जमशेदपुर : राजनीति के वह कौन से हालात थे जिसमें झारखंड के पूर्व सीएम झामुमो के कद्दावर नेता चंपई सोरेन ने बगावत का रास्ता चुना। उन्हें किसी चीज का खौफ था या फिर पुत्र मोह ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया। सूत्र बताते हैं कि उन्हें ईडी से डराया गया था। ईडी का खौफ दिखाया गया और कहा गया कि अगर कार्रवाई से बचना चाहते हो तो आपरेशन लोटस में शामिल हो जाओ। झारखंड की राजनीति में ईडी के साथ ही सीडी का भी रोल रहा है। पहले भी कई राजनेताओं की सीडी सामने लाई गई और इसके जरिए हित साधे गए। राजनीति के जानकार यह भी बताते हैं कि चंपई सोरेन अपने बेटे बाबूलाल सोरेन को राजनीति में सेट करना चाहते हैं। झामुमो में रहते उन्हें कहीं बेटे को सेट करने का जुगाड़ नहीं बन रहा था। पोटका में विधायक संजीव सरदार का कब्जा है तो घाटशिला में रामदास सोरेन कुंडली मार कर बैठे हैं। ऐसे में बेटे बाबूलाल सोरेन के लिए राजनीति में जगह निकालना चंपई के लिए मुश्किल हो रहा था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चंपई ने अपने इस दर्द को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से साझा भी किया था। मगर, उनकी सुनी नहीं गई। अटकलें लगाई जा रही हैं कि बेटे को सियासी जमीन देने के लिए ही कोल्हान टाइगर ने यह कदम उठाया है। अब चंपई सोरेन लगातार आगे बढ़ रहे हैं। वह पोटका के बाद भोया गांव पहुंचे जहां उन्होंने सड़क हादसे में मृत चालक के परिजनों को सांत्वना दी। माना जा रहा है कि जल्द ही चंपई सोरेन की नई पार्टी तैयार हो जाएगी। चंपई सोरेन के सलाहकार पार्टी का संगठन तैयार करने में जुट गए हैं।