चंडीगढ़ : हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चूका है। इसे लेकर सभी पार्टी तयारी में जुट गई हैं। जननायक जनता पार्टी (JPP) आजाद समाज पार्टी (ASP) के साथ मिलकर हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने मंगलवार को दिल्ली से इसका ऐलान किया। इस दौरान भीम आर्मी के चीफ और आजाद समाज पार्टी (ASP) के फाउंडर चंद्रशेखर आजाद भी मौजूद थे। दुष्यंत चौटाला ने बताया कि जननायक जनता पार्टी (JPP) 70सीटों पर चुनाव लड़ेगी और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
उन्होंने यह बात कही कि वह दोनों मिलकर हरियाणा की 36 बिरादरियों को साथ लेकर चलेंगे। जब चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री के पद पर थे। उन्होंने बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगाने का प्रयास किया था। हरियाणा में हमेशा से एससी वर्ग के लोगों को चौधरी देवीलाल ने आगे बढ़ने का काम किया था। उन्होंने एससी चौपालें भी हरियाणा में बनवाई थीं। उन्होंने कहा कि वह किसान कामगार को ताकत देने की लड़ाई लड़ेंगे।चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनका मुद्दा साफ़ है। इसमें गरीबों को महंगाई से रहत, सामाजिक न्याय देना, निजीकरण को खत्म करना, युवाओं को रोजगार देना, एमएसपी , प्रमोशन में आरक्षण और बेहतर कानून व्यवस्था भी शामिल है। उम्मीद है की उनका गठबंधन हरियाणा में पूरी 90 सीटें जीतेगा। सोमवार 26 अगस्त की रात को दुष्यंत चौटाला ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा की वह किसान की लड़ाई वह बिना आराम के लड़ते रहेंगे।
JPP की नजर दलित वोट बैंकों पर
हरियाणा में लगभग 21 प्रतिशत वोटर्स दलित हैं। दलित हरियाणा में हार जीत के लिए एक अहम फैक्टर हैं। हरियाणा में 17विधानसभा सीटें रिज़र्व हैं। इसमें होडल, पटौदी, बवाल, कलानौर, झज्जर, बवानी खेडा, उकलान , रतिय , कालांवाली, नरवाना, खरखौदा, इसराना, नीलोखेडी, गुहला, शाहाबाद, साढौरा और मुलाना है। दलित वोटरों का प्रभाव प्रदेश की 35सीटों पर है . 17+35 मिलकर कुल 52सीटों पर JPP की नजर है। इससे वह 2019 विधानसभा की तरह हरियाणा में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जाट और दलित समुदाय का वोट JPP को मिला था। इस चुनाव में भी JPP पिछले विधानसभा चुनाव की ही तरह यह कोशिश में है कि उन्हें जाट और दलित समुदाय के लोगों का अच्छा वोट मिले और उनका अच्छा प्रदर्शन रहे।
12 मार्च को टूटा था भाजपा से गठबंधन
साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद JPP के पास 10 विधायक थे। भाजपा को इस चुनाव में हरियाणा में पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था। इसके बाद भाजपा ने जेपीपी के साथ गठबंधन की सरकार बने थी। इसमें खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया वही JPP के दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया था। भाजपा और जेपीपी का यह गठबंधन लगभग साढ़े चार साल तक चला। इसके बाद 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 12 मार्च को सीट शेयरिंग पर बात नही बनने पर यह गठबंधन टूट गया।
लोकसभा चुनाव में हुआ दोनों को नुकसान
भाजपा ने निर्दलीय विधायक के समर्थन से नायब सैनी के नेतृत्व में फिर से एक बार सरकार बनना ली। जेपीपी और भाजपा दोनों ही पार्टी ने 2024 का लोकसभा चुनाव अलग होकर लड़ा था। भाजपा को 10 लोकसभा सीटों में से 5 सीट का नुकसान हुआ। वहीं जेपीपी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। जेपीपी लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नही जीत पाई। पार्टी के उमीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे।
6 विधायकों ने छोड़ा JPP का दामन
JPP के पास कुल 10 विधायक थे। लेकिन उसमे से 6 ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। इनमे टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली, उलकानाके विधायक अनूप, गुहला चीका के विधायक इश्वर सिंह, सहबाद के विधायक रामकरण काला, नरवाना के विधायक रामनिवास सुर्जखेडा और बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग शामिल है। अब पार्टी में केवल दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, जुलन से विधायक अमरजीत ढांडा और नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम ही पार्टी में बचे हुए है।