साल 2014 से 2019 तक पांच साल हुकूमत में रहने के दौरान भाजपा ने क्यों नहीं की घुसपैठियों पर कार्रवाई
रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ का भाजपा का ढोल बजने से पहले ही फट गया है। बांग्लादेश से झारखंड में घुसपैठ कब हुई। इसे रोकने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है या झारखंड सरकार की। कैसे पता चला कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठी आ गए हैं। इन सब सवालों का जवाब खोजने की कोशिश शुरू हुई तो पूरे मुद्दे की पोल खुल कर सामने आ गई। इन सवालों का जवाब देते हुए असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने अब केंद्र सरकार का बचाव किया तो सारी तोहमत राज्य सरकार पर मढ़ने के लिए कुछ अलग तथ्य गढ़ कर बताए। बाद में बाबूलाल मरांडी से सवाल हुए तो उन्होंने इसके उलट सारी बात उगल दी। इससे दोनों बयानों में विरोधाभास हो गया है। अब जनता कंफ्यूजन में है कि असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा सही बोल रहे हैं या फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी। या फिर झारखंड फतह करने के लिए झूठा मुद्दा गढ़ा जा रहा है। क्योंकि, अगर मुद्दा सही होता तो यह चुनाव के बाद खत्म क्यों हो जाता है।
चुनाव का एलान होते ही पीटा जा रहा ढोल
झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा नया नहीं है। जब भी यहां चुनाव होते हैं तो यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाता है। अब झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। फिर भाजपा इस मुद्दे का ढोल पीटने में लग गई है। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा लगातार इस म़ुद्दे को उठा रहे हैं। सारे भाजपाई नेता कह रहे हैं कि झारखंड के संताल इलाके में अनसुचित जनजाति के लोगों की आबादी पहले अधिक थी। अब यह आबादी घट रही है।
जमशेदपुर में इस मुद्दे पर क्या बोले थे असम के सीएम
असम के हिमंता बिस्वा सरमा जब दो अगस्त को भाजपा के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जमशेदपुर पहुंचे तो उनसे इसी मुद्दे पर सवाल पूछा गया। सवाल था कि जब बांग्लादेश की सीमा पर चौकसी की जिम्मेदारी केंद्र की है। इस सवाल के जवाब में हिमंता बिस्वा सरमा बोले कि केंद्र सरकार सीमा पर चौकसी कर रही है। झारखंड में पहले से बांग्लादेशी घुसपैठी मौजूद हैं। इनको निकलाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। उन्होंने यह भी कह डाला कि अगर सीएम हेमंत सोरेन केंद्र सरकार को पत्र लिख दें कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को झारखंड से निकालने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है तो हम उन्हें हीरो मान लेंगे। फिर केंद्र सरकार का सारा झमेला होगा। केंद्र सरकार यहां से घुसपैठियों को निकालेगी।
पीएम के कार्यक्रम से पहले जमशेदपुर में क्या बोले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जमशेदपुर में कार्यक्रम से एक दिन पहले 14 सितंबर को प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब बांगलदेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि इस साल लोकसभा चुनाव के बाद इस मुद्दे की गंभीरता का पता तब चला है जब लोकसभा चुनाव में संथाल इलाके से भाजपा पिछड़ी है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वोटर लिस्ट देखी गई तो उसमें खास समुदाय के वोट अधिक थे। इससे शक है कि बांग्लादेशी घुसपैठी इस इलाके में आ गए हैं। अब सवाल यह है कि हिमंता बिस्वा सरमा बोल रहे हैं कि झारखंड में काफी अरसे से बांग्लादेशी घुसपैठिए मौजूद हैं। जबकि, बाबूलाल कह रहे हैं कि इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान संताल की सीटों पर पिछड़ने के बाद वोटर लिस्ट से घुसपैठ का पता चला। अब सवाल यह उठता है कि इस मुद्दे पर कौन झूठ बोल रहा है। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा या भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी। क्योंकि, दोनों में से एक ही सही बोल रहा है।
हिमंता सही तो 2014 से 2019 तक क्या कर रही थी भाजपा सरकार
अब मान लेते हैं कि इस मुद्दे पर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा सही बोल रहे हैं। झारखंड में काफी अरसे से बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। तो कई सवाल भाजपा सरकार पर उठ जाते हैं। तो हर चुनाव में बांग्लादेशी घुसैपठ का राग अलापने वाली भाजपा की जब झारखंड में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो वह क्या कर रही थी। देश की सुरक्षा से जुड़े इस अहम मुद्दे पर उसने पहल करते हुए कार्रवाई क्यों नहीं की। तब भाजपा सरकार ने झारखंड में कितने बांग्लादेशी घुसपैठिए चिन्हित किए और इनको प्रदेश से निकालने के लिए क्या कदम उठाया गया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस मुद्दे पर भाजपा की घिरती नजर आ रही है। झारखंड में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद जनता भी समझ गई है कि बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा सिर्फ चुनावी है। चुनाव के बाद भाजपा खुद इस मुद्दे को भूल जाती है। वरना, जब साल 2014 में झारखंड में भाजपा की पूर्ण बहुमत की दमदार सरकार बनी थी तो बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई जरूर होती।
बाबूलाल सही तो सीमा पर क्या कर रही केंद्र सरकार
राजनीतिक जानकारों ने इस मुद्दे का विश्लेषण किया तो भाजपा ही घिरती नजर आई। अगर मान लिया जाए कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सही कह रहे हैं तो घुसपैठ का पता इस साल लोकसभा चुनाव में ही चला जब संताल इलाके में भाजपा पिछड़ी। तब वोटर लिस्ट देखी गई तो खास समुदाय के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। मनुष्य की प्रजनन क्षमता से भी तेज। अब साल 2014 के चुनावी माहौल पर नजर डालते हैं। साल 2014 में लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 में से 12 सीटें भाजपा को मिलीं थीं। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई थी। मतलब, तब वोटर लिस्ट में विशेष समुदाय के लोगों की संख्या नहीं बढ़ी थी। यानि तब तक बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुई थी। यानि जो भी घुसपैठ हुई है वह साल 2014 से अब तक हुई है। साल 2014 से अब तक केंद्र में भाजपा की ही सरकार है। राजीतिक जानकारों का कहना है कि ऐसे में घुसपैठ के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है। झामुमो के नेता इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा भी रहे हैं। कुछ दिन पहले जमशेदपुर आए झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय ने बांगलदेशी घुसपैठ के मुद्दे पर केंद्र सरकार को ही घेरा और केंद्र को ही जिम्मेदार बताते हुए कहा कि अगर घुसपैठ हुई है तो गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए।
वोटर लिस्ट में संख्या बढ़ी तो हो सकता है अन्य राज्यों से आए हों लोग
राजनीतिक जानकार इस मुद्दे पर भाजपा को घेर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर वोटर लिस्ट में विशेष समुदाय के नामों की संख्या अधिक है तो बिना जांच कराए कैसे कहा जा रहा है कि यह लोग बांग्लादेश से ही आए हैं। हो सकता है कि यह लोग बंगाल से आए हों या फिर उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू आदि राज्यों से आए हों। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बिना जांच पड़ताल के हवा में चुनावी मुद्दा उछालने से अब किसी भी दल को कोई फायदा नहीं होने वाला है।
लोकसभा चुनाव से पहले भी उठता रहा है मुद्दा
झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा इस साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले भी उठता रहा है। हर चुनाव में भाजपा यह मुद्दा उठाती रही है। यह बाल अलग है कि जब भी भाजपा सरकार में आती थी तो वह इस मुद्दे को भूल जाती थी। गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने दिसंबर 2923 में लोकसभा में यह मुद्दा उठाते हुए सदन को बताया था कि झारखंड में 1951 में आदिवासियों की संख्या 36 प्रतिशत थी। अब यह घट कर 24 फीसद रह गई है। यही नहीं, सदन में निशिकांत दुबे ने कहा था कि वह गोड्डा से 2009 में जीत कर सासंद बने थे और तब से यह मामला 100 वीं बार उठा रहे हैं। यानि, 2023 से पहले निशिकांत दुबे लोकसभा में यह मामला 99 बार उठा चुके थे। तब भी लोकसभा में निशिकांत दुबे ने वही राग अलापा था जो अब भाजपाई अलाप रहे हैं। निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण संथाल परगना के गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, देवघर और जामताड़ा में डेमोग्राफी बदल गई है।