रांची : झारखंड की राजनीति में इस बार एक नया चेहरा पूरे राज्य में हलचल मचा रहा है – जयराम महतो. महज 30 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा बनाई और राज्य की राजनीति में बतौर “तीसरी शक्ति” उभर कर सामने आए हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम 76 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जो बीजेपी, कांग्रेस, और झामुमो जैसी बड़ी पार्टियों से भी अधिक है. झारखंड के चुनावी समीकरणों में जयराम महतो का यह दांव एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए खतरे की घंटी बन सकता है.
‘टाइगर’ जयराम महतो का उभार
जयराम महतो की कहानी झारखंड में एक युवा नेता के उभार की कहानी है. उनका जन्म झारखंड के धनबाद जिले के मानटांड गांव में हुआ. छात्र जीवन से ही सक्रिय, जयराम का झुकाव स्थानीय मुद्दों की ओर रहा. झारखंड में 2021 के दौरान भाषा विवाद को लेकर जो आक्रोश फूटा, उसी समय से जयराम ने स्थानीय लोगों और युवाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू किया. वे कुर्मी महतो समुदाय से आते हैं, जो झारखंड के बडे सामाजिक समूहों में से एक है, और यही समुदाय अब उनकी पार्टी का मुख्य आधार बनता जा रहा है. उनके प्रशंसक उन्हें ‘टाइगर’ के नाम से बुलाते हैं. चुनावी सभाओं में गाड़ी की बोनट पर खडे होकर भाषण देने वाले जयराम का अंदाज युवाओं को काफी आकर्षित करता है. जींस और टी-शर्ट पहने हुए, स्थानीय मुद्दों पर ठेठ झारखंडी अंदाज में बात करने वाले इस नेता की सभाओं में भारी भीड़ उमड़ती है. रोजगार, स्थानीयता और भाषा के मुद्दों पर मुखर जयराम महतो ने झारखंड के युवाओं के बीच खासा जनाधार बना लिया है.
स्थानीय मुद्दों पर पकड़, युवाओं का समर्थन
जयराम महतो का राजनीति में उभार स्थानीय मुद्दों पर पकड़ और युवाओं से सीधे जुड़ाव की वजह से हुआ है. उनकी पार्टी जेएलकेएम का चुनावी एजेंडा नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता, 1932 के खतियान के आधार पर मूल निवासी की पहचान, और झारखंड की स्थानीय भाषाओं को संरक्षण देना है. इसी वर्ष उनकी पार्टी को निर्वाचन आयोग से मान्यता मिली, और उन्हें कैंची चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है. अपने इस सटीक चुनावी मुद्दों के चलते वे न केवल कुर्मी महतो बल्कि झारखंड के अन्य समुदायों के बीच भी अपना समर्थन आधार बढ़ा रहे हैं.
NDA और INDIA गठबंधन के लिए खतरे की घंटी
झारखंड में मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधनों के बीच माना जा रहा है. एनडीए में बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन शामिल हैं, जबकि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस कर रहे हैं. लेकिन जेएलकेएम के मैदान में उतरने से दोनों गठबंधनों के चुनावी समीकरण बिगड़ सकते हैं. जयराम महतो की पार्टी राज्य के 76 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जो कि राज्य की कुल 81 विधानसभा सीटों में एक विशाल हिस्सेदारी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि जेएलकेएम की मौजूदगी कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है. खासकर कुर्मी बहुल क्षेत्रों में, जहां जयराम महतो की मजबूत पकड़ है, वहां एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए चुनौती बढ़ गई है. आजसू के मुखिया सुदेश महतो, जो लंबे समय से कुर्मी समुदाय के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, उनके वोट बैंक में जयराम सेंध लगा सकते हैं. वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के पारंपरिक वोट बैंक पर भी जेएलकेएम का असर देखने को मिल सकता है.
JLKM का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन और विधानसभा चुनाव में संभावनाएं
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी जेएलकेएम ने झारखंड की 14 में से 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. गिरिडीह सीट से जयराम महतो ने 3 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे, जबकि हजारीबाग, रांची और कोडरमा में पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे. इन सीटों पर मिले जनसमर्थन ने जेएलकेएम को विधानसभा चुनावों में भी व्यापक स्तर पर उम्मीदवार उतारने का साहस दिया है. विधानसभा चुनाव में जयराम महतो ने खुद डुमरी और बेरमो जैसी प्रमुख सीटों से नामांकन दाखिल किया है.
कुर्मी वोट बैंक का गणित और JLKM का प्रभाव
झारखंड में कुर्मी समुदाय की आबादी लगभग 15 फीसदी है और राज्य के 32 से 35 सीटों पर इस समुदाय का अच्छा-खासा प्रभाव है. जेएलकेएम का उभार इन सीटों पर कई बड़ी पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. सिल्ली, रामगढ़, गोमिया, डुमरी, और ईचागढ़ जैसी सीटों पर कुर्मी मतदाता बहुसंख्यक हैं, और यहां जयराम महतो की पार्टी का प्रभाव एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. एनडीए के लिए, जेएलकेएम का बढ़ता जनाधार एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि बीजेपी ने कुर्मी वोट बैंक को सुदेश महतो के आजसू के साथ गठबंधन करके साधने की कोशिश की थी. लेकिन जयराम महतो की पार्टी के मैदान में आने से इस समीकरण में अस्थिरता आई है. दूसरी ओर, झारखंड मुक्ति मोर्चा, जो आदिवासी वोट बैंक पर आधारित है, उसे भी कुर्मी बहुल सीटों पर जेएलकेएम के प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है.
विधानसभा चुनाव 2024: संभावित उलटफेर की उम्मीदें
झारखंड के इस विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम का प्रदर्शन राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव का कारण बन सकता है. कुर्मी बहुल क्षेत्रों में जेएलकेएम की पकड़ का सीधा असर दोनों प्रमुख गठबंधनों पर पड़ेगा. जयराम महतो की आक्रामक शैली और स्थानीय मुद्दों पर जोर देने की राजनीति उन्हें युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय बना रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जेएलकेएम कुर्मी वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखती है, तो विधानसभा चुनावों के परिणाम काफी चौंकाने वाले हो सकते हैं. इन सीटों पर जेएलकेएम के प्रभाव से एनडीए और इंडिया दोनों के जीत के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं. विशेषकर सिल्ली, रामगढ, मांडू, गोमिया, डुमरी, और ईचागढ़ जैसे क्षेत्रों में कुर्मी मतदाताओं की बड़ी संख्या के कारण जेएलकेएम की भूमिका निर्णायक हो सकती है.
जयराम महतो: एक नई राजनीतिक शक्ति का उदय
राजनीति में जयराम महतो का उभार एक नई शक्ति का संकेत है. भाजपा और जेएमएम जैसी बड़ी पार्टियों से मुकाबला करते हुए जेएलकेएम ने जिस तरह से छिहत्तर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उससे झारखंड की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. उनकी पार्टी का मुख्य फोकस स्थानीय मुद्दों पर है, और इसके चलते उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है. जयराम महतो का करिश्माई व्यक्तित्व, और भाषणों में आक्रामकता उन्हें झारखंड के युवा मतदाताओं के बीच अलग पहचान दिला रही है.
2024 के चुनावी मैदान में JLKM का असर
झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार जेएलकेएम की मौजूदगी ने राजनीति का पूरा माहौल बदल दिया है. जहां एनडीए और इंडिया गठबंधन अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने में जुटे हैं, वहीं जेएलकेएम की एंट्री से राज्य की राजनीति में तीसरी शक्ति के रूप में उभरने का मौका मिला है. जयराम महतो की पार्टी का असर कुर्मी बहुल सीटों के अलावा आदिवासी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है. राज्य में 76 सीटों पर जेएलकेएम की मौजूदगी से भाजपा, कांग्रेस, और झामुमो के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. हर पार्टी अब अपनी रणनीतियों को जेएलकेएम के आधार पर दोबारा तैयार कर रही है, क्योंकि जेएलकेएम के चलते कई सीटों पर चुनावी नतीजे अनिश्चित हो सकते हैं. झारखंड की राजनीति में जयराम महतो का उभार एक बड़ी घटना है. उनकी पार्टी जेएलकेएम इस चुनाव में एक नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभरकर सामने आई है. 76 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर जेएलकेएम ने जहां एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है, वहीं जयराम महतो का करिश्माई नेतृत्व और उनकी आक्रामक राजनीतिक शैली राज्य की राजनीति में नई दिशा देने का संकेत दे रही है. इस विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम का प्रदर्शन न केवल राज्य के राजनीतिक समीकरणों को बदलेगा, बल्कि झारखंड में तीसरी राजनीतिक शक्ति के उभार को भी मजबूत करेगा. अगर जेएलकेएम अपने कुर्मी वोट बैंक के साथ-साथ अन्य समुदायों में भी पैठ बना पाती है, तो झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम राज्य की राजनीति को नई दिशा में ले जा सकता है.