नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को एक देश एक चुनाव को मंजूरी दे दी है. इसे लेकर एक कमेटी बनाई गई थी. इसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे. वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर रामनाथ कोविंद ने अपनी रिपोर्ट आज बुधवार 18 सितंबर को मोदी कैबिनेट को दी थी. इसके बाद उनकी रिपोर्ट को सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया गया है. हालांकि इसके बाद वन नेशन वन इलेक्शन का सफ़र आसान नहीं होगा. इसके लिए राज्यों की मंजूरी और संविधान संशोधन भी जरूरी है. इसके बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा. वन नेशन वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय रेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी की सिफ़ारिशों को मंजूर कर लिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ ही चुनाव होते थे. वह अगले महीने वन नेशन वन इलेक्शन पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे. उन्होंने आगे बताया की ‘एक देश एक चुनाव’ पर गठित समिति ने 191 दिनों तक काम किया और 21,558 लोगों से राय ली। उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव का 80% लोगों ने समर्थन किया, जिसमें 47 में से 32 राजनीतिक दल भी शामिल थे। समिति ने पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों, चुनाव आयुक्तों और राज्य चुनाव आयुक्तों से भी विचार-विमर्श किया। वैष्णव ने स्पष्ट किया कि ‘एक देश एक चुनाव’ को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगरपालिका) होंगे।
कब लाया जा सकता है बिल ?
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा तैयार की गई “एक देश, एक चुनाव” रिपोर्ट को आज नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा शीतकालीन सत्र में संसद में पेश करने की तैयारी का संकेत देता है। हालांकि, इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए यह आवश्यक है कि संविधान संशोधन विधेयक के लिए राज्यों की सहमति भी प्राप्त की जाए। बीजेपी ने 2024 के आम चुनाव में इस नीति का वादा किया था, जिसे लागू करने के लिए अब सरकार सक्रिय कदम उठा रही है।
17 सितंबर को ही मिले थे संकेत
मार्च में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में एक पैनल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में अपनी 18,626 पेज की रिपोर्ट पेश की। यह रिपोर्ट सरकार के आगामी पांच वर्षों में इस प्रणाली को लागू करने के इरादे को दर्शाती है। गृह मंत्री अमित शाह ने एक दिन पहले कहा था कि मोदी सरकार 3.0 इस कार्यकाल के भीतर इसे लागू करने की योजना बना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि लगातार चुनाव देश के विकास को बाधित कर रहे हैं।
भाजपा के सहयोगी दलों का भी मिला साथ
बीजेपी के सहयोगी दलों, जेडीयू और एलजेपी, ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना का औपचारिक समर्थन किया है। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इस योजना को एनडीए का पूरा समर्थन देते हुए कहा कि इससे देश को लगातार चुनावों की समस्या से छुटकारा मिलेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कदम से केंद्र स्थिर नीतियों और साक्ष्य-आधारित सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस योजना का विरोध किया है।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन और कैसे होगा यह लागू ?
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का मतलब है कि भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, यानी केंद्र और राज्य के प्रतिनिधियों के लिए एक ही समय पर मतदान किया जाएगा। इस योजना के लागू होने पर नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी साथ में होंगे। इससे संसाधनों की बचत होगी।हालांकि, इस योजना को लागू करने में कई बाधाएं हैं। कैबिनेट से पास होने के बाद सरकार इसे कानून बनाने के लिए बिल लाएगी, लेकिन संविधान में संशोधन और सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों और प्रमुख राजनीतिक दलों की मंजूरी जरूरी होगी। इसके अलावा, सदनों के विघटन, राष्ट्रपति शासन या लटके विधानसभा/संसद जैसी स्थितियों से निपटने के लिए कोई स्पष्ट योजना अभी तक नहीं है।