जानें एक-एक सीट का सियासी समीकरण
10 सीटों पर राजनीति पर प्रभाव डाल रही जयराम की पार्टी
झारखंड में दूसरे चरण की कोयलांचल और संताल परगना की जिन 38 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होने जा रहा है, वह प्रदेश के सियासी भविष्य को तय करेंगी। इन सीटों में बरहेट, धनवार, जामताडा, गांडेय, डुमरी, सिल्ली आदि शामिल हैं। सीएम पद के दो बड़े दावेदारों की सीटें भी इसमें शामिल हैं। इन सीटों पर कहां इंडिया गठबंधन हावी है तो कहां एनडीए का प्रभाव है। जयराम महतो कितनी सीटों पर प्रभाव डाल रहे हैं। हम इस खबर में इसका विश्लेषण करेंगे।
झारखंड में दूसरे चरण के मतदान के लिए अठ्ठारह नवंबर को चुनाव प्रचार खत्म हो गया है। प्रचार के आखिरी दिन पार्टियों ने इन 30 सीटों पर पूरा जोर लगाया है। यह सीटें झारखंड के लिए काफी अहम मानी जा रही हैं। यही सीटें तय करेंगी कि झारखंड में किसकी सरकार बनने जा रही है। इन्हीं सीटों पर जीत हार से तय होगा कि झारखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इन 38 सीटों में से 28 सीटें ऐसी हैं जिन पर इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच कडा मुकाबला है। सीएम हेमंत सोरेन, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन, आजसू प्रमुख सुदेश महतो, जयराम महतो आदि की किस्मत का फैसला इसी चरण के मतदान से होगा।
धनवार में बाबूलाल मरांडी की सीट पर संघर्ष
धनवार से पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बाबूलाल मरांडी के सामने जेएमएम ने निजामुद्दीन अंसारी को उतारा है। निजामुद्दीन अंसारी यहां के पूर्व विधायक भी रह चुके हैं। इंडिया गठबंधन का घटक दल भाकपा माले के राजकुमार यादव भी चुनाव लड़ रहे हैं। निरंजन राय के निर्दलीय प्रत्याशी बनने के बाद धनवार में बाबूलाल मरांडी फंस गए थे। उन्हें उबारने के लिए बीजेपी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने निरंजन राय को मना लिया और होम मिनिस्टर अमित शाह की सभा में लेकर पहुंच गए। निरंजन राय के बीजेपी के सपोर्ट में आने के बाद बाबूलाल मरांडी ने राहत की सांस ली है। साल 2019 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी इस सीट से बीजेपी के लक्ष्मण प्रसाद सिंह को हरा कर चुनाव जीते थे। साल 2014 में इस सीट से भाकपा माले के राजकुमार यादव ने बाबूलाल मरांडी को 10 हजार 712 वोटों से हरा दिया था। यही वजह है कि बाबूलाल मरांडी इस चुनाव में खतरा महसूस कर रहे हैं। आपको बता दें कि अगर भाजपा की सरकार बनती है तो बाबूलाल मरांडी सीएम पद के दावेदार माने जाते हैं।
बरहेट में सीएम हेमंत सोरेन के सामने गमालियेल
बरहेट में सीएम हेमंत सोरेन के सामने बीजेपी के गमालियेल हेंब्रम चुनाव लड़ रहे हैं। शिक्षक के पद से रिजाइन देकर राजनीति में आए गमालियेल हेंब्रम साल 2019 के चुनाव में आजसू पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर पचीस सौ वोट ही बटोर सके थे। इसलिए ऐसा लग नहीं रहा है कि गमालियेल हेंब्रम बरहेट में कोई करिश्मा कर पाएंगे। बरहेट जेएमएम का गढ है और खुद हेमंत सोरेन यहां से साल 2019 और 2014 का चुनाव जीत चुके हैं।
सिल्ली में फंसे आजसू के सुदेश
सिल्ली विधानसभा सीट पर आजसू के सुदेश महतो फंस गए हैं। यहां से जेएमएम के अमित महतो उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। अमित महतो की पत्नी सीमा देवी साल 2018 के उप चुनाव में सुदेश महतो को 13 हजार 150 वोटों से हरा चुकी हैं। साल 2014 में खुद अमित महतो ने सुदेश महतो को 29 हजार 740 मतों से हराया था। अमित महतो हेमंत सोरेन से नाराज हो गए थे। उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली थी। मगर, इस साल विधानसभा चुनाव का एलान होने से पहले हेमंत सोरेन ने अमित से संपर्क साधा और उन्हें जेएमएम में मिला लिया। इस सीट पर जेएलकेएम के देवेंद्र नाथ महतो चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं। देवेंद्र नाथ महतो ने लोकसभा चुनाव में दम दिखाया था।
खिजरी में कांग्रेस व बीजेपी में सीधी लडाई
खिजरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के राजेश कच्छप और बीजेपी के रामकुमार पाहन के बीच सीधी लड़ाई है। दोनों दल इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए रात दिन एक किए हुए हैं। खिजरी ऐसी सीट है जहां की जनता ने किसी पार्टी को निराश नहीं किया। इस सीट को किसी दल का गढ़ नहीं कह सकते। यहां की जनता एक बार कांग्रेस को जिताती है तो अगले चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी को जिता देती है। साल दो हजार में यहां से कांग्रेस के सावना लकड़ा जीते थे। उन्होंने बीजेपी के करमा उरांव को 11 हजार 377 वोटों से हराया था। अगले चुनाव साल 2005 में जनता ने सावना लकड़ा को हरा दिया। इस चुनाव में बीजेपी के करिया मुंडा 2628 वोट से जीत गए। 2009 में जो चुनाव हुआ उसमें जनता ने फिर बाजी पलट दी। इस बार जनता ने कांग्रेस के सावना लकड़ा को जिता कर विधायक बना दिया। बीजेपी के राम कुमार पाहन 2778 वोटों से हार गए। 2014 के चुनाव में फिर जनता ने बीजेपी के उम्मीदवार राम कुमार पाहन को विधायक बना दिया। इस चुनाव में कांग्रेस से सुंदरी देवी थीं, जो 64 हजार 912 वोटों से हार गईं। 2019 में फिर यहां से कांग्रेस जीत गई। कांग्रेस के राजेश कच्छप ने भाजपा के राम कुमार पाहन को 5469 वोटों से हरा दिया।
बाघमारा में जलेश्वर व ढुल्लू के भाई के बीच मुकाबला
बाघमारा में जलेश्वर महतो और भाजपा के धनबाद सांसद ढुल्लू महतो के भाई शत्रुघ्न महतो के बीच मुकाबला है। साल 2014 और 2019 में ढुल्लू महतो ने यहां से जीत दर्ज की थी। दोनों चुनाव में जलेश्वर महतो दूसरे नंबर पर थे। साल 2014 में जलेश्वर ने जेवीएम से चुनाव लड़ा था। मगर, साल 2019 में जलेश्वर कांग्रेस में आ गए थे। इसके पहले साल 2000 और 2005 में जलेश्वर महतो बाघमारा के विधायक रह चुके हैं। साल 2000 में समांता पार्टी और 2005 में जदयू के टिकट पर जलेश्वर ने जीत दर्ज की थी। इस बार इस सीट पर क्या होता है। सभी की टकटकी इस बात पर लगी है कि यहां से कौन चुनाव जीतता है।
टुंडी में जेएमएम, बीजेपी व जेएलकेएम में मुकाबला
टुंडी विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की बात सामने आ रही है। इस सीट पर जेएमएम के मथुरा प्रसाद महतो, बीजेपी के विकास महतो और जेएलकेएम के मोतीलाल महतो के बीच मुकाबले की बात कही जा रही है। मथुरा प्रसाद महतो यहां से साल 2019, साल 2009 और साल 2005 में चुनाव जीत चुके हैं। साल 2014 में इस सीट पर आजसू के राजकिशोर महतो जीते थे। इस बार आजसू और भाजपा का गठबंधन होने की वजह से यहां से चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं। हालांकि, इसी साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में मथुरा महतो ने यहां से बढत हासिल की थी। मगर, यहां सवाल इस बात का है कि क्या विधानसभा चुनाव में भी मथुरा महतो इस सीट पर लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन कर पाएंगे।
झरिया में देवरानी और जेठानी के बीच मुकाबला
झरिया में कांग्रेस की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह और बीजेपी की रागिनी सिंह के बीच टक्कर है। झरिया में साल 2019 के चुनाव में भी यही सीन था। नीरज सिंह की हत्या होने की वजह से पूर्णिमा नीरज सिंह को हमदर्दी के वोट मिले और उन्होंने संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को 12 हजार 54 वोटों से हरा दिया था। इसके पहले साल 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे संजीव सिंह ने अपने चचेरे भाई कांग्रेस के नीरज सिंह को 33 हजार 692 वोटों से हराया था। इस बार फिर रागिनी और पूर्णिमा के बीच मुकाबला है। जेएलकेएम के रुस्तम अंसारी भी चुनाव लड रहे हैं। इस सीट पर कई दशक से मजदूर नेता सूर्यदेव सिंह के परिवार का कब्जा रहा है। इस बार देखना है कि इस सीट से कौन बाजी मारता है।
धनबाद में राज सिन्हा और अजय दुबे में टक्कर
धनबाद में राज सिन्हा और अजय दुबे में टक्कर है। राज सिन्हा बीजेपी से चुनाव मैदान में हैं तो अजय दुबे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2014 और 2019 में राज सिन्हा ने इस सीट से जीत हासिल की थी। इस बार वह हैट्रिक मारने की बात कह रहे हैं। जबकि, अजय दुबे ने साल 2014 में धनबाद से चुनाव लड़ा था मगर, वह दूसरे स्थान पर रहे थे। अब सवाल इस बात का है कि क्या धनबाद में अजय दुबे राज सिन्हा के विजय रथ को रोक पाएंगे।
निरसा में बीजेपी और माले की टक्कर
निरसा में बीजेपी की अपर्णा सेन गुप्ता और भाकपा माले के उम्मीदवार अरूप चटर्जी के बीच मुकाबला है। दोनों के बीच इस बार कांटे का मुकाबला होने की बात कही जा रही है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो दोनों में से किसी भी उम्मीदवार को कमतर आंकना हिमाकत होगी। दोनों उम्मीदवार सियासी तौर पर ताकतवर हैं। साल 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड रही अपर्णा सेन गुप्ता ने भाकपा माले के अरूप चटर्जी को 25 हजार 418 वोटों से हराया था। साल 2014 और 2009 में अरूप चटर्जी ही यहां से विधायक बने थे। साल 2005 में अपर्णा सेनगुप्ता ने आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाकपा माले के अरूप चटर्जी को 2337 वोटों से शिकस्त दी थी। साल 2000 में भी निरसा से भाकपा माले के ही गुरुदास चटर्जी चुनाव जीते थे।
सिंदरी में तारा देवी और चंद्रदेव महतो में टक्कर
सिंदरी में भाजपा ने जिला परिषद सदस्य रह चुकीं तारा देवी पर दांव खेला है। कहा जा रहा है कि तारा देवी की इलाके में मजबूत पकड है। वहीं, भाकपा माले के प्रत्याशी चंद्रदेव महतो तारा देवी को मजबूत टक्कर दे रहे हैं। चंद्रदेव महतो को इंडिया गठबंधन का साथ है। कांग्रेस, राजद और जेएमएम के कार्यकर्ता भी भाकपा माले को सपोर्ट कर रहे हैं। इस सीट पर इस बार भाकपा माले का काफी असर देखने को मिल रहा है। खास तौर से महिलाएं मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना से प्रभावित हैं।
चंदन कियारी में फंसे अमर कुमार बाउरी, मिल रहा कडा मुकाबला
चंदन कियारी भाजपा के विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी की सीट है। इस बार के चुनाव में जेएमएम ने यहां जो दांव चला है उससे अमर कुमार बाउरी ने पसीना छोड दिया है। साल 2014 और 2019 में अमर कुमार बाउरी यहां से बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के टिकट पर चुनाव लडे थे। दोनों चुनावों में आजसू पार्टी के उमाकांत रजक ने अमर कुमार बाउरी को टक्कर दी थी। इस बार आजसू भाजपा गठबंधन की वजह से उमाकांत रजक ने अपना टिकट फंसता देखा तो पलटी मार दी। उमाकांत रजक जेएमएम के टिकट पर अमर कुमार बाउरी को टेंशन दिए हुए हैं। उमाकांत रजक इस सीट से साल 2009 में जीत कर विधायक बन चुके हैं। इस बार इस सीट पर क्या होगा सभी की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
बोकारो में कांग्रेस की श्वेता व बिरंची नारायण
बोकारो में कांग्रेस की श्वेता सिंह और बीजेपी के बिरंची नारायण के बीच मुकाबला है। बोकारो बीजेपी का गढ माना जा रहा है। बिरंची ने यहां से साल 2014 और 2019 में चुनाव जीता था। श्वेता सिंह के श्वसुर समरेश सिंह इस सीट से कई बार जीत हासिल कर चुके हैं। श्वेता सिंह ने साल 2019 के चुनाव में भी बिरंची नारायण का मुकाबला किया था। मगर 13 हजार 313 वोटों से हार गई थीं। 2014 में समरेश सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बिरंची नारायण का मुकाबला किया था। मगर, जीत नहीं पाए थे। 2009 और 2000 में इस सीट से जेवीएम के टिकट पर समरेश सिंह विधायक बने थे।
राजमहल में अनंत ओझा व एमटी राजा में संघर्ष
राजमहल विधानसभा सीट पर बीजेपी के अनंत ओझा और जेएमएम के एमटी राजा के बीच मुकाबला है। साल 2014 और साल 2019 में अनंत ओझा ने मैदान मारा था। साल 2019 में अनंत ओझा के बाद आजसू के मोहम्मद ताजुद्दीन दूसरे और जेएमएम के किताबुद्दीन शेख तीसरे नंबर पर थे। साल 2014 के चुनाव में अनंत ओझा के सामने जेएमएम के ताजुद्दीन दूसरे नंबर पर रहे थे। इस बार अनंत ओझा हैट्रिक लगाने की सोच रहे हैं तो एमटी राजा उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
बोरियो में लोबिन व धनंजय में मुख्य मुकाबला
बोरियो विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा के लोबिन हेंब्रम और जेएमएम के धनंजय सोरेन के बीच कांटे का मुकाबला है। पिछले विधानसभा चुनाव साल 2019 में लोबिन हेंब्रम यहां से 17 हजार 924 वोट से जीते थे। उन्होंने बीजेपी के सूर्य नारायण हांसदा को हराया था। इस सीट पर लोबिन साल 2000 और 2009 में भी चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा के ताला मरांडी ने साल 2014 और 2005 का चुनाव जीता था। इस बार कौन चुनाव जीतेगा इसके लिए कांटे का संघर्ष चल रहा है। इस सीट के लिए धनंजय सोरेन नया चेहरा हैं। इसका लाभ जेएमएम को मिल रहा है।
लिट्टीपाड़ा में हेमलाल व बाबूधन में मुकाबला
लिट्टीपाड़ा में इस बार हेमलाल और बाबूधन में कांटे का मुकाबला हो रहा है। पिछले चुनाव साल 2019 में इस सीट पर दिनेश विलियम मरांडी ने चुनाव जीता था। इस बार उनका टिकट कट गया है और वह बीजेपी में चले गए हैं। जेएमएम ने यहां से हेमलाल मुर्मू को टिकट दिया है। हेमलाल मुर्मू इस बार लिट्टीपाड़ा से हैं। साल 2017 में हेमलाल मुर्मू बीजेपी के टिकट पर इसी सीट से लडे थे। मगर, इस बार वह जेएमएम में चले गए हैं। भाजपा ने भी इस सीट पर इस बार उम्मीदवार बदला है। यहां से भाजपा के बाबूधन मुर्मू चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से 2019 में डेनियल किस्कू ने चुनाव लडा था। इस सीट पर 2017 में जेएमएम के साइमन मरांडी ने चुनाव जीता था। साल 2014 में इस सीट से जेएमएम के अनिल मुर्मू ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में साइमन मरांडी भाजपा के टिकट पर लड रहे थे।
पाकुड़ में निशात आलम व अजहर में संघर्ष
पाकुड़ में इस बार कांग्रेस के नेता आलमगीर आलम के भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने के बाद उनकी पत्नी निशात आलम कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला आजसू के अजहर इस्लाम से है। इस सीट पर पूर्व विधायक अकील अख्तर सपा के टिकट पर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इस सीट पर साल 2005, 2014 और 2019 में कांग्रेस के आलम गीर आलम चुनाव जीते थे। साल 2009 में यहां से जेएमएम के अकील अख्तर को जीत मिली थी। उन्होंने कांग्रेस के आलमगीर आलम को 5676 वोटों से हराया था। साल 2014 में आलमगीर आलम ने जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड रहे अकील अख्तर को 18 हजार 66 वोटों से हराया था। इस बार यहां कांग्रेस की पकड़ मजबूत दिख रही है। मगर, आजसू कांग्रेस को टक्कर दे रही है।
महेशपुर में स्टीफन व नवीन के बीच मुकाबला
महेशपुर विधानसभा सीट पर झामुमो के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी और बीजेपी के नवीन हेंब्रम के बीच मुकाबला है। इस सीट पर साल 2019 में स्टीफन मरांडी चुनाव जीत चुके हैं। महेशपुर सीट जेएमएम का गढ माना जाता है। लेकिन, एक बार साल 2000 में देवीधान बेसरा चुनाव जीते थे। उन्होंने जेएमएम के सुफल मरांडी को एक दिलचस्प मुकाबले में पटखनी दे दी थी।
शिकारीपाड़ा में भाजपा व जेएमएम आमने सामने
शिकारीपाड़ा में भाजपा व जेएमएम आमने सामने हैं। यहां भाजपा से परितोष सोरेन मैदान में हैं। जेएमएम ने यहां के सात बार विधायक रहे नलिन सोरेन के बेटे आलोक सोरेन को टिकट दिया है। शिकारीपाडा भी जेएमएम का किला माना जाता है। इस सीट पर साल 2000 के बाद से अब तक बीजेपी एक जीत के लिए तरस रही है। साल 2014 और 2019 में जेएमएम के नलिन सोरेन ने बीजेपी के पारितोष सोरेन को ही हराया था। इस सीट पर जेएमएम से मुकाबला करने के लिए बीजेपी खूब जोर लगाए हुए है।
नाला में स्पीकर रवींद्र के सामने हैं माधवचंद्र
नाला विधानसभा सीट पर स्पीकर रवींद्र नाथ महतो चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से बीजेपी ने माधव चंद्र महतो को मैदान में उतारा है। रवींद्र नाथ महतो यहां से साल 2014 और साल 2019 में चुनाव जीत कर विधायक बन चुके हैं। रवींद्र नाथ ने 2019 में सत्यानंद झा को 3520 और 2014 में 7 हजार 15 वोटों से हराया था। बीजेपी ने इस बार सत्यानंद झा का टिकट काट दिया है और माधवचंद्र को उम्मीदवार बनाया गया है।
जामताड़ा में इरफान अंसारी और सीता सोरेन का संघर्ष
जामताड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी और भाजपा की सीता सोरेन के बीच संघर्ष है। साल 2014और साल 2019 के चुनाव में इरफान अंसारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। सीता सोरेन साल 2019 में जामा विधानसभा क्षेत्र से जेएमएम के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं। लेकिन बाद में उन्होंने जेएमएम छोड दी और भाजपा ज्वाइन कर ली। इसके बाद उन्होंने दुमका से लोकसभा चुनाव लड़ा जो हार गईं। अब भाजपा ने उन्हें इरफान अंसारी के सामने खडा कर दिया है। इस वजह से जामताड़ा में मुकाबला थोडा दिलचस्प हो गया है। जामताडा से शिबू सोरेन भी विधायक रह चुके हैं।
जामा विधानसभा सीट पर लुईस मरांडी और सुरेश मुर्मू में टक्कर
जामा विधानसभा सीट पर भी कांटे के मुकाबले की बात कही जा रही है। इस सीट पर तीन बार लगातार विधायक रहीं सीता सोरेन इस बार जामताड़ा से चुनाव लड़ रही हैं। सीता सोरेन को टिकट न देकर भाजपा ने यहां से सुरेश मुर्मू को फिर उम्मीदवार बनाया है। सुरेश मुर्मू पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में सीता सोरेन से हार गए थे। इस बार लुईस मरांडी भाजपा छोड जेएमएम में चली गई हैं। वह जेएमएम के टिकट पर जामा से चुनाव लड़ रही हैं।
जरमुंडी में पूर्व मंत्री बादल पत्र लेख और देवेंद्र कुमार आमने-सामने
जरमुंडी में कांग्रेस के उम्मीदवार बादल पत्रलेख और भाजपा के देवेंद्र कुमार आमने-सामने हैं। साल 2014 और साल 2019 के चुनाव में लगातार बादल पत्रलेख दो बार यहां से विधायक बने हैं। इस बार वह हैट्रिक मारने की कोशिश में लगे हैं। इसके लिए वह खूब मेहनत कर रहे हैं। भाजपा के उम्मीदवार देवेंद्र कुमार भी इस सीट से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इसलिए यहां कांटे के मुकाबले की बात कही जा रही है।
मधुपुर में हफीजुल हसन के सामने हैं गंगा नारायण
मधुपुर विधानसभा सीट से जेएमएम के उम्मीदवार मंत्री हफीजुल हसन चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भाजपा के गंगा नारायण सिंह हैं। इस सीट पर हफीजुल हसन के पिता हाजी हुसैन अंसारी चुनाव लड़ते थे।साल 2019 में हाजी हुसैन अंसारी यहां से जीते थे। उनके निधन के बाद 2022 में उपचुनाव हुआ। इसमें हफीजुल हसन को गंगा नारायण ने कडी चुनौती दी थी। इस बार हफीजुल हसन को इंडिया गठबंधन के तमाम घटक दलों का समर्थन है। इसके अलावा हफीजुल हसन ने आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर को भी पत्र लिखकर मदद करने को कहा है
सारठ में बीजेपी के रणधीर सिंह के सामने झामुमो के चुन्ना सिंह
सारठ विधानसभा सीट पर जेएमएम ने इस बार उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह को प्रत्याशी बनाया है। उदय शंकर सिंह इस सीट पर चार बार जीत हासिल कर चुके हैं। रणधीर सिंह साल 2014 और साल 2019 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। इस बार साल 2024 के चुनाव में दोनों प्रतिद्वंद्वी एक बार फिर आमने सामने हैं।
देवघर में सुरेश पासवान और नारायण दास के बीच मुकाबला
देवघर विधानसभा सीट पर राजद के सुरेश पासवान और बीजेपी के नारायण दास के बीच टक्कर है। नारायण दास इसके पहले भाजपा के टिकट पर साल 2014 और साल 2019 में जीत कर विधायक बन चुके हैं। सुरेश पासवान भी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। पिछले चुनाव साल 2019 में सुरेश पासवान बेहद कम वोटों के अंतर से हारे थे। इस बार वह पूरा जोर लगा रहे हैं और दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे का संघर्ष है।
पोड़ैयाहाट में प्रदीप यादव और देवेंद्र नाथ सिंह का मुकाबला
पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस के प्रदीप यादव का मुकाबला देवेंद्र नाथ सिंह से है। प्रदीप यादव इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। पोड़ैयाहाट प्रदीप यादव का गढ माना जाता है। पिछला दो चुनाव उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर जीता था। झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय हुआ तो प्रदीप यादव कांग्रेस में आ गए। गोड्डा से उन्होंने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव लडा। लेकिन हार गए। अब वह यहां से छठी बार जीत हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी के देवेंद्र नाथ सिंह से उनको कडी टक्कर मिल रही है।
गोड्डा में अमित मंडल और संजय यादव के बीच टक्कर
गोड्डा में भाजपा के अमित मंडल और राजद के संजय यादव एक बार फिर आमने-सामने हैं। अमित मंडल ने साल 2014 और 2019 में इस सीट से जीत हासिल की थी। वह विधायक बने थे। अमि मंडल के पिता भी इस सीट से दो बार विधायक बन चुके हैं। संजय यादव भी दो बार इस सीट से निर्वाचित हो चुके हैं। इस बार जीत के लिए दोनों उम्मीदवार एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। दोनों के बीच कड़ी टक्कर की बात कही जा रही है।
महगामा में दीपिका पांडे और अशोक भगत के बीच मुकाबला
महगामा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह और भाजपा के अशोक भगत के बीच मुकाबला है। साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह ने जीत हासिल की थी। अशोक भगत भी दो बार महगामा के विधायक बन चुके हैं। इस बार दोनों ही उम्मीदवार एक दूसरे को मात देने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
रामगढ़ में सुनीता देवी, ममता देवी और परमेश्वर के बीच त्रिकोणीय मुकाबला
रामगढ़ विधानसभा सीट पर आजसू पार्टी की सुनीता देवी चुनाव लड़ रही हैं। रामगढ से साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस की ममता देवी विजयी रही थीं। लेकिन एक मामले में दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायकी चली गई। उपचुनाव हुआ तो सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता देवी विजयी रहीं। इस बार के चुनाव में सुनीता देवी और कांग्रेस की ममता देवी आमने-सामने हैं।
मांडू में जेपी पटेल और राजू तिवारी के बीच टक्कर
मांडू विधानसभा सीट पर कांग्रेस के जेपी पटेल इस बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। जेपी पटेल पिछले साल 2019 में भाजपा के टिकट पर मांडू से चुनाव लडे थे और जीत गए थे।
लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें हजारीबाग से लोकसभा चुनाव का टिकट मिला। लेकिन वह हार गए। 2014 के चुनाव में जेपी पटेल जेएमएम के टिकट पर मांडू से विधायक बने थे। मांडू में भी जेएलकेएम का उम्मीदवार होने की वजह से त्रिकोणीय मुकाबला है।
बगोदर में भाकपा माले और भाजपा के बीच मुकाबला
बगोदर विधानसभा सीट पर भाकपा माले के उम्मीदवार विनोद कुमार सिंह चुनाव मैदान में हैं। विनोद कुमार सिंह इसके पहले साल 2005, 2009 और 2019 में इस सीट से विधायक बन चुके हैं। साल 2014 के चुनाव में जेवीएम के टिकट से चुनाव लड़ रहे नागेंद्र महतो ने विनोद सिंह को हरा दिया था। इस बार भाजपा माले व भाजपा में कांटे का मुकाबला है।
जमुआ में बीजेपी की मंजू देवी और जेएमएम के केदार हाजरा के बीच टक्कर
जमुआ में मंजू देवी और केदार हाजरा के बीच टक्कर है। दोनों एक बर फिर आमने-सामने हैं। साल 2019 के चुनाव में केदार हाजरा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता था। कांग्रेस की मंजू देवी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। मंजू देवी कांग्रेस छोड कर बीजेपी में शामिल हो गईं। तो केदार हाजरा भाजपा छोड कर जेएमएम में आ गए। एक बार फिर दोनों एक दूसरे के सामने हैं। हालांकि इनकी पार्टी बदल गई हैं।
गांडेय में स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन का मुकाबला मुनिया देवी से
गांडेय विधानसभा सीट झामुमो का किला मानी जाती है। यहां से साल 2019 में सरफराज हुसैन चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। जेएमएम ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया है। उनके इस्तीफा के बाद साल 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही यहां उप चुनाव हुए। उपचुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने जीत हासिल की थी। इस बार वह फिर मैदान में हैं। उनके सामने भाजपा ने मुनिया देवी को चुनाव मैदान में उतारा है। मुनिया देवी की इलाके में मजबूत पकड़ बताई जाती है। वह गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। भाजपा यहां कल्पना सोरेन को हराने के लिए जाल बिछा रही है। अब देखना है कि वह इस काम में कितना सफल होती है।
गिरिडीह में सुदिव्य कुमार और निर्भय शाहाबादी के बीच मुकाबला
गिरिडीह में एक बार फिर जेएमएम के सुदिव्य कुमार सोनू और भाजपा के निर्भय शाहाबादी के बीच टक्कर है। साल 2019 में सुदिव्य कुमार ने निर्भय शाहाबादी को हरा दिया था। निर्भय शाहाबादी भी दो बार यहां से चुनाव लड चुके हैं। इस बार दोनों के बीच काफी कडा मुकाबला है ।
डुमरी में हो रहा त्रिकोणीय मुकाबला
डुमरी में जेएमएम की उम्मीदवार बेबी देवी और आजसू पार्टी की यशोदा देवी के बीच कड़ी टक्कर है।जेएलकेएम के जयराम महतो भी यहां से चुनाव लड रहे हैं। बताते हैं कि तीनों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। उपचुनाव में बेबी देवी ने यहां से जीत हासिल की थी। इसके पहले जेएमएम के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री जगरनाथ महतो यहां से चार बार चुनाव लड चुके हैं ।
गोमिया में त्रिकोणीय मुकाबला
गोमिया विधानसभा सीट पर आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो जेएमएम के योगेंद्र महतो और जेएलकेएम की पूजा कुमारी के बीच मुकाबला है। लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर जेएलकेएम प्रत्याशी को बढ़त मिली थी। इससे जेएलकेएम के समर्थकों में उत्साह है। जेएमएम के योगेंद्र महतो और उनकी पत्नी भी यहां से विधायक रह चुकी हैं। आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो पिछले चुनाव में यहां से जीते थे। इस बार भी वह यहां से जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
बेरमो में कांग्रेस के जय मंगल और भाजपा के रविंद्र पांडे आमने-सामने
बेरमो विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी कुमार जय मंगल सिंह और भाजपा के रविंद्र पांडे आमने-सामने हैं। जेएलकेएम के जयराम महतो भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। वह मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं। भाजपा के रविंद्र पांडे गिरिडीह से तीन बार सांसद रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में बेरमो में जेएलकेएम ने बढ़त हासिल की थी। इसी वजह से जयराम महतो ने इस सीट से भी पर्चा दाखिल कर दिया है कि हो सकता है कि विधानसभा चुनाव में उनकी लॉटरी लग जाए।