झारखंड में कैबिनेट में मंत्रिमंडल बन जाने के बाद अब असंतुष्ट विधायकों की भी चर्चा शुरू हो गई है। कहा जाने लगा है कि कई विधायक मंत्रिमंडल विस्तार के बाद खुश नहीं हैं। यह विधायक सरकार का खेल बिगाड़ सकते हैं। मंत्रिमंडल से कौन कौन विधायक है नाराज। किस हद तक जा सकेंगे यह नाराज विधायक। इस पर होगी हमारी यह स्टोरी। कहा जा रहा है कि विपक्ष ऐसे विधायकों से संपर्क कर सकती है। हेमंत सोरेन के पिछले कार्यकाल में यही हुआ था। जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए थे। विपक्ष उन्हीं के संपर्क में था। इस बार भी कुछ उसी तरह की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
इस बार जो मंत्रिमंडल बना है। उसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा जेएमएम से छह मंत्री, कांग्रेस से चार और राजद से एक मंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल तो बन कर तैयार हो गया है मगर, कई ऐसे विधायक जो अपना कालर टाइट किए हुए थे कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा, वह मंत्री नहीं बन पाए। ऐसे विधायक अब नाराज दिख रहे हैं। उनके समर्थकों के जरिए यह नाराजगी उजागर भी की जा रही है। अब सवाल उठता है कि क्या यह विधायक सरकार का खेल बिगाड सकते हैं। उन विधायकों का नाम बताने से पहले आपको मंत्रिमंडल का खाका समझा देते हैं। तभी आपको इस सियासत को समझने में आसानी होगी। कांग्रेस से जो चार मंत्री बने हैं उनमें छतरपुर के विधायक राधा कृष्ण किशोर शामिल हैं। इन्हें एससी कोटा साधने के लिए मंत्री बनाया गया है। जामताडा से विधायक इरफान अंसारी हैं। इरफान अंसारी का कांग्रेस में ऊंचा कद है। वह पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के बेटे हैं। महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह भी मंत्री बनी हैं। यह भी कांग्रेस की ऊंचे कद वाली नेता हैं। दीपिका पांडेय सिंह की माता प्रतिभा पांडे कांग्रेस की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। दीपिका पांडे सिंह की शादी बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री अवध बिहारी सिंह के बेटे रत्नेश कुमार सिंह के साथ हुई थी। दीपिका पांडेय सिंह के ससुर अवध बिहारी सिंह महगामा से चार बार विधायक बने थे। दीपिका पांडे सिंह की कांग्रेस में अच्छी पकड है और इसका उन्हें लाभ मिला। वह मंत्री बन गईं। अब कांग्रेस में जो नाम चौंकाने वाला है वह है मांडर की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की का। शिल्पी नेहा तिर्की मांडर के पूर्व विधायक बंधु तिर्की की बेटी हैं और मांडर से दूसरी बार चुन कर विधानसभा पहुंची हैं। शिल्पी के नाम की चर्चा पहले से थी। बताते हैं कि कांग्रेस अनुसूचित जनजाति के बीच अपनी पकड मजबूत करने के लिए बंधु तिर्की को आगे कर रही है। पिछले कार्यकाल में शिल्पी नेहा तिर्की विधानसभा में चीजों को जिस तरह से उठाती थीं और विपक्ष पर सधा हुआ वार करती थीं। उस वजह से भी शिल्पी की दावेदारी को मजबूती मिली है।
अब जिक्र करते हैं पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का। रामेश्वर उरावं पिछली सरकार में वित्त मंत्री थे। इस बार भी वह कांग्रेस के टिकट पर लोहरदगा से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। झारखंड में इस बार मंत्रिमंडल बनने की जब से सुगबुगाहट थी तभी से आशंका जताई जा रही थी कि इस बार रामेश्वर उरांव मंत्री नहीं बन पाएंगे। इसके पीछे कई वजह बताई जा रही थी। कहा जा रहा है कि पिछली सरकार में जब रामेश्वर उरांव मंत्री थे तो वह पार्टी के अन्य विधायकों को तवज्जो नहीं देते थे। इससे विधायकों में नाराजगी थी। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद जब चंपई सीएम बने और मंत्रिमंडल का दोबारा गठन हो रहा था तभी कांग्रेस के विधायकों ने कई मंत्रियों के नाम पर एतराज जताया था। सूत्रों की मानें तो इसमें रामेश्वर उरांव भी थे। बाद में कांग्रेस ने बादल पत्र लेख को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। आलमगीर आलम जेल गए तो उनका पत्ता खुद ब खुद कट गया। दो मंत्री रामेश्वर उरांव व बन्ना गुप्ता बरकरार थे। बन्ना गुप्ता इस बार जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा से चुनाव हार गए। अब बचे रामेश्वर उरांव। बताते हैं कि विधायकों की तब की शिकायत के चलते ही रामेश्वर उरांव को मंत्री नहीं बनाया गया।
मंत्रिमंडल गठन से पहले कांग्रेस से एक और नाम की चर्चा थी। यह नाम था पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के बेटे बेरमो से विधायक कुमार जयमंगल सिंह का। पहले कहा जा रहा था कि जयमंगल सिंह का मंत्री बनना तय है। नेता लोग चर्चा कर रहे थे कि कुमार जयमंगल सिंह के नाम पर आला कमान ने मुहर लगा दी है। बंद लिफाफे में पत्र आ गया है। कुमार जयमंगल का मंत्री बनना तय है। मगर, जब नाम की सूची जारी हुई तो सारे दावे और बातें धरी की धरी रह गईं। कुमार जयमंगल सीन से गायब दिखे। कहा जा रहा था कि कुमार जयमंगल हेमंत सोरेन के करीबी हैं। इसलिए उनका मंत्री बनना तय है। कांग्रेस में कुमार जयमंगल की धमक की भी चर्चा थी। लोग लोकसभा चुनाव में कुमार जयमंगल की सियासत देख चुके थे। कैसे सारे दावेदारों को चित करते हुए धनबाद से अपनी पत्नी को टिकट दिलवा दिया था। मगर, सूत्रों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान ने झारखंड के लिए वरिष्ठ नेताओं की एक टीम बना दी थी। इस टीम ने ही सारे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए वह चार नाम तय किए हैं जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है। सूत्र बताते हैं कि कुमार जयमंगल कांग्रेस को धनबाद की सीट नहीं दिला पाए। इसी वजह से वह मंत्रियों वाली सूची में अपना नाम नहीं लिखवा सके। बंद लिफाफे में विधायक नमन विक्सल कोंगाडी का भी नाम होने की चर्चा थी। राजेश कच्छप का भी नाम लिया जा रहा था। एक और हैवीवेट विधायक हैं प्रदीप यादव। प्रदीप यादव भी बंधु तिर्की की तरह बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा में थे। बंधु तिर्की के साथ ही उन्होंने पार्टी ज्वाइन की थी। मगर, बंधू तिर्की अपनी बेटी शिल्पी नेहा तिर्की के लिए मंत्री पद का जुगाड करने में सफल हो गए। पर, दीपक यादव चूक गए।
अब जिक्र करते हैं जेएमएम का। जेएमएम में टुंडी के विधायक मथुरा महतो के नाम की चर्चा थी। मथुरा महतो हेमंत सोरेन जब पहली बार सीएम बने थे तब मंत्री बनाए गए थे। टुंडी से मथुरा महतो पांचवीं बार जीते हैं। जेएमएम ने मथुरा महतो को गिरीडीह से लोकसभा का चुनाव लडाया था। मथुरा महतो यह चुनाव हार गए थे। मथुरा महतो जेएमएम में हैवीवेट नेता माने जाते हैं। उनके नाम की भी चर्चा थी। मगर, उनका नाम मंत्रियों वाली सूची से गायब दिखा।