पटना : प्रशांत किशोर यानी पीके। वो नाम जिन्हें राजनीति का मैनेजर कहा जाता है। इन दिनों ये मैनेजर साहब बिहार में नेता बनने की जुगत में हैं। मीलों यात्रा कर रहे हैं। अपनी हर यात्रा में बिहार और बिहार के बच्चों का भविष्य बदलने के दावे और वायदे भी खूब कर रहे हैं। लेकिन, हालिया बयानों और कारनामे को लेकर पीके की नीयत पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. बिहार की सडकों पर पीके ने पोस्टर वॉर स्टार्ट किया है। इसमें उनकी पार्टी जन सुराज लालू यादव पर सिर्फ परिवार को ही आगे बढाने और यादव समाज के दूसरे नेताओं को किनारे करने का आरोप लगा रही है। अब सवाल यह है कि पीके को परिवारवाद क्या सिर्फ आरजेडी में ही दिख रहा है। क्या उनके चश्मे से एनडीए का परिवारवाद नहीं दिखता है ? भाजपा, लोक जनशक्ति पार्टी, या फिर एनडीए के दूसरे सभी घटक दलों के परिवारवाद, क्या भारत की जीडीपी बढाने के लिए बहुत उपयोगी है ? ये सभी वे सवाल हैं, जिसका जवाब देने में पीके कन्नी काटते हुए दिखते हैं. शायद यही कारण है कि बिहार की राजनीति में इन दिनों यह चर्चा आम है कि कहीं पीके भाजपा की बी टीम तो नहीं ? आखिर वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। आइए जानते हैं फिफ्थ पिलर की इस स्पेशल रिपोर्ट में।
आरजेडी के खिलाफ पोस्टर वार
प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी का गठन किया है। साथ ही उन्होंने बिहार की सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा भी कर दी है। वे बिहार के विभिन्न जिलों की पैदल यात्रा कर रहे हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं। प्रशांत किशोर अपनी प्लानिंग को धरातल पर उतार भी रहे हैं। प्रशांत किशोर ने बिहार की सियासत में पोस्टर वॉर शुरू किया है। उन्होंने पटना की सडकों पर पोस्टर लगाया है। इसमें लालू यादव को सिर्फ अपने परिवार को ही आगे बढाने और यादव समाज के दूसरे नेताओं को किनारे करने का आरोप लगाया है। पीके के इस पोस्टर वार पर बिहार की सियासत गरमा गई है। बिहार की राजनीति की समझ रखने वाले यह सवाल कर रहे हैं कि क्या प्रशांत किशोर को भाजपा, लोजपा, जदयू या फिर एनडीए के अन्य घटक दलों का परिवारवाद नहीं दिखता ? क्या उन्हें ऐसा करने और बोलने की स्क्रिप्ट कहीं और से भेजी जा रही है।
लोकसभा में उतरे थे परिवारवाद का कनेक्शन वाले 11 उम्मीदवार
क्योंकि अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए ने सिर्फ बिहार में ही कुल 11 ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं, जिनका परिवारवाद वाला कनेक्शन है। उनमें अकेले बीजेपी की तरफ से चार नेताओं को मौका दिया गया था। मधुबनी से बीजेपी ने सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव को टिकट देने का काम किया। इसी तरह पश्चिमी चंपारण से पूर्व सांसद मदन जायसवाल के बेटे संजय जायसवाल को मौका दिया गया। इसी कड़ी में पूर्व सांसद राम नरेश सिंह के बेटे सुशील कुमार सिंह को औरंगाबाद से फिर उतार दिया गया। इतना ही नहीं नवादा से सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को टिकट दे दिया गया।
जदयू के परिवारवाद पर खामोशी
अगर बीजेपी के साथी जेडीयू की बात करें तो वहां भी पूर्व मंत्री विद्यानाथ महतो के बेटे सुनील कुमार, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी को टिकट दिया गया। तो और लोक जनशक्ति पार्टी ( राम बिलास ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने तो जमुई लोकसभा सीट से अपने जीजा अरुण भारती को टिकट दे दिया।
पिता के बाद सम्राट चौधरी भी हैं मंत्री
बिहार से ही लिस्ट अभी और लंबी है। कुछ दिनों तक मुरेठा बांध कर चलने वाले सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी कांग्रेस के शासनकाल में मंत्री थे। फिर लालू यादव की सरकार की बनी तो उसमें भी मंत्री बने। इसके बाद नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री और बाद में जीतन राम मांझी की सरकार में भी मंत्री रहे। यानी सरकारें बदलती रहीं, लेकिन सम्राट चौधरी के पिता के मंत्री पद पर कोई असर नहीं पड़ा। अब सम्राट चौधरी खुद मंत्री के रूप में सेट हो गए हैं।
1250 परिवार के लोग ही सांसद, विधायक व विधान परिषद सदस्य
प्रशांत किशोर ने सीतामढी की एक सभा में कहा था कि बिहार की आबादी तेरह करोड़ है। लेकिन बिहार में सिर्फ 1250 परिवार के लोग ही सांसद, विधायक या फिर विधान परिषद सदस्य बनते हैं। यह बात उन्होंने परिवारवाद का जिक्र करते हुए कही थी। लेकिन, शायद जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं साहब की एक आंख में काजल और एक आंख में सुरमा लग रहा है। पटना में जन सुराज पार्टी की पोस्टर से एनडीए का परिवारवाद गायब है। इससे बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर के स्टैंड से लोगों में उहापोह की स्थिति पैदा हो रही है कि वे कहते भले कुछ हैं, लेकिन भाजपा के प्रति हमेशा उनका सॉफ्ट कॉर्नर रहता है।
एनडीए के परिवारवाद पर जमी दही
यह सवाल उठना लाजमी है कि राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, यौन उत्पीडन के आरोपी बृज भूषण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह, गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे और बेटे प्रीतम मुंडे, प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन, सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह, नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा के परिवारवाद पर प्रशांत किशोर के मुंह में दही क्यों जम गई है ?
बिहार की सियासत में तैर रहे सवाल
बिहार के सजग लोग यह पूछ रहे हैं कि प्रशांत किशोर का उस प्रज्वल रेवन्ना के परिवार पर क्या स्टैंड हैं, जो कर्नाटक के पूर्व लोक निर्माण विभाग मंत्री और बेंगलुरु के सांसद एचडी रेवन्ना के बेटे हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भतीजे हैं और उन पर सैकडों महिलाओं से बलात्कार और महिलाओं का वीडियो वायरल करने जैसे संगीन आरोप हैं। क्या यह परिवारवाद देश के विकास के लिए जरूरी है ? इसके पीछे के क्या कारण हैं ? ये सवाल बिहार की राजनीति में इन दिनों तैर रहा है.
यादव वोट बैंक में सेंधमारी का है प्लान
पीके के पोस्टर से साफ है कि उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव परिवार को अपना निशाना बनाया है। वे यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। पोस्टरों में यह भी दिखाने की कोशिश की जा रही है कि वे जन सुराज में यादवों को तरजीह दे रहे हैं। बडी संख्या में यादव कार्यकर्ता पीके के जन सुराज में जुड़ रहे हैं। हालांकि, यह आने वाला वक्त बताएगा कि बिहार की राजनीति में उनका यह पैंतरा कितना फिट बैठता है।