रांची: झारखण्ड विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. इसे लेकर सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी तेज कर ली है. भाजपा ने 66 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. वहीं आजसू के खाते में 10 सीट आई है .इसमें पार्टी ने 8 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगा दी है. इंडिया गठबंधन ने भी सीटों का बंटवारा कर लिया है.70 सीटों पर कांग्रेस और जेएमएम के प्रत्याशी होंगे.बाकी सीटों पर सहयोगी दलों के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.70 में 41 सीटें जेएमएम के खाते में हैं जबकि, 29 सीटें कांग्रेस के पास होंगी.इस चुनाव में एक नाम ऐसा है जिसने झारखण्ड की राजनीति में उफान ला दिया है. वह नाम है जयराम महतो. जयराम महतो अपने पार्टी जेएलकेएम के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं. हाल ही में उन्होंने 8 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. इस लिस्ट में सिल्ली, घाटशिला, जमशेदपुर पूर्वी, पोटका, महगामा, कांके, जरमुंडी और पोड़ैयाहाट की सीटें हैं. इस खबर में हम आपको बताएंगे इन सभी सीटों में जेएलकेएम का मुकाबला किससे होने वाला है और कितनी संभावनाएं हैं कि जेएलकेएम इन सीटों से चुनाव जीत पाए.
सभी सीटों के विश्लेषण से पहले हम आपको बता दें कि जयराम महतो इस बार दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे. इस बात पर पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता सुशिल मंडल ने मुहर लगा दी है. उन्होंने बाताया कि जयराम महतो मांडू या गोमिया में से किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. जयराम महतो डुमरी से चुनाव लड़ने वाले हैं. वह गोमिया या मांडू से भी चुनाव लड़ सकते हैं.
सिल्ली में सुदेश की बढ़ी टेंशन
सबसे पहले सिल्ली विधानसभा सीट की बात करते हैं.यह सीट राज्य की हॉटसीटों में से एक है. इस सीट से जेएलकेएम ने देवेंद्रनाथ महतो को चुनावी मैदान में उतारा है. वह एक छात्र नेता हैं.देवेंद्रनाथ महतो ने इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में रांची लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्हें करीब डेढ़ लाख वोट मिले थे. उनके इस प्रदर्शन से सभी की आंखे खुली की खुली रह गई थीं.इस बार सिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. जयराम ने देवेंद्रनाथ महतो की नाम की घोषणा तीसरी सूची में की है. ऐसी खूब चर्चा हो रही थी कि जयराम उन्हें टिकट नहीं देंगे. इस कारण से उन्होंने पार्टी के प्रति नाराजगी भी दिखाई थी. लेकिन अब इन सभी चर्चाओं पर विराम लग चुका है. वह अब सिल्ली से जेएलकेएम के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.सिल्ली को सुदेश महतो का गढ़ माना जाता है. लेकिन झामुमो के अमित महतो ने साल दो हजार चौदह में सुदेश महतो को हराया था. अमित महतो झामुमो से नाराज चल रहे थे. लेकिन उनकी नाराजगी अब खत्म हो चुकी है. उन्होंने उन्नीस अक्टूबर को रात तकरीबन नौ बजे सीएम हेमंत सोरेन से उनके रांची स्थित आवास में मुलाकात की थी. सीएम हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल इंस्टाग्राम में उनके साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की थी. उन्होंने लिखा था की सिल्ली के पूर्व विधायक और जुझारू युवा नेता अमित महतो का झामुमो परिवार में एक बार फिर से स्वागत है. इसके साथ ही उन्होंने अमित महतो के लिए लिखा था की लड जाओ, भिड जाओ. उनकी इस मुलाकात से यह बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि अमित महतो सिल्ली से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. वही आजसू के सुदेश महतो इस सीट के सीटिंग एमएलए हैं. वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उनका इस सीट से चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. उन्हें झामुमो के अमित महतो और जेएलकेएम के देवेंद्रनाथ महतो का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में सिल्ली त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. सिल्ली में कुडमी और आदिवासी वोटरों का प्रभाव है. ऐसे में तीन कुडमी नेताओं का इस सीट से चुनाव लड़ना काफी रोचक होने वाला है. एक प्लस पॉइंट झामुमो की तरफ हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि झामुमो आदिवासी वोटरों को साध सकती है और अमित महतो खुद कुडमी हैं तो वह कुडमी समुदाय के लोगों को भी प्रभावित करेंगे. सुदेश महतो का चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी की इस सीट पर कौन अपना झंडा गाडता है.
पोटका में झामुमो उठाएगी भाजपा में भितरघात का फायदा
जेएलकेएम में पोटका से भागीरथ हांसदा को चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट से झामुमो के संजीब सरदार वर्तमान के विधायक हैं. इस बार के चुनाव में झामुमो एक बार फिर से संजीब सरदार को चुनाव लड़ने का मौका देगी. भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को चुनावी मैदान में उतारा है. वह पहली बार चुनाव लड़ने वाली हैं. मेनका सरदार यह उम्मीद में थीं कि उन्हें पार्टी का टिकट मिलेगा. वह इस सीट से तीन बार की विधायक रह चुकी है.लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद मेनका सरदार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. वह और उनके समर्थक पार्टी से नाराज है. इसका प्रभाव चुनाव में पड़ सकता है. अब देखने वाली बात यह होगी कि झामुमो और भाजपा के इस कांटे की टक्कर में भागीरथ हांसदा क्या जादू कर पाते है. इस सीट में भी बड़ा रोचक मुकाबला होने वाला है.
घाटशिला में त्रिकोणीय मुकाबला
घाटशिला से जेएलकेएम ने रामदास मुर्मू को चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट से झामुमो के रामदास सोरेन वर्तमान के विधायक है. वह राज्य के मंत्री भी है. इस सीट से साल 2005 में कांग्रेस के प्रदीप कुमार बालमुचू विधायक थे. 2009 में झामुमो के रामदास सोरेन, 2014 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू और दो हजार उन्नीस में झामुमो के रामदास सोरेन विधायक रहे हैं.इस बार झामुमो रामदास सोरेन को ही इस सीट से मौका देने वाली है.वहीं उनके सामने भाजपा के बाबूलाल सोरेन चुनाव लड़ेंगे. बाबूलाल सोरेन पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे हैं. इस बात के कयास शुरू से लगाए जा रहे थे कि बाबूलाल सोरेन भाजपा के टिकट पर घाटशिला से चुनाव लड़ेंगे और इस बात पर पार्टी ने मुहर भी लगा दी. जेएलकेएम के रामदास मुर्मू का इस सीट पर कोई बड़ा असर नहीं डाल पाएंगे. वह भले ही वोट प्रतिशत को प्रभावित करेंगे. लेकिन चुनाव जीतना इस सीट पर उनके लिए आसान नहीं है.
जमशेदपुर पूर्वी से तरुण कुमार डे
जयराम महतो की पार्टी ने इस सीट से तरुण कुमार डे को चुनावी मैदान में उतारा है. भाजपा या रघुवर दास की परंपरागत सीट कही जाती है. यह वही सीट है जिस सीट से रघुवर दास 25 साल के लगातार विधायक बनते आ रहे थे. वहीं साल 2019 के चुनाव में सरयू राय ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्हें चुनाव हराया था. रघुवर दास अब राजनीति से दूर हैं. वह वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल हैं. लेकिन फिर भी झारखण्ड की राजनीति में उनकी इच्छा खत्म नहीं हुई है. इस बार जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा ने उनकी बहु पूर्णिमा दास साहू को चुनाव लड़ने के मौका दिया है. पार्टी के इस फैसले से भाजपा के कई नेता नाराज हैं. इसके कारण इस बार के चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी में भाजपा के साथ भितरघात हो सकता है.वहीं सरयू राय इस बार जमशेदपुर पश्चिम से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले हैं. जमशेदपुर पूर्वी की सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट से कांग्रेस के डाक्टर अजय कुमार को टिकट मिल सकता है. ऐसे में जेएलकेएम के प्रत्याशी तरुण कुमार डे का प्रभाव कुछ खास देखने को नहीं मिलेगा. यहा भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होने वाली है.
कांके से फुलेश्वर बैठा को मिला टिकट
इस सीट से जयराम महतो ने फुलेश्वर बैठा को चुनावी मैदान में उतारा है. कांके एक शहरी सीट है. इस सीट से भाजपा के समरी लाल वर्तमान के विधायक है. इस बार भाजपा ने कांके से डाक्टर जीतू चरण राम को चुनाव लड़ने का मौका दिया है. वह साल 2014 में कांके के विधायक भी रह चुके हैं. इस सीट को भाजपा का गढ़ भी माना जाता है. इस सीट पर कांग्रेस भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है. साल 2009 से दो हजार उन्नीस तक कांग्रेस के सुरेश कुमार बैठा चुनाव लड़ते आ रहे हैं. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इस बार भी कांग्रेस इन्हें ही मौका दे सकती है. ऐसे में जेएलकेएम के प्रत्याशी फुलेश्वर बैठा इस सीट से ज्यादा प्रभावित नजर नहीं आ रहे हैं.
महगामा से जवाहर लाल यादव
महगामा से जेएलकेएम ने जवाहर लाल यादव को चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट से कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह वर्तमान की विधायक हैं और राज्य की मंत्री भी हैं. इस बार भी इंडिया अलायन्स की तरफ से कांग्रेस के टिकट पर वह चुनाव लड़ेगी. वहीं भाजपा ने अशोक कुमार भगत को इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. अशोक कुमार भगत साल 2005 और 2014 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं. इस सीट में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है. इस बार भी इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा. वहीं जावाहर लाल यादव इस सीट के पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं. क्षेत्र में उनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है. वह यादव समाज से आते हैं. वहीं दीपिका पांडेय सिंह कुडमी और ब्राह्मण समाज से आती है और भाजपा के अशोक कुमार भगत बनिया समाज से आते हैं. अब देखने वाली बात यह होगी की इस सीट से कौन ज्यादा प्रभाव डाल पाता है.
जरमुंडी से राजीव यादव लड़ेंगे चुनाव
जेएलकेएम ने जरमुंडी से राजीव यादव को चुनावी मैदान में उतारा है.जातीय समीकारण के हिसाब से पार्टी ने सही उम्मीदवार को चुनाव लड़ने का मौका दिया है. इस सीट से कांग्रेस के बादल पत्रलेख वर्तमान के विधायक हैं. पार्टी इस बार फिर से उन्हें मौका देने वाली है. वहीं भाजपा ने इस सीट से देवेंद्र कुंवर को चुनाव लड़ने का मौका दिया है. जरमुंडी से साल 2000 तक हर बार विधायक बदलते आ रहे हैं.लेकिन हरिनारायण राय, बादल पत्रलेख और देवेंद्र कुंवर ने इस मिथ को तोड़ दिया. साल 1995 में झामुमो के टिकट पर देवेंद्र कुंवर ने चुनाव जीता और उसके बाद साल 2000 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता. वहीं हरिनारायण राय ने साल 2005 और 2009 के चुनाव ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता. कांग्रेस के टिकट पर बादल पत्रलेख इस सीट से लगातार दो बार साल 2014 और 2019 के चुनाव में जीतते आ रहे हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार जेएलकेएम के राजीव यादव इस सीट से क्या जादू करते हैं.
पोड़ैयाहाट से प्रवीण कुमार महतो को मिला टिकट
जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने इस सीट से प्रवीण कुमार महतो को इस सीट से चुनाव लडने का मौका दिया है. इस सीट से प्रदीप यादव साल 2005 से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं. 2005 का चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर लड़ा था.वह साल 2000 में भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ के विधायक बने थे. उसके बाद वह बाबूलाल मरांडी की तत्कालीन पार्टी झारखण्ड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ते आ रहे हैं. झाविमो के भाजपा में विलय के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थमा था. उन्होंने इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में गोड्डा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था. हालांकि वह हार गए. लेकिन अब उनकी तैयारी विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हो चुकी है. इस बार पोडैयाहाट से कांग्रेस प्रदीप यादव को चुनावी मैदान में उतारेगी.इस बार इस सीट से भाजपा ने देवेंद्रनाथ सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. प्रदीप यादव को देवेन्द्रनाथ सिंह ने साल 2014 के विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी. इस चुनाव में प्रदीप यादव को कुल 64036. वहीं देवेंद्रनाथ सिंह को कुल 52818 वोट मिले थे. देवेंद्रनाथ सिंह प्रदीप यादव से केवल 11218 वोट से हारे थे. एक बार फिर से इन दोनों के बीच कडा मुकाबला देखने को मिलेगा. ऐसे में जेएलकेएम के प्रत्याशी प्रवीण कुमार महतो इस सीट से प्रभावित नजर नहीं आ रहे हैं. इस सीट में जेएलकेएम को पकड़ बनाने में अभी काफी समय है.
इन आठ सीटों में जेएलकेएम बस कुछ ही सीटों में प्रभावित नजर आ रही है. जेएलकेएम के सिल्ली के प्रत्याशी देवेंद्रनाथ महतो इस सीट से कुछ जादू कर सकते हैं. बाकी सीटों पर जेएलकेएम की लडाई काफी लंबी नजर आ रही है. अब ये तो चुनाव के परिणाम के बाद पता चलेगा की इन 8 सीटों पर जयराम महतो की पार्टी कितनी सीटों पर अपना झंडा लहरा पाती है.