मथुरा की जगह योगेंद्र प्रसाद महतो को मिली जगह
– इस गलती की वजह से प्रभावित हो गया राजनीतिक कैरियर
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट का विस्तार गुरुवार को हो गया है। इस बार जेएमएम में कुडमी बिरादरी का बड़ा चेहरा माने जाने वाले टुंडी के विधायक मथुरा महतो को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई है। कहा जा रहा है कि मथुरा महतो की एक गलती ने सब कुछ बंटाधार कर दिया। इस गलती का खमियाजा उन्हें कैबिनेट से हाथ धोकर भुगतना पड़ा है। आज की इस खबर में हम इसी बात पर चर्चा करेंगे कि मथुरा महतो की वह कौन सी गलती है जिसकी वजह से वह मंत्री नहीं बन पाए। जबकि, रेस में उनका नाम सबसे आगे था।
कैबिनेट में इस बार छह नए चेहरे
मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में हुआ। राजद कोटे से गोड्डा के विधायक संजय कुमार यादव ने मंत्री पद की शपथ ली है। इसके अलावा, कांग्रेस से शिल्पी नेहा तिर्की और राधा कृष्ण किशोर ने मंत्री पद की शपथ ली। इसके अलावा, जामताडा के विधायक इरफान अंसारी और महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह को भी मंत्री बनाया गया है। जेएमएम कोटे से कोल्हान से चाईबासा के विधायक दीपक बिरुवा, घाटशिला से रामदास सोरेन, हफीजुल हसन, गिरीडीह से सुदिव्य सोनू , चमरा लिंडा और गोमिया से विधायक योगेंद्र प्रसाद महतो मंत्री बनाए गए हैं। राजभवन में सबसे पहले दीपक बिरुवा ने शपथ ली और उसके बाद राज्यपाल ने बिशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा को शपथ दिलाई। इसके बाद एक-एक कर विधायकों को बुला कर मंत्रिपद की शपथ दिलाई गई। इस बार मंत्रिमंडल में छह नए चेहरों को शामिल किया गया है।
मथुरा का पत्ता गोल करने की यह है बडी वजह
इस बार भी चर्चा थी कि मथुरा प्रसाद महतो को मंत्री बनाया जाएगा। मगर, जब बुधवार को जेएमएम ने राजभवन को सूची भेजी तो इसमें विधायक मथुरा महतो का नाम नहीं था। बताते हैं कि इस बार मंत्रिमंडल से मथुरा महतो का पत्ता काट दिया गया। मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि मथुरा महतो का पत्ता गोल करने के पीछे एक बडी वजह है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मथुरा महतो को उनके दामाद मांडू के पूर्व विधायक जयप्रकाश भाई पटेल की वजह से मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई है। जय प्रकाश भाई पटेल ने साल दो हजार उन्नीस में जेएमएम से बगावत कर दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे।
जयप्रकाश भाई पटेल को नहीं समझा पाए थे मथुरा
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जयप्रकाश भाई पटेल लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। झामुमो ने मना किया तो जय प्रकाश भाई पटेल ने कांग्रेस से दोस्ती बढाने की शुरुआत कर दी थी। इस पर हेमंत सोरेन ने जयप्रकाश भाई पटेल को ऐसा करने से रोका था। हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर अजय कुमार से कहा था कि वह जेएमएम के विधायकों को न तोड़ें। वरना गठबंधन खतरे में पड जाएगा। इसके बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी। मगर, जयप्रकाश भाई पटेल पूरी तरह बागी बन चुके थे। कांग्रेस में जगह नहीं मिली तो भाजपा में चले गए और मांडू से विधायक बन गए। पिछले लोकसभा चुनाव साल दो हजार उन्नीस में जयप्रकाश भाई पटेल पूर्व सीएम रघुवर दास के साथ भाजपा की रैलियों में जाते थे और जेएमएम के खिलाफ बोलते थे। तब हेमंत सोरेन ने टुंडी के विधायक मथुरा महतो से उनके दामाद की शिकायत की थी। फिर भी जयप्रकाश भाई पटेल नहीं माने थे। सूत्र बताते हैं कि तभी से हेमंत सोरेन जयप्रकाश भाई पटेल के ससुर टुंडी के विधायक मथुरा महतो से अंदर ही अंदर नाराज चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि मथुरा महतो को इसी बात का खमियाजा भुगतना पड़ा है और उन्हें मंत्री पद से महरूम कर दिया गया। जबकि, योगेंद्र प्रसाद महतो साल दो हजार उन्नीस में गोमिया से आजसू के लंबोदर महतो से हार गए थे। मगर, वह हेमंत सोरेन के करीबी बने रहे। इस बार गोमिया से जीतने के बाद हेमंत सोरेन ने कुडमी चेहरे के तौर पर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह देने का फैसला लिया।
मांडू में सीट को लेकर भी फंसा था पेच
मांडू सीट पर टिकट को लेकर भी पेच फंसा था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हेमंत सोरेन मांडू की सीट जेएमएम की झोली में रखना चाहते थे। ताकि, जयप्रकाश भाई पटेल को विधानसभा चुनाव से ही वंचित कर दिया जाए। मगर, बाद में उन्होंने इस मामले में कांग्रेस के कहने पर नरम रवैया अपनाया और मांडू की सीट कांग्रेस को दे दी गई। जयप्रकाश भाई पटेल यहां से चुनाव लडे़ मगर कडे़ मुकाबले में निर्मल महतो ने उन्हें दो सौ इकतीस वोट से हरा दिया।