हिंडनबर्ग के नौ रिपोर्ट के खिलाफ बीजेपी का जवाब ,”कांग्रेस और हिंडनबर्ग मिलकर भारत की तरक्की को रोकना चाहते हैं” रविशंकर प्रसाद
नई दिल्ली: भारत में हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। बीते शनिवार को अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने भारतीय मार्केट रेग्युलेटर, सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और भारतीय अरबपति गौतम अडानी के बीच कथित संबंधों को लेकर गंभीर आरोप लगाए। इस रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है और कांग्रेस ने केंद्र सरकार से तीखे सवाल किए हैं।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हिंडनबर्ग के साथ मिलकर एक साजिश में शामिल है और भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने का प्रयास कर रही है। रविशंकर प्रसाद ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस की ओर से उठाए जा रहे सवाल बेबुनियाद हैं और इसका कोई प्रभाव भारतीय बाजार पर नहीं पड़ा है।
जुलाई में जारी हुई थी नोटिस
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हिंडनबर्ग को इसी साल जुलाई में नोटिस दिया गया था, जिसमें उसे अपने आरोपों का जवाब देने के लिए कहा गया था। हिंडनबर्ग ने उस नोटिस का जवाब देने की बजाय सेबी के खिलाफ नई रिपोर्ट जारी कर दी। उन्होंने इसे बेसलेस अटैक करार दिया और कहा कि सेबी चेयरपर्सन समेत सभी संबंधित अधिकारियों ने इस पर जवाब दे दिया है।
कांग्रेस पर साधा निशाना
प्रसाद ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की यह गतिविधि देश को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “बीजेपी इस साजिश को बेनकाब करेगी और पूरे देश को सच्चाई बताएगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस ने पहले भी मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कई घोटालों को लेकर चुप्पी साधी थी।
हिंडनबर्ग व सोरस के बीच सांठगांठ का आरोप
रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट और जॉर्ज सोरस के बीच संबंधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सोरस, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभियान चलाते हैं, हिंडनबर्ग की प्रमुख निवेशक कंपनी के हिस्सेदार हैं। प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस और हिंडनबर्ग मिलकर भारत की तरक्की को रोकना चाहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की तरक्की को आगे बढ़ाते रहेंगे।”
इस विवाद के बीच, राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, और यह देखना बाकी है कि यह विवाद आगे किस दिशा में बढ़ता है।