पटना: पॉलिटिक्स के मैनेजर कहे जाने वाले प्रशांत किशोर बीते कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे हैं। जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर पार्टी के गठन से पहले ही पूरे फॉर्म में नजर आ रहे हैं। प्रशांत रोजाना पार्टी की रणनीति का खुलासा कर लोगों के बीच नए नए ऐलान कर रहे हैं। इससे वह लोगों के दिमाग में छा जाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही वह सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के साथ साथ विपक्षी दल RJD के प्रमुख लालू यादव, उनके बेटों और कार्यकर्ताओं पर लगातार हमला बोल रहे हैं। उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा था कि अब उनकी राजनीति समाप्त हो चुकी है। इसके संदर्भ में नीतीश कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया है। प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीति के तहत यह ऐलान किया है की वह हर लोकसभा क्षेत्र से कम से कम एक महिला उम्मीदवार को चुनाव लड़ने का मौका देंगे। मुसलमानों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने ये भी ऐलान किया है की वह बिहार विधानसभा चुनाव में 40 सीटों से मुसलमान प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने का मौका देंगे।
एनडीए और RJD के वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश
40 महिलाओं को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने की रणनीति का खुलासा कर के प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर वोटरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की है। वहीं दूसरी ओर उन्होंने यह भी ऐलान किया है कि वह 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का मौका देंगे। इससे उन्होंने RJD के प्रमुख वोटरों का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। इस रणनीति और प्रयास में पीके कितना सफल हो पाते हैं यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।
बाकी की 163 सीटों के लिए क्या होगी रणनीति
प्रशांत किशोर ने तो यह साफ़ कह दिया है की वह 40 सीटों पर महिला प्रत्याशी और 40 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का मौका दिया है। अब यह सवाल उभर कर सामने आ रहा है कि 80 सीटों का गणित तो प्रशांत ने साफ़ कर दिया है। अब बाकी की 163 सीटों पर उनके दिमाग में क्या चल रहा है ? क्या उन्होंने बाकी सीटों के लिए रणनीति तैयार कर ली है ? क्या पीके कुछ सीट आदिवासी, दलित और ओबीसी के लिए रख सकते हैं ? या उनके दिमाग में सवर्णों को लेकर भी कोई प्लान है ? ऐसे कई सारे सवाल उठ रहे हैं। इसके उत्तर अभी केवल प्रशांत किशोर के पास ही हैं। अगर बिहार की जनसंख्या को धयान में रखकर बात की जाए तो बिहार में महिलाएं सबसे बड़ी वोट बैंक हैं. दूसरे नंबर पर मुसलमान और तीसरे पर यादवों का नंबर आता है। बाकी वोट बैंक सिंगल डिजिट परसेंटेज में है।
प्रशांत किशोर एक ब्राह्मण हैं तो यह हो सकता है कि वह ब्राह्मण जाति के लिए ऐसा कुछ ऐलान न करें। अगर वह ऐसा करते हैं तो उन पर ब्राह्मणवादी होने का टैग लग जाएगा। अब यह देखने वाली बात है कि राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, कोइरी और कुर्मी को लेकर उनके पास क्या प्लान है। इन सारे गतिविधियों के कारण बिहार की राजनीति अभी उफान मार रही है।