झारखंड में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सभी दलों की सेनाएं एकजुट हो रही हैं। राजनीतिक दलों में लामबंदी जारी है। ऐसे माहौल में भाजपा के प्रत्याशी बाबूलाल मरांडी के सामने इंडिया गठबंधन में फूट पड़ गई है। बाबूलाल मरांडी धनवार से भाजपा के उम्मीदवार हैं। यहां उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। मगर, इस सीट पर इंडिया गठबंधन के दो घटक दलों जेएमएम और भाकपा माले में तालमेल नहीं बन पा रहा है। नतीजा यह निकला कि धनवार में दोनों दलों ने अपने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। हम इस खबर में जानेंगे कि धनवार में क्या होने जा रहा है। जेएमएम का इस सीट पर क्या इरादा है। जेएमएम ने इस सीट पर क्यों उम्मीदवार का एलान किया। जबकि, भाकपा माले पहले ही इस सीट पर उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी थी।
धनवार में जेएमएम से मजबूत है भाकपा माले
आइए अब देखते हैं कि धनवार में क्या होने जा रहा है। धनवार में भाकपा माले का खासा असर है। विधानसभा चुनाव 2019 में इस सीट पर बाबूलाल मरांडी अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर विधायक बने थे। दूसरे नंबर पर भाजपा थी। तीसरे नंबर पर भाकपा माले के उम्मीदवार थे। अब जेएमएम की यहां राजनीतिक हालत देखिए। जेएमएम यहां असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम से भी पीछे रह गई थी। जेएमएम छठे नंबर पर थी। साल 2014 के चुनाव में यहां से भाकपा माले के राजकुमार यादव जीत गए थे। उन्होंने बाबूलाल मरांडी को हराया था। साल 2009 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के उम्मीदवार निजाम उद्दीन अंसारी की जीत हुई थी। भाकपा माले दूसरे नंबर पर जबकि, जेएमएम चौथे नंबर पर थी। साल 2005 के चुनाव में धनवार से भाजपा के रवींद्र राय चुनाव जीते थे। तब भी भाकपा माले दूसरे नंबर पर थी। भाजपा की जीत का फर्क सिर्फ तीन हजार तीन सौ चौंतीस वोट का था। इस चुनाव में भी जेएमएम के उम्मीदवार निजामुद्दीन अंसारी तीसरे नंबर पर थे। साल दो हजार में भी यहां से भाजपा के रवींद्र कुमार राय ने ही जीत का परचम बुलंद किया था। तब भी भाकपा माले दूसरे नंबर पर और जेएमएम तीसरे नंबर पर रही थी। पिछले चुनावों के फीगर बताते हैं कि धनवार में कभी जेएमएम भाकपा माले से आगे नहीं रही। धनवार में भाकपा माले मजबूत है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि धनवार से इंडिया गठबंधन में भाकपा माले का ही उम्मीदवार होना चाहिए।
बाबूलाल को वाक ओवर देने का प्लान तो नहीं
धनवार में भाकपा माले और जेएमएम के बीच खींचतान के मतलब निकाले जाने लगे हैं। राजनीतिक टीकाकार इसे लेकर तरह तरह की जानकारी दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन ने कहीं बाबूलाल मरांडी को वाकओवर देने का प्लान तो तैयार नहीं कर लिया है। इस सीट पर राजनीतिक दलों के बीच किसी गुप्त डील की आशंका भी जताई जा रही है। इस वजह से बाबूलाल मरांडी के सामने इंडिया गठबंधन की तरफ से जेएमएम और भाकपा माले के अलग अलग दो उम्मीदवार उतार दिए गए हैं। ताकि, भाजपा से नाराज वोट दो हिस्सों जेएमएम व भाकपा माले में बंट जाएं। कैडर वोट के मामले में भी भाकपा माले जेएमएम पर भारी है। धनवार में जेएमएम का अपना 8 हजार कैडर वोट है। जबकि, भाकपा माले के कैडर वोट की संख्या 30 हजार के करीब है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर इंडिया गठबंधन इस सीट पर मिल कर एकजुटता से लड़ा तो भाजपा के बाबूलाल मरांडी की राह मुश्किल हो जाएगी।
माले ने राजकुमार तो जेएमएम ने निजामउद्दीन को उतारा
भाकपा माले ने धनवार से राजकुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है। भाकपा माले का उम्मीदवार घोषित होने के ही अगले दिन मंगलवार की देर रात जेएमएम ने अपनी सूची जारी की थी और धनवार से निजामउद्दीन अंसारी को प्रत्याशी घोषित कर दिया। आइए अब आपको बताते हैं कि भाकपा माले के उम्मीदवार राजकुमार यादव और जेएमएम के उम्मीदवार निजामुउद्दीन अंसारी में सियासी तौर पर कौन सबसे ज्यादा मजबूत है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव को लें तो तीसरे स्थान पर रहे राजकुमार यादव को 32 हजार 245 वोट मिले थे। जबकि, पांचवें स्थान पर रहे निजामउद्दीन अंसारी सिर्फ 14 हजार 432 वोट ही बटोर पाए थे। अब देखते हैं कि साल 2014 में हुए चुनाव की क्या पोजिशन थी। इस चुनाव में भाकपा माले के राजकुमार यादव जीत कर विधायक बन गए थे। राज कुमार यादव को 50 हजार 634 वोट मिले थे। ऐसा इसलिए हुआ कि इस चुनाव में धनवार से जेएमएम का कोई कैंडीडेट नहीं था। इस वजह से बाबूलाल मरांडी की हार हो गई थी। क्योंकि, उनके विरोधी वोट बंट नहीं पाए थे। यही वजह है कि जब इस बार भाकपा माले के बाद जेएमएम ने अपना प्रत्याशी घोषित किया तो राजनीतिक खिलाडियों के कान खड़े हो गए हैं। सबको हैरत है कि सरकार बनाने के लिए एक-एक सीट पर गुणा-गणित कर जीत का खाका बनाने वाली जेएमएम धनवार में यह क्या करने जा रही है।
पांच सीट मांग रही थी माले, मिल रही तीन
इंडिया गठबंधन के घटक दलों जेएमएम व कांग्रेस ने मिल कर 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया था। बाकी बची 11 सीटें राजद व भाकपा माले को मिलनी थीं। मगर, बाद में यह गणित भी गड़बड़ा गया है। अब आकलन किया जा रहा है कि जेएमएम 43 पर चुनाव लड़ेगी। क्योंकि झामुमो ने 41 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। झामुमो के दबदबे वाली जामा और सरायकेला सेट अभी बाकी है। कांग्रेस की 29 सीटें हो जाएंगी। राजद की 6 सीटें हैं और वामदलों के पास 3 ही सीटें निरसा, बगोदर व सिंदरी बची हैं। अब देखना है कि भाकपा माले इन तीन सीटों पर मानती है या नहीं। वैसे धनवार से जेएमएम का प्रत्याशी आ जाने से भाकपा माले के तेवर गरम हो गए हैं। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि कहीं वाम मोर्चा 5 सीटों पर न अपने उम्मीदवार उतार दे। ऐसे में इंडिया गठबंधन से वाम मोर्चा बाहर निकल जाएगी। सूत्रों की मानें तो वाम मोर्चा को मनाने की कवायद शुरू कर दी गई है।