प्राइवेट मेंबर बिल की बुनियाद पर लोकसभा में सांसदों की रैंकिंग करेगी कांग्रेस, जानें कैसे तैयार होगा रिपोर्ट कार्ड
नई दिल्ली: कांग्रेस लोकसभा में अपने सांसदों की रैंकिंग करेगी। कांग्रेस ने कुछ बुनियादी आधार बनाया है, जिसके बेस पर सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा। लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस अब सांसदों को सक्रिय रखने पर जोर दे रही है। इसके लिए सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार हो रहा है। उनकी रैंकिंग की जाएगी। मकसद यह है कि कांग्रेस के सांसदों में एक अंदरूनी प्रतियोगिता की भावना फैलाई जा सके। इससे उनका लोकसभा में प्रदर्शन लगातार बेहतर हो सके। सांसदों के रिपोर्ट कार्ड में प्राइवेट मेंबर बिल का अहम योगदान होगा। आइए इस खबर में हम जानेंगे कि प्राइवेट मेंबर बिल क्या है।
रिपोर्ट कार्ड तैयार करने को गठित होगी कमेटी
संसद परिसर में कांग्रेस के सांसदों के साथ विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक मीटिंग भी की। इस मीटिंग में सांसदों को समझाया गया कि वह लोकसभा में जनहित के अधिक से अधिक मुद्दे उठाएं और बेवजह कोई बयानबाजी ना करें। आम जनता से जुड़ कर काम करें। सूत्र बताते हैं कि सांसदों का एक रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा। यह रिपोर्ट कार्ड पार्टी की एक समिति तैयार करेगी। जल्दी ही कांग्रेस इस समिति का गठन करेगी।
बहस में हिस्सा लेने को कहा
पार्टी चाहती है कि संसद में बहस के दौरान सभी सांसद इसमें हिस्सा लें। इसके लिए सभी सांसदों को कहा गया है कि वह अपने-अपने इलाके की जनहित की समस्याओं का ब्योरा तैयार कर लें। ताकि इन्हें सत्र के दौरान उठाया जा सके। पार्टी ने अपने सांसदों को अगले सत्र के लिए तैयार रहने को कहा है। कांग्रेस के सांसदों से कहा गया है कि वह तर्कपूर्ण तरीके से केंद्र सरकार की आलोचना करें। जो भी बात कहें वह ठोस सुबूत के आधार पर करें और कुछ भी बोलने से पहले पूरी तरह जांच-परख लें। कोई भी बात हवा-हवाई नहीं बोलें।
चार सांसदों को राहुल ने पत्र भेज कर की तारीफ
राहुल गांधी ने एक इंटरनल कमेटी बनाई है। यह कमेटी सांसदों की निगरानी कर रही है। उनका प्रदर्शन देखा जा रहा है। हाल ही में मानसून सत्र में कांग्रेस के चार सांसदों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इनमें पंजाब के पूर्व सीएम सांसद चरणजीत चन्नी, झारखंड के लोहरदगा से सांसद सुखदेव भगत और मणिपुर सांसद आर्थर अल्फ्रेड व विमोल अकोइजेम हैं। राहुल गांधी ने इन सभी सांसदों को पत्र लिख कर मानसून सत्र में इनके प्रदर्शन की प्रशंसा की है। इस पत्र में राहुल गांधी ने इन सांसदों के भाषण को प्रभावशाली और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को तर्क के आधार पर पोल खोलने वाला बताया है।
इन बिंदुओं पर बनेगी सांसद की रिपोर्ट
-प्राइवेट मेंबर बिल या निजी विधेयक
-शून्य काल में उठाए गए मुद्दे -कितने सवाल पूछे
-जनहित को लेकर कितनी नोटिस दी
-संसद में क्या रह ही सक्रियता
क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल
जो सांसद मंत्री नहीं होते उन्हें प्राइवेट मेंबर (निजी विधेयक) कहा जाता है। मंत्री जो बिल पेश करते हैं वह सरकारी बिल कहे जाते हैं। इन बिलों को सरकार सपोर्ट करती है। सांसद जो बिल पेश करते हैं वह प्राइवेट मेंबर बिल कहे जाते हैं। प्राइवेट बिलों को लोकसभा का स्पीकर या राज्यसभा का चेयरमैन पास कर सकते हैं। प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने से एक महीने पहले सांसद को सदन सचिवालय को नोटिस देनी होती है। जबकि, सरकारी बिलों को पेश करने से सात दिन पहले नोटिस देनी पड़ती है। प्राइवेट मेंबर बिल सिर्फ शुक्रवार को पेश किए जाते हैं। एक से अधिक प्राइवेट मेंबर बिल होने पर बैलेट सिस्टम का इस्तेमाल कर क्रम तय किए जाते हैं। संसदीय कमेटी प्राइवेट मेंबर बिलों को देखती है और उन्हें वर्गीकृत करती है।
प्राइवेट मेंबर बिल पास नहीं हुआ तो…
अगर संसद में प्राइवेट मेंबर बिल पास नहीं हुआ तो इसका सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन, अगर मंत्री का सरकारी बिल संसद में पास नहीं हो सका तो माना जाता है कि सरकार के पास संसदीय विश्वास की कमी है। उसके पास सदन में बहुमत नहीं है। ऐसे में सरकार का इस्तीफा तक हो सकता है। सरकारी बिल अक्सर पास हो जाते हैं। मगर, प्राइवेट बिलों के पास होने की संभावना कम होती है।
अब तक 14 निजी विधेयक ही बन सके हैं कानून
1952 से अब तक कई प्राइवेट मेंबर बिल सदन में पेश किए गए हैं। इनमें से अब तक 14 प्राइवेट बिल ही कानून बन पाए हैं।
निजी विधेयक, सांसद, सदन
– मुस्लिम वक्फ बिल 1952, सैयद मोहम्मद अहमद कासमी, लोकसभा
– भारतीय पंजीकरण संशोधन विधेयक 1955, एससी सामंता, लोक सभा
– सामान्य लोकसभा संसदीय कार्यवाही प्रकाशन संरक्षण विधेयक 1956, फिरोज गांधी, लोकसभा
– दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 1953, रघुनाथ सिंह, लोकसभा
– महिला एवं बाल संस्थान लाइसेंसिंग विधायक 1954, कामलेंदू मती शाह, लोकसभा
– दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 1957, सुभद्रा जोशी, लोकसभा
– सांसदों के वेतन एवं भत्ते संशोधन विधेयक 1964, रघुनाथ सिंह, लोकसभा
– हिंदू विवाह संशोधन विधेयक 1963, दीवान चंद्र शर्मा, लोकसभा
– सर्वोच्च न्यायालय आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार विधायक 1968, आनंद नारायण मुल्ला लोकसभा
– प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक एवं पुरातत्व स्थल और अवशेष राष्ट्रीय महत्व की घोषणा विधायक 1954, डॉक्टर रघुवीर सिंह, राज्यसभा
– हिंदू विवाह संशोधन विधेयक 1956, डॉक्टर सीता परमानंद, राज्य सभा
– अनाथालय एवं अन्य धर्मार्थ ग्रह पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण विधेयक, 1960, कैलाश बिहारी लाल, राज्यसभा
– समुद्री बीमा विधेयक 1959, एमपी भार्गव, राज्यसभा
– भारतीय दंड संहिता संशोधन विधेयक, दीवान चमन लाल, राज्यसभा
1969 में पास हुआ था अंतिम निजी बिल
अंतिम निजी बिल भारतीय दंड संहिता संशेधन विधेयक 1969 में पास हुआ था। यह बिल उन्होंने 1963 में पेश किया था। यह बिल अश्लीलता के प्रावधानों में संशोधन के लिए पेश किया गया था। इसे राज्यसभा के तत्कालीन सदस्य दीवान चमन लाल ने पेश किया था। वह 1952 से 56, 1956 से 1962 और 1962 से 1968 तक राज्यसभा के तीन बार सदस्य रहे थे। वह ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के नेता थे। तब से अब तक एक भी निजी बिल पास नहीं हुआ है।