नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS ने दो राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले जाति जनगणना पर सियासी पारा चढ़ा दिया है। तीन दिनों के केरल में आरएसएस के मंथन में जातीय जनगणना की गूंज उठी। संघ के बयान को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और इसके साथ ही प्रधानमंत्री पर भी हमला बोला है।
सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म X पर मंगलवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा कि “जाति जनगणना को लेकर आरएसएस की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं। क्या आरएसएस के पास जाति जनगणना पर निषेधाधिकार है, जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाले वह कौन हैं। आरएसएस का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए? उन्होंने लिखा कि क्या यह जज या अंपायर बनना है? दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को हटाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पर रहस्यमई चुप्पी आरएसएस ने क्यों साध रखी है?” उन्होंने ये भी कहा कि “अब जब RSS ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे?”
बता दें कि संघ ने कहा है कि जाति जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। ऐसे वक्त पर संघ का बयान आया है, जब विपक्ष जातीय जनगणना की लगातार मांग कर रहा है। इसके साथ ही केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी एलजेपी(रामविलास), जेडीयू, और अपना दल भी जाती जनगणना के समर्थन में हैं. अब सवाल ये उठता है कि बीजेपी का संघ के सन्देश के बाद क्या रुख होगा ? इसके साथ ही बीजेपी भी विपक्ष पर जाति जनगणना के बहाने समाज को बांटने का आरोप लगाती रही है.
क्या कहा संघ प्रमुख मोहन भागवत ने
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा हैं कि “हिंदू समाज में जाति और जाति संबंध एक संवेदनशील मामला है, ये हमारी राष्ट्रीय एकता का भी अहम मुद्दा है। इसे इसलिए गंभीरता से देखा जाना चाहिए। भागवत का कहना है कि इसे चुनावी मुद्दे और राजनीति की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार संघ की बैठक में जाति जनगणना पर संघ प्रमुख मोहन भगवत ने कहा है कि “राजनेताओं का काम समाज को जाति में बांटकर फायदा उठाना है। तरह तरह के हथकंडे इसके लिए अपनाए जाते हैं।। सूत्रों के अनुसार मोहन भगवत ने कहा कि हमें संघ की सोच के आधार पर सबको साथ लेकर चलना है. सामाजिक सौहार्द बनाकर रखना हमारा कर्तव्य है. राजनीतिक दल स्वार्थ के चलते सामाजिक वर्गीकरण की मांग करते रहेंगे.”