सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है और साथ ही श्रद्धालुओं की कांवड़ यात्रा भी अब पूरे उत्साह से शिव के दर्शन को निकल चुकी है। हालांकि पिछले कुछ समय से कांवड़ यात्रा के मार्ग में लगने वाले ढेलों और होटलों में सरनेम लगाने के सरकार द्वारा जारी किए गए फरमान वाले मुद्दे ने सोशल मीडिया पर काफी तूल पकड़ा था। एक ओर कुछ पक्ष जहां इस फैसले को सही ठहरा रहे थे, तो वहीं दूसरा पक्ष इसके विरोध में था। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित होटल और ढाबे के मालिकों से नाम लिखने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी है। इस फैसले में कोर्ट ने दुकानदारों को अपनी पहचान बताने के आदेश पर भी रोक लगाई है। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटल और ढाबे के मालिकों के नाम लिखने के लिए निर्देश देने वाले सरकारी आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को भी इस मामले में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा है कि फल विक्रेताओं को होटल मालिकों और कर्मचारियों को नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि उक्त निर्देशों के प्रभाव से कई राज्यों में विवाद पैदा हो रहे हैं और इस पर आने वाले शुक्रवार को मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों से जवाब मांगा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
क्या कहा कोर्ट ने?:
उपरोक्त विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि सुनवाई की अगली तिथि तक वे निर्देशों पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने को उचित समझते हैं। इसका मतलब है कि खाद्य विक्रेताओं को मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। यह फैसला व्यापक रूप से उन राज्यों को भी संदेश देता है, जो इस निर्देश के तहत कार्रवाई कर रहे हैं।
अभिषेक सिंघवी द्वारा दी गई दलील:
याचिकाकर्ताओं के पक्ष से पेश किए गए दावे में, सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने आपत्ति जताई है कि निर्देश के अनुसार पहचान के आधार पर बाहरी लोगों को रोकना गणतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने इसे एक व्यक्तिगत उदाहरण के रूप में व्याख्यान किया, कहते हुए कि लोग रेस्तरां में जाने पर मेन्यू के आधार पर निर्णय लेते हैं न कि यह देखते हैं कि कौन उन्हें सर्व कर रहा है। सिंघवी ने इस बात को उजागर करते हुए कहा कि यह निर्देश संविधानिक मूल्यांकन के विपरीत है और इसका अंतिम प्रभाव समाज पर नकारात्मक हो सकता है।
दुकान पर मालिकों के नाम प्लेट लगाने का आदेश:
उत्तर प्रदेश में पिछले हफ्ते जारी किए गए आदेश के अनुसार, कांवड़ मार्ग के किनारे स्थित सभी भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्देश था। इस आदेश का उद्देश्य था कि कांवड़ियों के बीच किसी भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो और भविष्य में किसी आरोप का सामना न करना पड़े, जिससे कानून और व्यवस्था में कोई संकट न आए। पुलिस ने इसे सुनिश्चित करने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाए थे और निर्देश का पालन करवाने का भी पूरा ध्यान रखा था।