शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर साधा निशाना, क्यों कहा शकुनि, चौरस और चक्रव्यूह क्यों याद आते हैं
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने आज राज्यसभा में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें शकुनि, चौरस और चक्रव्यूह हमेशा याद आते हैं। वह जब महाभारत काल को याद करते हैं तब उन्हें कन्हैया याद आते हैं। उन्होंने सवाल किया कि अधर्म और अनीति किसने की ?, किसान के लिए विरोध तो कांग्रेस के डीएनए में है।
चौरस में भी धोखा है
उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर सवाल पर जवाब देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कांग्रेस को शकुनि, चौरस और चक्रव्यूह हमेशा क्यों याद आते हैं। शकुनि कपट और धोका का प्रतिक थे। चौरस में भी धोका है और चक्रव्यूह में तो घेर कर मरना होता है। क्या यही कांग्रेस का असली चेहरा है ? उन्होंने कहा कि जब वह महाभारत काल को याद करते हैं, तब उन्हें भगवान् श्री कृष्ण याद आते हैं। लेकिन, विपक्ष को कपट और छल का प्रतीक शकुनि और चौरस की याद आती है। कांग्रेस ने तो अपने केंद्र और राज्य के घोषणा पत्र में कई बार कहा है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो पूरा कर्ज माफ़ कर देंगे। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में तो 2 लाख का कर्ज 10 दिनों में माफ़ नहीं हुआ। तो 11 वें दिन मुख्यमंत्री ने हटाने का वादा कर दिया।
कांग्रेस की प्राथमिक्ताओं को बताया गलत
उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक्ताओं को शुरू से ही गलत बताया। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आदर करते हुए उन्होंने कहा की वे रूस से एक मॉडल देख कर आए और उसे लागू करने को कहा। लेकिन उसे चौधरी चरण सिंह ने गलत बता दिया। 17 साल प्रधानमंत्री रहने के बाद भी क्या हुआ। अमेरिका से लाया हुआ सड़ा लाल गेहूं खाने पर मजबूर किया गया।
पहले वसूली जाती थी लेवी
आगे उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के ज़माने में जबरदस्ती लेवी वसूली जाती थी। एग्रीकल्चर प्राइस पॉलिसी की बात राजीव गांधी ने जरूर की लेकिन, कोई ऐसा ठोस कदम किसानों की आय बढ़ाने के लिए नहीं लिया गया। कृषि से जुड़े उद्योग की डी-लाइसेंसिंग नरसिम्हा राव की सरकार में भी नहीं की गई। 2004 से 2014 तक देश को घोटालों का देश माना जाता था। उसके बाद देश में नरेंद्र मोदी की सरकार ने कृषि की प्राथमिकताएं बदल दीं।
सरकार की प्राथमिकताएं गिनाईं
सरकार की 6 प्राथमिकताएं
उन्होंने कहा कि हमारी 6 प्राथमिकताएं हैं – कृषि का विविधीकरण , ठीक दाम देना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पादन बढ़ाना और आने वाली पीढ़ी के लिए धरती सुरक्षित रहे इसके लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का उनका प्रयास है। यह सरकार रोडमैप बना कर काम कर रही है।
कृषि का बजट बढ़ा दिया गया है
2013 – 14 के बजट में कृषि का बजट 27664 करोड़ रुपये था, जो आज बढ़कर 146055 करोड़ हो गया है। सिंचाई के लिए जलशक्ति मंत्रालय अलग से प्रबंध में लगा हुआ है। उत्पादन बढ़ने के लिए पहली प्राथमिकता सूखे खेतों में पानी पहुंचाना है। कांग्रेस की सरकार ने कभी गंभीरता से काम नहीं किया। रीवर लिंकिंग की बात अटल बिहारी वाजपेयी ने की। इसे सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने गुजरात में किया और मध्यप्रदेश मे भी बहुत सी नदियों को जीवित करने का काम किया।
प्रधान मंत्री सिंचाई योजना पर चल रहा है काम
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम जारी है। उन्होंने बताया कि आज केन-बेतवा नदी को जोड़ने की मंजूरी दी गई है और बाणसागर जैसे कई बांधों का पूरा काम नहीं हो पाया है। लेकिन, अब खेती और किसानों को प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने इस योजना के तहत सस्ती खाद की प्राप्ति और किसानों को बेहतर दाम मिलने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। वे दावा करते हैं कि मोदी सरकार सस्ती खाद की आपूर्ति जारी रखेगी और पानी पर भी ध्यान दिया जा रहा है। सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत ड्रिप और स्प्रिंकलर से नहर में बहते पानी का वाष्पीकरण भी किया जाता है।
इस योजना में सरकार ने 2014-15 से लेकर 2023-24 तक कुल 21,615 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने बताया कि अब सरकार की नीति है कि दलहन में आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने खाद की खरीद तक के आंकड़े गिनाए हैं।
एमएसपी पर पूरी फसलों की खरीद की घोषणा
कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार ने फैसला किया है कि एमएसपी पर पूरी फसलों की खरीद की जाएगी, जितना भी किसान उत्पादन करेगा। इस निर्णय के तहत, यदि एमएसपी के नीचे बाजारी दर मिलती है, तो किसान अपनी उपज एमएसपी पर ही बेच सकेंगे।
मध्य प्रदेश में शरबती गेहूं की कीमत वर्तमान में चार हजार से पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल है, जो कि किसानों के लिए बड़ी ख़ुशख़बरी है। हरियाणा के बासमती चावल भी विदेशों में अपनी प्रतिष्ठा बना रहे हैं।
सरकारी निर्णय का विरोध करते हुए, किसानों के प्रति एमएसपी पर बेचने की अवश्यकता को जाहिर किया गया है। सभापति ने कहा कि जब बाजार सपोर्ट नहीं करेगा, तब किसानों को अपनी उपज एमएसपी पर ही बेचनी पड़ती है।
सरकारी निर्णय पर टिके हुए, शिवराज ने बताया कि किसान समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं और वोटबैंक के लिए नहीं, बल्कि भगवान समान हैं। इस संकल्प के साथ, सरकार धान और गेहूं जैसी मुख्य फसलों की खरीद में भी सक्रिय रही है।
धान और गेहूं की खेती में उच्च उपज और उनकी उपज के साथ-साथ सरकार ने उनकी खरीद भी की है, जिससे किसानों को आर्थिक संवेदनशीलता मिल सके। इस निर्णय के तहत, सरकार ने वादा किया है कि किसानों को मूल्य मिलने में हर संभव प्रयास करेगी।