नीतीश कुमार की मिमिक्री करने वाले सुनील सिंह की जानें क्यों चली गई सदस्यता
पटना : विधान परिषद में नीतीश कुमार की नकल उतारने के मामले में राजद के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह की सदस्यता खत्म कर दी गई है। इसके बाद बिहार की सियासत में तूफान खड़ा हो गया है। हालांकि, सुनील सिंह ने इस मामले में अपनी सदस्यता बचाने को काफी हाथ-पैर मारे। मगर, कामयाब नहीं हो सके। अब उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया है कि उनकी सदस्यता के लेने के पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। सुनील सिंह ने कहा कि उनकी सदस्यता छीनने की पूरी पटकथा मुख्यमंत्री आवास पर लिखी गई। सुनील सिंह ने कहा कि वह किसानों के हित की बात करते थे और भ्रष्टाचार पर चोट करते थे। इसी वजह से उनकी सदस्यता छीन ली गई है।
वापस कर दिया गया पत्र
विधान परिषद के सदस्य सुनील सिंह ने कहा कि उन्होंने विधान परिषद की आचार समिति को एक पत्र भी लिखा था। मगर, यह पत्र वापस कर दिया गया। कम से कम पत्र देखना चाहिए था। उन्होंने कहा कि आज तक के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ है। यह पहली बार हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही उनकी सदस्यता ली है।
बच गए कारी शोएब
सदन में राजद एमएलसी सुनील सिंह और मोहम्मद कारी शोएब ने नीतीश कुमार की मिमिक्री की थी। मगर, इस मामले में एमएलसी सुनील सिंह पर कार्रवाई हो गई। मगर, एमएलएसी मोहम्मद कारी शोएब बच गए। कहा जा रहा है कि सत्ता पक्ष के सभी एमएलसी ने इस मामले की शिकायत विधान परिषद की आचार समिति से कर दी थी। इसके बाद आचार समिति ने जांच शुरू की। दोनों एमएलसी को बुलाया गया। मोहम्मद कारी शोएब ने आचार समिति के सामने अपनी गलती मान ली थी। इसी वजह से वह इस कार्रवाई से बच गए। कारी शोएब को अगले सत्र के शुरुआती दो दिन के लिए सस्पेंड किया गया है।
सुनील सिंह की नहीं सुनी गई बात
आचार समिति के फैसले से जब सुनील सिंह को अवगत कराया गया। तो वह सदन में अपनी बात रखना चाहते थे। सुनील सिंह ने कहा कि जिसको फांसी दी जा रही है उसकी बात तो सुन ली जाए। आचार समिति ने सुनील सिंह की सदस्यता खत्म करने की अनुशंसा की थी। इस पर उपसभापति रामवचन राय ने सदन में सुनील सिंह की सदस्यता रद करने की रिपोर्ट रखी थी। विधानसभा में अपनी सदस्यता गंवाने वाले सुनील सिंह दूसरे सदस्य बन गए हैं। इसके पहले रामबली सिंह की सदस्यता भी छीन ली गई थी।