नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार 17 सितंबर 2024 को शाम 4:30 बजे दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की थी. इसके बाद बाद उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनकी जगह पार्टी ने आतिशी मार्लेना सिंह को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. अरविंद केजरीवाल ने 15 सितंबर को पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया था कि वह अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा कि वह दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के अग्नि परीक्षा से गुजरेंगे.
अरविंद केजरीवाल ने महाराष्ट्र के साथ ही दिल्ली में भी चुनाव कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में 26 नवंबर से पहले नए सदन का चुनाव होना बहुत जरूरी है. वैसे दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म होगा. अब देखने वाली बात यह है कि क्या देश की राजधानी दिल्ली में समय से पहले चुनाव होंगे की नहीं और इस चीज़ में हमारा देश का कानून क्या कहता है.
कब होगा दिल्ली में विधानसभा चुनाव, कौन करेगा फैसला ?
संविधान के धारा 324 के तहत, चुनाव कराने की शक्ति चुनाव आयोग (EC) के पास है. इसमें चुनाव आयोग इस बात का खास धयान रखता है कि चुनाव की प्रक्रिया उससे पहले खत्म हो जानी चाहिए. हालांकि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15(2) कहती है कि विधानसभा के कार्यकाल के खत्म होने से 6 महीने के कम समय से पहले अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती है.
कोई सीएम क्या चुनाव आयोग को समय से पूर्व चुनाव कराने के लिए बाध्य कर सकता है ?
संविधान के आर्टिकल 174(2)(B) के अनुसार, समय समय पर राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकते हैं. राज्यपाल से मंत्रिपरिषद समय-समय पर विधानसभा को भंग करने की मांग कर सकते हैं. इस सिफारिश के बाद राज्यपाल को इस पर फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. अगर विधानसभा भंग हो जाती है तो चुनाव आयोग को 6 महीने के अंदर ही चुनाव कराना होता है.
आइए आपको इस बारे में उदाहरण के तौर पर समझते हैं. साल 2018 में सितंबर महीने में तेलंगाना के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने विधानसभा भंग करने की मांग की थी. हालांकि तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल साल 2019 में खत्म होने को था. लेकिन विधानसभा भंग करने की मांग को राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद साल 2018 में ही विधानसभा चुनाव हुए थे. लेकिन दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है, यहा मामला पूरी तरह अलग है.
दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 लागू होता है. जबकि अधिनियम की धारा 6(2)(B) कहती है कि उपराज्यपाल समय- समय पर विधानसभा को भंग कर सकते हैं. दिल्ली में भले ही मुख्यमंत्री विधानसभा को भंग करने की मांग करे. इसका फैसला उप राज्यपाल के हाथ में होता है. वैसे दिल्ली के मौजूदा हालात में केजरीवाल ने सिर्फ यह ऐलान किया था की वह अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे और जल्द ही चुनाव कराने की मांग करेंगे. उनकी बात से ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता है कि वह विधान सभा भंग करने की प्लानिंग कर रहे हैं.
चुनाव कार्यक्रम तय करने के पहले किन बातों का चुनाव आयोग ध्यान देता है?
वर्त्तमान विधानसभा के कार्यकाल खत्म होने के पहले नई विधानसभा का गठन होना जरूरी है. इसमें चुनाव प्रक्रिया, रिजल्ट की घोषणा और सभी तरह की औपचारिकताएं पूरी करना शामिल है. यह सारी चीजें वर्त्तमान विधानसभा के कार्यकाल खत्म होने के पहले करना अनिवार्य है. इसकी प्लानिंग चुनाव आयोग मौसम, सुरक्षाबलों, त्योहार और ईवीएम की खरीद के बाद करता है. इस प्रक्रिया को पूरा करने से पहले चुनाव आयोग राज्य का दौरा करता है और प्रशासनिक और पुलिस बलों की जानकारी लेता है.
क्या दिल्ली में चुनाव कराने की हो रही है प्लानिंग ?
चुनाव आयोग का धयान इस वक़्त दिल्ली में चुनाव कराने पर नहीं है, इस समय चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में हो रहे चुनाव पर धयान दे रही है. जम्मू- कश्मीर में 10 सालों के बाद चुनाव हो रहे हैं. यहां 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होने वाले हैं. 18 सितंबर को पहले चरण में चुनाव है, 25 सितंबर को दूसरे और 1 अक्टूबर को तीसरे चरण में वोटिंग होगी. इसके साथ ही हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी. दोनों ही राज्यों 8 अक्टूबर को काउंटिंग होगी. इसके बाद इसी साल झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव होने वाले है.