श्रीनगर: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा में 44 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी। इस लिस्ट को पार्टी ने जारी करने के 2 घंटे के बाद ही वापस ले लिया था। बताया था कि लिस्ट में सुधार किए जाने हैं। भाजपा ने उमीदवारों के नाम में सुधार करते हुए दूसरे और तीसरे चरण में उम्मीदवारों के नाम को होल्ड पर डाल दिया है। पार्टी के इस कदम को लेकर राजनितिक सरगर्मी बढ़ गई है। भाजपा आम तौर पर ऐसा कदम नही उठाती। कहा जा रहा है कि पार्टी ये इसलिए कर रही है क्योंकि वह अपने उत्तर प्रदेश लोकसभा में हुई गलतियों को दोहराना नहीं चाहती है। पार्टी ने तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए 44 उमीदवारों की सूची अपने आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड भी कर दी थी। लिस्ट अपलोड करने के 2 घंटे बाद ही पार्टी ने इसे डिलीट कर दिया था। अब पहले चरण में होने वाले चुनाव के लिए केवल 15 उमीदवारों के नाम वेबसाइट पर दिख रहे हैं .भाजपा के सूत्रों का कहना है दूसरे और तीसरे चरणों के उमीदवारों के नाम गलती से सूची में शामिल हो गए थे। संभावित उमीदवारों के नाम भी तय कर लिए गए थे। लेकिन अभी उसे जारी नहीं करना था।
संघ की नाराजगी के चलते डिलीट करनी पड़ी थी सूची
सूत्रों की मानें तो यह बदलाव संघ के नेताओं की नाराजगी के कारण किया गया है। जब कठुआ के बिलावर सीट से डॉ निर्मल सिंह की जगह किसी और नेता को उमीदवार बनाया गया था। पार्टी के साझा सरकार के दौरान निर्मल सिंह उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह आरएसएस के बहुत पुराने कार्यकर्ता भो हैं। उनका टिकट काटे जाने से संघ में नाराजगी है। हालांकि निर्मल सिंह अपनी सीट बदल चुके हैं।
संघ में देवेन्द्र सिंह को टिकट दिए जाने पर भी नाखुशी है। देवेन्द्र सिंह नेशनल कांफ्रेंस पार्टी छोड़ कर भाजपा में आए हैं। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह के वह भाई हैं। ऐसे में बाहरी उमीदवारों को टिकट देने से भी संघ नाखुश नजर आ रहा है और इसे ठीक नहीं मान रही है। इसे विरोधी दल भाई भतीजा के उदाहरण के तौर पर पेश कर सकता है . लेकिन भाजपा तो परिवारवाद का विरोध करती है।
देवेंद्र सिंह थे नेशनल कांफ्रेंस का हिंदू चेहरा
भाजपा के सूत्र इन आरोपों को भी गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि नेशनल कांफ्रेंस में देवेन्द्र सिंघ एक हिन्दू नेता के तौर पर थे। नेशनल कांफ्रेंस इसी का फायदा उठा रही थी। पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत देवेन्द्र सिंह को भाजपा में शामिल कराया। उन्हें यह आश्वासन भी दिया कि उन्हें टिकट दिया जाएगा। इसके कारण नेशनल कांफ्रेंस का हिन्दू फेस अब खत्म हो गया है। जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा सीट में होने वाले चुनाव में भाजपा जरा भी रिस्क नहीं लेना चाहती है। आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पिछली बार 10 साल पहले साल 2014 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे। भाजपा हर हाल में जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है। 2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा का परफार्मेंस बहुत ही खराब था। इसका मुख्य कारण प्रत्याशियों का चयन भी बताया जा रहा है। पार्टी उत्तर प्रदेश में हुई गलती को दोहराना नहीं चाहती है।