जमशेदपुर : झारखंड में विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बज गयी है. जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट इस बार हॉट सीट होगी. कारण है कि इस सीट पर भाजपा जहां अपने किसी बड़े चेहरे को उतार कर बन्ना गुप्ता के विजय रथ को रोकना चाह रही है. वहीं, मंत्री बन्ना गुप्ता के कथाकथित अपने भी अब पराए हो गये हैं. बड़े स्तर पर भितरधात की तैयारी की की गयी है. जातीय समीकरणों को भी भाजपा साधने में जुट गयी है. इस सीट पर भाजपा का टिकट चाहने वाले उम्मीदवारों की लंबी लिस्ट है. जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर भाजपा की उम्मीदवारी को लेकर मंथन चल रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संभावित उम्मीदवारों की सूची मंगा ली है. पार्टी के स्तर पर गुप्त सर्वे किया जा रहा है. इन नेताओं की छवि और क्षमता का आकलन हो रहा है। आइए जानते हैं कि अगले चुनाव में इस सीट पर कैसा रहेगा राजनीतिक माहौल।
बन्ना का नेटवर्क हो रहा कमजोर
जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर इस बार भी कांग्रेस की स्थिति डांवाडोल बताई जा रही है। यहां से स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का चुनाव लड़ना तय है। वह भी इसकी तैयारी में जुटे हैं। मगर, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। दो साल पहले इसका सिलसिला तब से चल रहा है जब से मानगो नगर निगम के चुनाव पर चर्चा शुरू हुई। चर्चा थी कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपनी पत्नी सुधा गुप्ता को नगर निगम में मेयर पद के लिए चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इसके बाद बन्ना के कई सिपहसालार साथ छोड़ गए. कुछ जेल भी भेजे गए। बन्ना गुप्ता आइटी सेल के जरिए कभी बन्ना गुप्ता के साये की तरह रहने वाले पप्पू सिंह ने मेयर पद के लिए दावा ठोका. जिसके बाद दोनों में अनबन शुरू हो गयी. इसके साथ ही बन्ना गुप्ता के साथ जो अन्य कार्यकर्ता हैं वे भी नाराज चल रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस बार बन्ना के साथ भितरघात भी हो सकती है। माना जा रहा है कि बन्ना के मानगो के नेटवर्क में अंदरूनी खींचतान शुरू हो गई है। अल्पसंख्यक वोट बैंक बन्ना गुप्ता की जीत का आधार माना जाता है। मगर, इस वोट बैंक में सेंधमारी हो रही है। अगर ऐसा हुआ तो बन्ना का रास्ता आसान नहीं होगा।
अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी होगी सेंधमारी
इस सीट पर अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। एक अरसे से अल्पसंख्यक वोट बैंक पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। मगर, अब इसमें सेंधमारी शुरू हो गई है। अंदर की बात यह है कि असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम (ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन) और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी में गठबंधन पर समझौता हो चुका है। जल्द ही इसका एलान होने वाला है। एआइएमआइएम ने विधानसभा चुनाव 2019 में जमशेदपुर के समाज सेवी रियाज शरीफ को मैदान में उतारा था। इस बार एआइएमआइएम और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी का गठबंधन इस सीट पर चुनाव लड़ सकता है। यह दोनों गठबंधन कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी करेंगे। ऐसा हुआ तो कांग्रेस कमजोर होगी।
पुल के इस पार से भरपाई में जुटे बन्ना
एआइएमआइएम और आजाद समाज पार्टी के गठबंधन के बाद क्या राजनीतिक सीन बन रहा है, इसका आभास बन्ना गुप्ता को हो गया है। अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंधमारी की सूरत में बन्ना गुप्ता इसकी भरपाई करने में जुट गए हैं। वह इस घाटे की भरपाई स्वर्णरेखा नदी पार सोनारी, कदमा, साकची, बिष्टुपुर आदि इलाके से करेंगे। इसकी तैयारी की जा रही है।
जमशेदपुर पश्चिम में कांग्रेस का संगठन जीरो
जमशेदपुर पश्चिम में कांग्रेस का संगठन जीरो है। जो पदाधिकारी हैं भी वह सक्रिय नहीं हैं। इस इलाके में जो इक्का-दुक्का बड़े नेता हैं वह भी साइडलाइन हैं। यहां अगर कांग्रेस जीतती रही है तो यह बन्ना गुप्ता के अपने नेटवर्क के बूते होता रहा है। इस सीट पर स्वास्थ्य मंत्री का अपना संगठन काफी मजबूत रहा है। यही वजह है कि बन्ना को कांग्रेस के संगठन की जरूरत नहीं पड़ती। अब धीरे-धीरे बन्न गुप्ता ने संगठन को सक्रिय करने की शुरुआत की है। इसके लिए उन्होंने अपने लोगों को संगठन में बैठा दिया है।
सरयू के जाने से भाजपा कमजोर
इस सीट पर सरयू राय कभी भाजपा के दमदार उम्मीदवार थे। साल 2019 के चुनाव में उनके सियासी प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यहां से सरयू का टिकट काट दिया। इस रणनीतिक गलती का भाजपा के साथ ही रघुवर को भी खमियाजा भुगतना पड़ा। जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर भाजपा कमजोर तो हुई ही। रघुवर को भी जमशेदपुर पूर्वी की अपनी सीट गंवानी पड़ी। सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय उम्मीदवार बन गए और रघुवर दास को मात दे दी। जमशेदपुर पश्चिम में भाजपा ने देवेंद्र सिंह को उतारा जो पार्टी की नैया पार नहीं लगा सके।
भाजपा में संभावित क्षत्रिय उम्मीदवारों की लगी है लंबी लाइन
अगर हम भाजपा की बात करें तो यहां उसके पास उम्मीदवारों की एक लंबी लाइन है। इनमें भाजपा नेता विकास सिंह हैं। विकास सिंह पहले यहां से नगर निगम का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। मगर, जब वह चुनाव टल गया तो विधानसभा की तैयारी में जुट गए। विकास सिंह इलाके में तकरीबन दो साल से मेहनत कर रहे हैं। भाजपा के व्यापार प्रकोष्ठ के नेता नीरज सिंह भी टिकट के लिए रस्साकशी कर रहे हैं। पूर्व कमिश्नर विजय सिंह, पूर्व डीआइजी राजीव रंजन सिंह, भाजपा नेता विनोद सिंह भी टिकट पर अपना दावा ठोक रहे हैं। पूर्व प्रत्याशी देवेंद्र सिंह, राजकुमार सिंह समेत एक दर्जन नेता दावा ठोंक रहे हैं. इसमें मजेदार बात यह है कि सभी दावेदार क्षत्रिय ही हैं. हालांकि, पार्टी सर्वे में जीत का प्रतिशत जिसका अधिक होगा, उसी के नाम पर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है. पार्टी किन पर अपना भरोसा जताती है। इस पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
तैयार हो रहा है तीसरा मोर्चा
मानगो में एक तीसरा मोर्चा भी तैयार हो रहा है। कभी बन्ना गुप्ता आइटी सेल बनाने वाले पप्पू सिंह और समाजसेवी शंभू नाथ चौधरी ने मिल कर यह मोर्चा तैयार किया है। इस मोर्चे में शामिल अधिकतर लोग कभी बन्ना गुप्ता के करीबी साथी हुआ करते थे। इन दिनों मानगो में यह मोर्चा सक्रिय हो गया है। सभाएं हो रही हैं। जनहित में मानगो नगर निगम का घेराव किया जा रहा है। तीसरे मोर्चा के लोग घर-घर जाकर अपने मोर्चा बनाने के मकसद के बारे में जानकारी दे रहे हैं। जनहित के मुद्दे उठाए जा रहे हैं तो युवाओं और महिलाओं को विभिन्न प्रकार की योजनाओं का लाभ भी दिलाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि शंभू नाथ चौधरी इस मोर्चे के उम्मीदवार होंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि तीसरा मोर्चा बन्ना गुप्ता का नुकसान कर सकता है। कहा जा रहा है कि तीसरे मोर्चे ने बन्ना गुप्ता के हिंदू वोट बैंक में क्षत्रिय, ओबीसी के साथ ही अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध मार दी है।
उतर सकते हैं अभय सिंह
भाजपा नेता अभय सिंह जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं। माना जा रहा है कि वह इस सीट से किस्मत आजमाना चाहते हैं। अभय सिंह जब बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा में थे तो कई बार जमशेदपुर पूर्वी सीट से रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ा था। वह भले ही कामयाब नहीं रहे। मगर, उनका दमखम बरकरार है। जमशेदपुर पश्चिम सीट पर सियासी स्थिति अलग है। भाजपा अभय सिंह को टिकट देती है तो वह यहां से बन्ना गुप्ता की राह मुश्किल बना सकते हैं। टिकट की दावेदारी में अभय सिंह प्रभावशाली माने जा रहे हैं। अभय सिंह बाबूलाल मरांडी के करीबी हैं। बाबूलाल मरांडी ने साल 2006 में जब भाजपा छोड़ी थी तो उनके साथ अभय भी उनकी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा में चले गए थे। 17 फरवरी साल 2020 में बाबूलाल मरांडी ने जब झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय कर लिया तो अभय सिंह भी वापस भाजपा में आ गए। बाबूलाल मरांडी प्रदेश अध्यक्ष हैं और टिकट बंटवारे में उनका अहम रोल होगा। शास्त्रीनगर में हुए बवाल के बाद अभय सिंह कई महीने तक जेल में थे। चुनाव में उन्हें इसका फायदा मिल सकता है।
जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा का फैक्ट फाइल
कुल मतदाता- तीन लाख 79 हजार 257
जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में कब कौन जीता
साल 1967- कांग्रेस के सी व्यास
साल 1969- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सुनील मुखर्जी
साल 1972- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राम अवतार सिंह
साल 1977- जनता पार्टी के मोहम्मद अय्यूब खान
साल 1980- कांग्रेस के मोहम्मद शमसुद्दीन खान
साल 1985- भाजपा के मृगेंद्र प्रताप सिंह
साल 1990- झामुमो के मोहम्मद हसन रिजवी
साल 1995- भाजपा के मृगेंद्र प्रताप सिंह
साल 2000- भाजपा के मृगेंद्र प्रताप सिंह
साल 2005- भाजपा के सरयू राय
साल 2009- कांग्रेस के बन्ना गुप्ता
साल 2014- भाजपा के सरयू राय
साल 2019- कांग्रेस के बन्ना गुप्ता