नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में 10 साल के बाद चुनाव हो रहे हैं। अभी यहां दूसरे चरण में चुनाव चल रहे हैं। कुल 26 सीट में जम्मू कश्मीर की जनता वोट डाल रही है। इस चुनाव में कई सीटों में कड़ा मुकाबला भी देखने को मिल रहा है। दूसरे चरण में हो रही वोटिंग में चुनाव आयोग की तो नजर है ही, इसके साथ 16 डिप्लोमैट्स जो विदेश के 20 देशों से आए हैं उनकी भी उपस्थिति देखने को मिल रही है।
जम्मू-कश्मीर क्यों आ रहे विदेशी मेहमान ?
मिली जानकारी के अनुसार यूरोपियन यूनियन, रूस, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से कुल 16 डिप्लोमैट्स जम्मू-कश्मीर आए हैं। इस प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत विदेश मंत्रालय के कुल 4 अधिकारी रहने वालें हैं। जम्मू के बजाय सिर्फ श्रीनगर और बडगाम के कुछ जिलों में यह प्रतिनिधिमंडल कवर करने वाला है। इसे लेकर केंद्र सरकार का यह तर्क है की विदेशी मेहमानों को यहा बुलाकर दिखाया जा रहा है की जम्मू-कश्मीर में चुनाव शांतिपूर्वक तरीके से हो रहा है।
सरकार को उमर अब्दुल्ला ने दिखाया आईना
विपक्ष ने सरकार के इस नियत पर सवाल उठा दिया है। विपक्ष के कई नेताओं का यह कहना है की जम्मू-कश्मीर में चुनाव होना भारत का एक आंतरिक मामला है। इसमें विदेश के लोगों को बुला कर दिखाने का क्या मतलब है। यह भारत के कई साल पुराने स्टैंड के खिलाफ है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने इस मामले में कहा कि यह हैरानी की बात है कि जो सरकार जम्मू-कश्मीर को भारत के आन्तरिक रूप में देखती है, वही चुनाव शांतिपूर्वक हो रहे है कि नहीं इस पर कमेंट करने के लिए वह दूसरे देश के लोगों को बुला रही है.
क्या है भाजपा का लॉजिक ?
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा की अगर केंद्र सरकार विदेशी डिप्लोमैट्स को बुला सकती है। तो सरकार विदेशी पत्रकारों को जो OCI कार्ड वाले हैं उन्हें चुनाव कवर करने के लिए क्यों नहीं आने दे रही है। उनकी रिक्वेस्ट को क्यों नजरअंदाज कर दिया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने पहले भी कई बार जम्मू-कश्मीर में ऐसे विदेशी मेहमानों को बुलाया है। चाहे वह G20 बैठक में हो या फिर किसी और कार्यक्रम हो। इस मामले में भाजपा का कहना है की अगर कोई सामने से जम्मू-कश्मीर आने के लिए इच्छुक है तो इसमें किसी को क्या दिक्कत हो सकती है।