जमशेदपुर पूर्वी में भाजपा व कांग्रेस में टिकट के लिए मारामारी, जानिए सरयू का क्या है सियासी सीन
जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट। झारखंड की हाट सीटों में से एक है। कभी इस पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास एक छत्र राज करते थे। मगर, पिछले विधासभा चुनाव 2019 में रघुवर का सियासी ताना-बाना ऐसा बिखरा कि इस बार इस सीट से सभी दल उम्मीद लगाए बैठे हैं। कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सरयू राय की भारतीय जनतंत्र मोर्चा (भाजमो) सब जोड़-तोड़ में जुटे हैं। भाजपा को अपना राजनीतिक गढ़ वापस पाने की चुनौती है। इसके लिए वह यहां से एक जिताऊ उम्मीदवार की तलाश कर रही है। भाजमो के लिए यह सीट अब नाक का सवाल बन गई है। विधायक सरयू राय इस सीट पर अपनी जीत को बरकरार रखने के लिए ऐसी संजीवनी की तलाश में हैं जिसे पाने के बाद उन्हें इस सीट से विजय का भरोसा मिल जाए। अंतर्कलह की शिकार कांग्रेस के लिए पूर्व सांसद डा. अजय कुमार आशा की किरण हो सकते हैं मगर, एक दूसरे की टांग खींचने को तैयार कांग्रेसी एकजुट हो पाएंगे। कहना मुश्किल है।
जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में भाजपा
भाजपा का गढ़ रही जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर अभी भाजमो के सरयू राय काबिज हैं। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को 15 हजार 833 मतों से हराया था। इसके बाद पार्टी ने अक्टूबर 2023 में रघुवर दास को ओडिशा भेज दिया। रघुवर दास को भाजपा इस सीट को सरयू राय से छीनने के लिए हाथ पैर मार रही है। इसके लिए उसे एक जिताऊ उम्मीदवार की तलाश है। माना जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस सीट पर लगातार पांच साल जीत का रिकार्ड बनाने वाले रघुवर दास को वापस लाने की नहीं सोच रहा है। भाजपा को यहां एक नए उम्मीदवार की तलाश है जो इस सीट पर सरयू राय को हरा सके। इसके लिए क्रिकेटर सौरभ तिवारी भी चर्चा में हैं। कुछ दिन पहले सौरभ तिवारी दिल्ली जाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल भी चुके हैं। इसीलिए, इस चर्चा को बल मिल रहा है कि सौरभ यहां से भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं। पार्टी इस चुनाव में सौरभ की साफ-सुथरी छवि और उनकी लोकप्रियता का फायदा उठा सकती है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता भी कतार में
सामाजिक कार्य कर अपना ग्राफ बढ़ाने में लगे भाजपा नेता शिवशंकर सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता रह चुके सामाजिक कार्यकर्ता अमरप्रीत सिंह काले भी भाजपा की उम्मीदवारी की लाइन में हैं। इसके अलावा, ओडिशा के राज्यपाल पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू भी चर्चा में हैं। माना जा रहा है कि रघुवर दास इस बात को लेकर एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं कि यहां से उन्हें या उनके परिवार से किसी को टिकट मिले। भाजपा नेता अभय सिंह भी जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ते रहे हैं। हालांकि, अभी वह राजनीतिक हाशिए पर चल रहे हैं। मगर, टिकट के दावेदारों में वह भी शामिल हैं। वैसे, राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि अभय सिंह जमशेदपुर पूर्वी से कई बार चुनाव हार कर इस सीट से उकता चुके हैं। अब उनकी निगाह जमशेदपुर पश्चिम पर है।
सीट से ही भाजपा का पत्ता काटने पर लगे हैं सरयू
इस सीट से वर्तमान विधायक भाजमो नेता सरयू राय ने साल विधानसभा चुनाव 2019 में मालिकाना हक के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने जनता से वादा किया था कि जो काम रघुवर दास नहीं कर सके वह अपने कार्यकाल में करेंगे और जनता को मालिकाना हक दिलाएंगे। सरयू राय की जीत के बाद इलाके के लोगों में उम्मीद बंध गई थी कि सरयू राय अब उन्हें मालिकाना हक दिलाएंगे। लेकिन, मालिकाना हक को लेकर जनता की झोली खाली है। इससे सरयू राय को भी इस सीट से चुनाव मुश्किल लग रहा है। दूसरी बात यह है कि रघुवर दास बदला लेने के लिए आतुर हैं। वह सरयू राय को घेरने की जुगत भिड़ा रहे हैं। सरयू भी इस बात से वाकिफ हैं कि अगर इस सीट पर भाजपा का उम्मीदवार रहेगा तो रघुवर उन्हें चैन से जीतने नहीं देंगे। यही वजह है कि सरयू की पूरी कोशिश है कि किसी तरह जमशेदपुर पूर्वी सीट जदयू के खाते में चली जाए तो बेहतर होगा। फिलहाल सरयू राय इसी प्लान पर काम कर रहे हैं।
डा. अजय को टिकट मिला तो होगी खींचतान
इस सीट से पूर्व सांसद डा. अजय भी दावेदार हैं। वह टिकट के लिए दिल्ली तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं। कहा जा रहा है कि डा. अजय का टिकट पक्का है। मगर, इसके साथ ही कांग्रेस में अंतर्कलह भी जोरों पर है। माना जा रहा है कि यह अंतर्कलह कांग्रेस के उम्मीदवार के लिए खतरनाक साबित होगी। यहां अंदरखाने कई नेता टिकट हासिल करने के लिए कोशिश कर रहे हैं। इनमें आनंद बिहारी दुबे भी शामिल हैं। आनंद बिहारी दुबे पहले भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।
जमशेदपुर पूर्वी कब कौन जीता
-साल 1967 के चुनाव में कांग्रेस के एमजे अखौरी बने विधायक
– साल 1969 के चुनाव में भाकपा के केदार दास बने विधायक
– साल 1972 के चुनाव में भाकपा के केदार दास फिर बने विधायक
– साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के दीनानाथ पांडेये जीते
– साल 1980 के चुनाव में दीनानाथ पांडेय ने भाजपा के टिकट पर दर्ज की जीत
– साल 1985 के चुनाव में कांग्रेस के दारयुस नरीमने ने जीता चुनाव
– साल 1990 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर दीनानाथ पांडेय ने जीता चुनाव
– साल 1995 के चुनाव में भाजपा के दीनानाथ पांडेय बने विधायक
– साल 2000 के चुनाव में भाजपा के दीनानाथ पांडेय बने विधायक
– साल 2005 में भाजपा के रघुवर दास बने विधायक
– साल 2009 के चुनाव में भाजपा के रघुवर दास बने विधायक
-साल 2009 में भाजपा के रघुवर दास बने विधायक
-साल 2014 में भाजपा के रघुवर दास बने विधायक
– साल 2019 में निर्दलीय सरयू राय बने विधायक