बीजेपी में कभी नहीं हुई अध्यक्ष पद के लिए खींच-तान, जाने क्यों हमेशा निर्विरोध चुने जाते हैं अध्यक्ष
जमशेदपुर: बीजेपी में कभी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में खींचतान नहीं हुई है। 1980 में बीजेपी का गठन हुआ था और तब से अब तक बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए कोई एक नेता नामांकन करता है और फिर उसे निर्विरोध चुन लिया जाता है। भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट 3.0 में शामिल हो गए हैं। अब इसके बाद यह तय हो गया है कि नए अध्यक्ष का चुनाव होगा। माना जा रहा है कि भाजपा सभी राज्यों और जिलों में विभिन्न मोर्चों और मंडल का चुनाव संपन्न कराएगी और इसी बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी को एक नया अध्यक्ष मिलेगा। इसके पहले कार्यकारी अध्यक्ष चुने जाने की चर्चा भी चल रही है।
सदस्यता अभियान के साथ ही शुरू हो जाएगी अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया
बताया जा रहा है कि भाजपा में जल्द ही अगले अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। पार्टी सदस्यता अभियान शुरू करेगी। पार्टी की स्थानीय कमेटी के चुनाव होंगे। फिर मंडल कमेटी, जिला कमेटी, क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय कमेटी चुनी जाएगी। इसके बाद इन सभी कमेटियों के अध्यक्ष का चुनाव होगा। जो व्यक्ति अध्यक्ष बनेगा। वह अपनी टीम बनाएगा। बताते हैं कि जब आधे राज्यों में चुनाव संपन्न हो जाएंगे। इसी बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का ऐलान होगा। तब बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी टीम के पदाधिकारी का ऐलान करेगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए बनना है निर्वाचक मंडल
पार्टी का संविधान कहता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक निर्वाचन मंडल का प्रावधान है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में हमेशा यही होता है कि एक शख्स नामांकन दाखिल कर देता है और फिर उसे निर्विरोध चुन लिया जाता है। दरअसल होता यह है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री और कैबिनेट के कुछ वरिष्ठ राजनीतिज्ञ एक नेता का पहले ही चुनाव कर लेते हैं। वही नेता नामांकन दाखिल करता है। उसके अलावा कोई नामांकन दाखिल नहीं करता। इसीलिए पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हमेशा निर्विरोध चुना जाता है। 1980 में
बीजेपी के गठन के बाद से अब तक यही होता आ रहा है।
पार्टी कमजोर होती है तो आरएसएस करती है अध्यक्ष का चुनाव
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जब पार्टी कमजोर होती है तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव आरएसएस करता है। जब पार्टी मजबूत होती है तो प्रधानमंत्री और कुछ कैबिनेट मंत्री मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तैनात करते हैं। कहा जा रहा है कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी में सांसदों की संख्या सिमट कर 116 तक रह गई थी। इसके बाद आरएसएस ने नितिन गडकरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था। उन्हें महाराष्ट्र से दिल्ली ले जाया गया था। ताकि, वह बीजेपी को मजबूत करें। कहा जा रहा है कि बीजेपी में कभी वैसा चुनाव नहीं हुआ। जैसा साल 2022 में कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव हुआ है। साल 2022 में कांग्रेस पार्टी में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर अध्यक्ष पद के दो उम्मीदवार आमने सामने थे और दोनों में कड़ी टक्कर हुई थी। इसी तरह साल साल 2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद अध्यक्ष पद के चुनाव मैदान में उतरे थे। साल 2013 में बीजेपी में भी लगा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा तब पार्टी के नेता यशवंत सिन्हा ने नामांकन पत्र खरीद लिया था। लेकिन, बाद में मामला सुलझा लिया गया।
एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर होता है चुनाव
भाजपा के संविधान के अनुसार अगर नामांकन वापस लेने की तारीख के बाद एक से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में हों तो चुनाव होगा। इसके लिए चुनाव अधिकारी तैनात किए जाते हैं। चुनाव के बाद सील हुए सभी बैलट बॉक्स दिल्ली ले जाए जाएंगे और वोटों की गिनती होगी। जिस उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिलेंगे वही जीतेगा। लेकिन, पार्टी में ऐसा कभी नहीं हुआ। क्योंकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता किसी अन्य नेता को चुनाव में खड़े होने की अनुमति नहीं देते और इस तरह वही एक उम्मीदवार रहता है जिसे हरी झंडी मिली होती है।
संसदीय बोर्ड तैनात करता है कार्यकारी अध्यक्ष
अगर कभी बीजेपी में कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की बात आती है तो पार्टी का संसदीय बोर्ड फैसला करता है कि कार्यकारी अध्यक्ष कौन होगा। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि संसदीय बोर्ड इस संबंध में बैठक कर सकता है। हो सकता है कि पार्टी के बड़े नेता आपस में बात कर लें और यह फैसला हो जाए की कार्यकारी अध्यक्ष कौन होगा। ऐसी स्थिति में बोर्ड की बैठक होने की नौबत नहीं आती। बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल हमेशा तीन-तीन साल का होता है। अध्यक्ष के दो कार्यकाल हो सकते हैं। साल 2012 में इस संबंध में संशोधन कर ऐलान किया गया था।
कौन बन सकते हैं बीजेपी के सक्रिय सदस्य
बीजेपी के सक्रिय सदस्य वह लोग हैं जो 3 साल तक पार्टी के प्राथमिक सदस्य रहे हैं और सदस्यता के लेने के लिए ₹100 की धनराशि जमा की है। भारत का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 18 साल से अधिक है ₹100 की धनराशि देकर 6 साल के लिए बीजेपी का प्राथमिक सदस्य बन सकता है। पार्टी के सक्रिय सदस्यों से उम्मीद रहती है कि वह पार्टी के सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लें। राज्य या केंद्रीय स्तर पर पार्टी की पत्रिका को सब्सक्राइब करें। पार्टी के सक्रिय सदस्य मंडल या इससे ऊपर की कमेटियों में चुनाव लड़ सकते हैं। बीजेपी की स्थानीय कमेटी में कम से कम 25 सदस्य होते हैं। पार्टी के संविधान के अनुसार 5000 से अधिक आबादी में स्थानीय कमेटी का गठन नहीं होता। मंडल कमेटी स्थानीय कमेटी से और जिला कमेटी मंडल कमेटी से ऊपर होती है।