चंडीगढ़: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर तीखी खींचतान चल रही है। हलोपा, भाजपा से कम से कम 6 सीटों की मांग कर रही है, जबकि भाजपा 2 सीटों से अधिक देने के लिए तैयार नहीं है। इस खींचतान के बीच हलोपा ने भाजपा नेता रणधीर चौटाला की सीट रानियां से अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है, जिससे भाजपा धर्मसंकट में फंस गई है। भाजपा अब हलोपा पर इस सीट को छोड़ने का दबाव बना रही है, लेकिन हलोपा इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हाल ही में हलोपा सुप्रीमो और सिरसा के विधायक गोपाल कांडा के आवास पर जाकर गठबंधन का ऐलान किया था। इससे पहले भाजपा का जननायक जनता पार्टी (जजपा) से गठबंधन था, लेकिन भाजपा ने इस गठबंधन को तोड़ दिया और हलोपा के साथ गठबंधन किया है। हलोपा को पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट मिली थी, जिसमें गोपाल कांडा सिरसा से जीतने में सफल रहे थे। इसके बावजूद, भाजपा ने साढ़े चार साल तक जजपा के साथ सरकार चलाने के बाद उससे गठबंधन तोड़ दिया, जबकि जजपा के पास 10 विधायक थे।
हरियाणा में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है, 12 सितंबर से नामांकन शुरू होंगे, 1 अक्टूबर को वोटिंग और 4 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। भाजपा का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था, इसके बावजूद नायब सिंह सैनी को पूरा विश्वास है कि उनकी सरकार फिर से बनेगी।
रणजीत चौटाला बना सकते हैं भाजपा का गेम खराब
रानियां सीट को लेकर खींचतान के बाद रणजीत चौटाला सतर्क हो गए हैं। रणजीत चौटाला पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल चौटाला के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के भाई हैं। रणजीत चौटाला रानियां से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यदि भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में रणजीत चौटाला निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने भाजपा की खट्टर सरकार को समर्थन दिया, जिसके बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो गए थे और हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें वह 63,000 वोटों से हार गए थे।
धवल कांडा की उम्मीदवारी से फंसा पेंच
हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा ने रानियां सीट से अपने बेटे धवल कांडा की उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया है, जिससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस घोषणा से भाजपा की धड़कनें बढ़ गई हैं, क्योंकि रणजीत चौटाला यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में रणजीत चौटाला ने गोविंद कांडा को 19,431 वोटों से हराया था। हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में हैं, जहां उन्होंने भाजपा के हरियाणा प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की और 12 सीटों पर दावेदारी जताई।
सिरसा जिले की सभी सीटों पर हलोपा का दावा
सिरसा जिले की 6 विधानसभा सीटों – फतेहाबाद, ऐलनाबाद, सिरसा, रानियां, डबवाली और कालांवाली – पर हलोपा का दावा है। हलोपा चाहती है कि भाजपा सिरसा जिले की सभी सीटें उसे सौंप दे। हालांकि, भाजपा ने साफ कर दिया है कि हलोपा को 2 से ज्यादा सीटें नहीं दी जाएंगी। हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष मोहनलाल बडोली ने हाल ही में यह घोषणा की थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर भाजपा हलोपा के साथ गठबंधन जारी रखती है, तो उसे रानियां सीट गंवानी पड़ेगी और इससे भाजपा के वरिष्ठ नेता रणजीत चौटाला नाराज हो सकते हैं। भाजपा सिरसा जिले में रणजीत चौटाला को खोना नहीं चाहती, क्योंकि रणजीत चौटाला ही भाजपा के लिए सिरसा में तिनके का सहारा हैं।
अहीरवाल में भाजपा में अंदरूनी टकराव
अहीरवाल इलाके में भी भाजपा टिकट बंटवारे को लेकर उलझी हुई है। गुरुग्राम के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव को अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं और इसका ऐलान भी कर चुके हैं। अहीरवाल की कई सीटों पर इंद्रजीत सिंह का दावा है और उनका कहना है कि उनके समर्थकों को टिकट मिलना चाहिए। वहीं, पूर्व मंत्री राव नरवीर सिंह बादशाहपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह पार्टी टिकट दे या न दे, वह हर सूरत में चुनाव लड़ेंगे।
राव नरवीर सिंह का कहना है कि अगर भाजपा ने ढंग से टिकटों का बंटवारा नहीं किया, तो अहीरवाल इलाके में पार्टी का सूपड़ा साफ हो सकता है। भाजपा यहां अंदरूनी उथल-पुथल का शिकार हो रही है और उसके दो बड़े नेता ही टकराव के रास्ते पर हैं। अब देखना होगा कि भाजपा इस गुत्थी को कैसे सुलझाती है।