पांच साल से मेहनत कर रहे दर्जन भर भाजपा नेताओं के अरमानों पर पानी
जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिम में सरयू की धारा बहने जा रही है। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक जदयू नेता सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ेंगे। इसका मतलब है कि जमशेदपुर पश्चिम की सीट जदयू की झोली में चली गई है। जमशेदपुर पश्चिम से सरयू राय का चुनाव लड़ना लगभग तय हो गया है। इस पर आधिकारिक मोहर लगनी बाकी है। दुर्गा पूजा के दौरान ही एनडीए अपने उम्मीदवारों का एलान कर सकता है। इसके बाद जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर भी तस्वीर साफ हो जाएगी। सरयू राय के जमशेदपुर पश्चिम में आने से यहां के सियासी समीकरण बदल रहे हैं। माना जा रहा है कि यहां एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर होने जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। आज की इस खबर में हम जानेंगे कि सरयू राय के पश्चिम में आने का सियासी फिजा पर क्या असर होगा। कौन-कौन नेता इस खबर को सुन कर हैरान और परेशान हैं। किन नेताओं का कैरियर दांव पर लगने वाला है।
कांग्रेस व जदयू में होगी कांटे की टक्कर
जमशेदपुर पश्चिम की सीट जदयू के खाते में जाने से अब यहां का सियासी माहौल तब्दील हो गया है। इस बार विधानसभा चुनाव 2024 में मुख्य मुकाबला कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और जदयू के सरयू राय के बीच होने वाला है। इस सीट पर पहले भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर हुआ करती थी। अधिकतर चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता था। साल 2005 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच ही टक्कर हुई है। साल 2005 का मुकाबला ऐसा रहा है जिसमें भाजपा और समाजवादी पार्टी सीधी टक्कर हुई थी। तब कांग्रेस चौथे स्थान पर चली गई थी।
पूर्वी के मुकाबले पश्चिम में ज्यादा मजबूत हैं सरयू
राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगर सरयू राय जमशेदपुर सीट पर आते हैं तो यह उनके लिए अच्छी बात होगी। जमशेदपुर पूर्वी के भाजपा के संगठन में पूर्व सीएम रघुवर दास के करीबियों की भरमार है। इसलिए अगर सरयू राय इस बार जमशेदपुर पूर्वी से लड़ेंगे तो उनके लिए भाजपा का कैडर ही मुश्किल खड़ी कर सकता है। भितरघात की संभावना भी रहेगी। जमशेदपुर पश्चिम में सरयू राय दो बार चुनाव जीत चुके हैं। यहां भाजपा के संगठन में सरयू राय के करीबियों की खासी संख्या है। इसलिए, पश्चिम में सरयू राय की सियासी स्थिति पूर्वी की तुलना में अधिक मजबूत होगी। हालांकि, जमशेदपुर में जदयू का कोई मजबूत नेटवर्क नहीं है। सरयू भारतीय जनतंत्र मोर्चा के संरक्षक हैं। इस पार्टी का पूर्वी में तो नेटवर्क ठीक है। मगर, पश्चिमी पर पार्टी ने अधिक ध्यान नहीं दिया है। इसका नुकसान सरयू को हो सकता है। मगर, इसकी भरपाई वह भाजपा के कैडर से कर लेंगे। माना जा रहा है कि अगर यहां से जेडीयू की जीत हुई तो भाजपा का संगठन कमजोर हो जाएगा।
बन्ना के लिए जटिल हो जाएगा चुनाव
माना जा रहा है कि सरयू राय के जमशेदपुर पश्चिम में आने से स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के लिए यह चुनाव जटिल हो जाएगा। सरयू राय राजनीति के माहिर माने जाते हैं। वह जहां हिंदू वोट एकजुट कर लेंगे तो इस बात की भी संभावना है कि मुस्लिम वोट बैंक में सरयू की सेंधमारी हो जाए। मुस्लिम समुदाय में भी सरयू की पैठ है। पिछले कार्यकाल में ही सरयू राय को लग गया था कि भाजपा में उनका टिकट खतरे में है। इसलिए उन्होंने मुस्लिम इलाके में खूब काम कराया था। बताया जा रहा है कि इसका भी सरयू को फायदा मिलेगा। मुस्लिम समुदाय के कई नेता सरयू राय के संपर्क में रहते हैं। इसके अलावा, बिहार के जदयू के मुस्लिम नेताओं का शहर आना जाना लगा रहता है। जदयू इन नेताओं को भी प्रचार के लिए भेज सकती है। खुद नीतिश कुमार की भी मुस्लिमों के बीच अच्छी छवि है। इन हालात में बन्ना गुप्ता की दिक्कतें बढ़ जाएंगी। यही नहीं, निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े होने की बात करने वाले शंभू चौधरी और पूर्व में बन्ना गुप्ता के करीबी रहे पप्पू सिंह भी मंत्री की राह में बड़ा रोड़ा साबित हो रहे हैं।
पश्चिम से दो-दो बार जीत चुके हैं बन्ना व सरयू
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जमशेदपुर पश्चिम से दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। विधानसभा चुनाव 2019 में बन्ना गुप्ता ने भाजपा के उम्मीदवार देवेंद्र नाथ सिंह को 22 हजार 583 मतों से हराया था। इसके पहले बन्ना गुप्ता साल 2009 के चुनाव में जीते थे। तब उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार सरयू राय को 3 हजार 297 मतों से हराया था। मगर, साल 2014 के चुनाव में बन्ना गुप्ता सरयू राय से हार गए थे। इस चुनाव में सरयू राय विधायक बने थे। साल 2000 और 2005 में भी बन्ना गुप्ता को हार का मुंह देखना पड़ा था। 2005 में बन्ना गुप्ता सरयू राय से 12 हजार 695 मतों से हार गए थे। तब बन्ना कांग्रेस से नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे। 2000 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी के ही टिकट पर चुनाव लड़ रहे बन्ना गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे थे। यह चुनाव भी भाजपा के मृगेंद्र प्रताप सिंह ने जीता था।
पहली बार भाजपा रहेगी सीन से बाहर
जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार मृगेंद्र प्रताप सिंह पहली बार चुनाव जीते थे। तब से इस सीट पर हमेशा भाजपा का उम्मीदवार चुनावी मैदान में रहा है। अगर यह सीट जदयू की झोली में जाती है तो इस बार का चुनाव पहला होगा जब भाजपा सीन से गायब रहेगी। इस बार के चुनाव में भाजपा का कोई उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं होगा।
चकरा गए हैं दर्जन भर भाजपा नेता
दर्जन भर भाजपा नेता जमशेदपुर पश्चिम में पांच साल से मेहनत कर रहे हैं। इनमें पूर्व डीआइजी राजीव रंजन सिंह, नीरज सिंह, पूर्व कमिश्नर विजय सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद सिंह, विकास सिंह आदि लगातार काम कर रहे हैं। पश्चिम में भाजपा के पास कोई तगड़ा उम्मीदवार नहीं था। जिन लोगों के नाम यहां से चल रहे थे उनका कैरियर गठबंधन की भेंट चढ़ गया। इससे यहां उम्मीदवारी की कतार में लगे भाजपा नेता चकरा गए हैं। उनकी पांच साल की मेहनत मटियामेट हो गई है।
सरयू के पश्चिम में आने से एनडीए को फायदा
सरयू राय के जमशेदपुर पश्चिम में आने से एनडीए को फायदा होगा। अगर सरयू राय पूर्वी में रहते तो भाजपा को पश्चिम से कोई नया उम्मीदवार उतारना पड़ता। जैसा कि पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में हुआ था। सरयू का टिकट काटने के बाद भाजपा को यहां से उम्मीदवार नहीं मिल रहा था। किसी तरह देवेंद्र सिंह को उतारा गया। मगर वह हार गए। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार भी वही होता। बन्ना गुप्ता के सामने नए उम्मीदवार के जीतने की गारंटी नहीं थी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसी वजह से भाजपा के थिंक टैंक ने इस सीट को जदयू को देने का फैसला किया है। यह सीट जदयू के खाते में चले जाने से सरयू राय इस सीट को जीत कर एनडीए की झोली में डाल सकते हैं। जमशेदपुर पूर्वी में भाजपा का जो भी उम्मीदवार होगा उसे रघुवर खेमा सपोर्ट करेगा और इस तरह पूर्वी में भी एनडीए को एक सीट मिल सकती है। आपको बता दें कि इस बार जो राजनीतिक हालात बन रहे हैं उसमें कोल्हान में भाजपा का खाता खुल सकता है। इसके उलट, अगर सरयू पूर्वी से होंगे तो यहां उन्हें रघुवर से अदावत का अंजाम झेलना पड़ सकता है। तब पश्चिम और पूर्वी की इस दोनों सीट पर भाजपा के लिए खतरे की घंटी थी।