बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर राजनीति गर्मा गई है। लोकसभा में जदयू सांसद रामप्रीत मंडल ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला उठाया था। इसका जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि बिहार नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल द्वारा निर्धारित मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। इन मापदंडों में पहाड़, दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या आदिवासी इलाका, अंतर्राष्ट्रीय सीमा, प्रति व्यक्ति आय, कम राजस्व आदि शामिल हैं। इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा मांग लिया है। लालू का कहना है कि नीतीश ने वादा किया था कि वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाएंगे, लेकिन अब केंद्र सरकार इसे नकार रही है।
विशेष राज्य का दर्जा: गार्डगिल फार्मूला
किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए गार्डगिल फार्मूला बनाया गया है। इसके अनुसार, राज्य की स्थितियां चुनौतीपूर्ण होनी चाहिए। ऐसे राज्य जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास हों, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। इसके साथ ही, जिन राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट बहुत जरूरी हो और आर्थिक रूप से पिछड़े हों, उन्हें भी विशेष राज्य का दर्जा मिलता है। यह सारे मापदंड गार्डगिल फार्मूला के तहत आते हैं।
जदयू की मांग और मानसून सत्र
बिहार की विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पुरानी है। मानसून सत्र से पहले हुई पार्टी मीटिंग में जदयू सांसद संजय झा ने इस मुद्दे को उठाया था और कहा था कि बिहार को हर हाल में विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।
विशेष राज्य का दर्जा मिलने के पांच मानक
केंद्र सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा मिलने के पांच मानक तय किए हैं:
- राज्य का जमीनी इलाका पहाड़ी और दुर्गम हो।
- राज्य की जनसंख्या कम हो और बड़ा हिस्सा आदिवासी हो।
- राज्य की सीमा अंतरराष्ट्रीय सीमा से मिलती हो।
- राज्य आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में पिछड़ा हो।
- राज्य के वित्तीय संसाधनों की कमी हो।
11 राज्यों को मिला है विशेष राज्य का दर्जा
राष्ट्रीय विकास परिषद ने 1969 में पहली बार तीन राज्यों जम्मू कश्मीर, असम और नागालैंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया था। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को भी विशेष राज्य का दर्जा मिला है।
विशेष राज्यों को मिलने वाला अनुदान
विशेष राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ से 90% अनुदान दिया जाता है और 10 प्रतिशत रकम बिना ब्याज के कर्ज के तौर पर दी जाती है। जबकि अन्य राज्यों को 30% राशि अनुदान और 70% राशि कर्ज के रूप में दी जाती है। केंद्रीय बजट में योजनागत खर्च का 30% हिस्सा विशेष राज्यों को मिलता है। जो रकम विशेष राज्य चालू वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं कर पाते, वह उन्हें अगले वित्त वर्ष के लिए आवंटित हो जाती है।
इस खबर से बिहार की राजनीतिक स्थिति और सरकार की नीतियों पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है। बिहार की जनता और राजनीतिक दलों की निगाहें इस मुद्दे पर केंद्रित रहेंगी।