर फिर विधायक बन गए थे। साल 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडने वाले चुन्ना सिंह हार गए। साल 2014 और साल 2019 में चुन्ना सिंह रणधीर सिंह से चुनाव हार गए थे। इस बार रणधीर सिंह बीजेपी से हैं तो चुन्ना सिंह जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड रहे हैं।