जेएलकेएम को हल्के में लेना पड़ा भारी, पढें विधानसभा की 81 सीटों की समीक्षा
झारखंड विधानसभा चुनाव में जयराम महतो को हल्के में लेना एनडीए के लिए भारी पड़ गया। उनकी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा यानी जेएलकेएम ने सत्रह सीटों पर एनडीए का खेल बिगाड़ा है। जबकि, पार्टी ने कुल बीस सीटों पर नतीजे प्रभावित किए हैं। तीन सीटों पर कांग्रेस व जेएमएम के उम्मीदवार प्रभावित हुए हैं। जेएलकेएम ने किन किन सीटों पर भाजपा और आजसू की गाड़ी को पटरी से उतारा। हम आज की खबर में इस पर समीक्षा करेंगे। उन सीटों का नाम भी बताएंगे। जिन पर जेएलकेएम आजसू और भाजपा पर भारी पड़ गई और एनडीए को सत्ता की दहलीज तक पहुंचने से रोक दिया। यह भी बताएंगे कि वह कौन सी बूटी थी जिसका प्रयोग कर जयराम महतो ने इस चुनाव में ऐसी कामयाबी हासिल कर ली कि झारखंड के पोस्टर ब्वाय बन गए।
एनडीए में होते जयराम तो बदल जाता सीन
झारखंड में हुए इस चुनाव में शुरू में एनडीए ने जयराम महतो को तवज्जो दी थी। सूत्रों की मानें तो जयराम महतो अमित शाह से मिलने दिल्ली भी गए थे। मगर, बात नहीं बन गई। इसके बाद वह लौट आए। पहले भाजपा का जो प्लान था उसके अनुसार जयराम महतो को भी एनडीए में शामिल होना था। यह प्लान भाजपा के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने बनाया था। सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव का आकलन करने के बाद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने सोच समझ कर विधानसभा चुनाव के लिए एक प्लान तैयार किया था। मगर, इसको अमल में नहीं लाया गया। इसी वजह से जयराम महतो को साइड लाइन कर दिया गया। यही नहीं, जयराम महतो को काउंटर करने के लिए जो योजना बनाई गई वह धरी की धरी रह गई। जेएलकेएम के कई नेताओं से बगावत कराई गई। दूसरी पार्टी भी बनी। इसका मतदाताओं पर कोई असर नहीं पड़ा। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने अमित शाह को भरोसा दिलाया था कि जयराम महतो कोई बडा फैक्टर साबित नहीं होंगे। जो थोड़ा बहुत असर होगा वह पार्टी में बगावत के बाद खत्म हो जाएगा। इसके तहत, जेएलकेएम में बगावत हुई भी। मगर, महतो बिरादरी पर इसका कोई असर नहीं हुआ। दरअसल महतो बिरादरी आजसू को आजमा चुकी है। आजसू बिरादरी की कसौटी पर खरी नहीं उतरी। इसी वजह से महतो वोटर्स नए विकल्प की तलाश में हैं। उसे यह विकल्प जयराम महतो के रूप में मिल गया है। यही वजह है कि इस बार पचास फीसद से अधिक कुडमी वोटर जयराम महतो की पार्टी में शिफ्ट हो गया है। इससे आजसू की दुर्गति हो गई है।
भाजपा की इंटरनल कमेटी ने दी थी वार्निंग
लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने चुनाव की समीक्षा करने के लिए एक इंटरनल कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने भी बीजेपी की सुपर लीडरशिप को बताया था कि जयराम महतो को हल्के में नहीं लिया जाए। जयराम महतो को हल्के में लिया गया तो आगामी विधानसभा चुनाव में दिक्कत हो जाएगी। मगर, बीजेपी के रणनीतिकार लकीर के फकीर साबित हुए। वह उसी लकीर को पीटते रहे कि साल 2019 के चुनाव में भाजपा के साथ आजसू के नहीं होने का एनडीए को खमियाजा भुगतना पडा है। उस चुनाव में भाजपा के साथ अगर आजसू होती तो सरकार एनडीए की ही बनती। ऐसा कहा जा रहा था। इसी के चलते बीजेपी पर इस बार गलती सुधारने का दबाव था। अमित शाह इस काम पर लग गए थे। वह एन केन प्रकारेण आजसू को साधने में लगे थे। आजसू भी दबाव में थी। वह भी समझ रही थी कि बीजेपी के साथ गठबंधन नही हुआ तो चुनाव लडना बेकार है। इसलिए, दोनों के बीच वाजिब शर्तों पर एलायंस हुआ। बीजेपी आजसू के प्रेम में इस कदर दीवानी थी कि वह जयराम महतो को भूल गई। यहीं बीजेपी से चूक हो गई।
लोकल मुद्दे उठा जयराम ने एकत्र की फौज
विधानसभा चुनाव के बाद अब जयराम महतो राजनीतिक समीक्षाकारों का मुख्य विषय बन गए हैं। जयराम महतो की समीक्षा हो रही है। कहा जा रहा है कि जयराम महतो ने जनता की नब्ज पकड़ ली है। वह ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जो आम जनता के हैं। ऐसे मुद्दे जिनसे आम जनता हमेशा रूबरू हो रही है। यह मुद्दे हैं कि पुलिस किसी को सता रही है। यह मुद्दा पेंशन नहीं मिलने का है। किसी गरीब की कोई जमीन कब्जा कर रहा है। प्रखंड या अंचल में बिना रिश्वत काम नहीं हो रहा है। कंपनी किसी गरीब को ऐक्सीडेंट के बाद मुआवजा नहीं दे रही है। इन मुद्दों पर इन दिनों गरीब अकेला पड़ जा रहा है। वह जिस नेता के पास जाता है वह काम कराने के एवज पैसा मांगता है। बेचारे ने जिस विधायक को जिताया है उसके घर जाने पर घंटों इंतजार करना पड़ता है। बाद में विधायक जी निकलते हैं तो उसकी तरफ देखे बिना गाड़ी पर बैठ कर फुर्र हो जाते हैं। सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए जाता है तो डाक्टर डांट कर बात करता है। बेचारा आदमी अपनी तकलीफ किससे कहे। ऐसे में जब जयराम महतो यह कहते हैं कि अब भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। तो जनता को उनमें उम्मीद की किरण नजर आती है। ऐसे ही लोकल मुद्दों पर बात कर जयराम ने अपने पीछे हर बिरादरी के युवाओं की फौज एकत्र कर ली है। यही फौज इस विधानसभा चुनाव में जयराम महतो की ताकत बने हैं।
आजसू का तो कर दिया सूपड़ा साफ
जयराम महतो की पार्टी ने इस चुनाव में आजसू का सूपड़ा साफ कर दिया है। इस विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम का जो प्रभाव नजर आया है यह अगले साल गठबंधन के काम आएगा। जयराम महतो से कोई पार्टी गठबंधन करेगी तो जिस सीट पर जयराम महतो ने जीत दर्ज की वह तो उनके खाते में आएगी ही। इसके अलावा, बेरमो, चंदन कियारी और गोमिया जैसी वह सीटें भी उनकी झोली में गिरेंगी जहां पार्टी दूसरे नंबर पर रही है।
इन सीटों पर जयराम का कमाल
डुमरी से जयराम महतो खुद चुनाव लड़ रहे थे। यहां से उन्होंने जेएमएम के दिग्गज नेता जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को हरा दिया। बेरमो में भी खुद जयराम महतो चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर कई बार बीजेपी चुनाव जीती है। इस बार भी बीजेपी के पक्ष में हवा थी। मगर, यहां से जेकेएलएम सुप्रीमो जयराम महतो ने चुनाव लड़ कर बीजेपी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया। यहां जयराम महतो ने 60 हजार 871 वोट बटोरे। भाजपा के रवींद्र कुमार पांडेय 58 हजार 352 वोट पाकर तीसरे नंबर पर चले गए। यहां जयराम महतो की वजह से बीजेपी को सीट गंवानी पडी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बेरमो में जयराम महतो को जो वोट मिले वह कुमार जयमंगल के नाराज वोट थे। अगर जयराम नहीं होते तो यह वोट बीजेपी को मिलते और नतीजा अलग होता।
दूसरी सीट जहां जयराम की पार्टी ने भाजपा को पलीता लगाया है वह है बोकारो। बोकारो में कांग्रेस की श्वेता सिंह से भाजपा के बिरंची नारायण सिंह 7 हजार 207 वोटों से हार गए। यहां जयराम महतो की पार्टी की उम्मीदवार सरोज कुमारी ने तीसरे नंबर पर रहते हुए 39 हजार 621 वोट हासिल किए। यहां जयराम महतो की पार्टी ने जो वोट काटे वह भाजपा के ही थे। यह सीट पर जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम की वजह से ही भाजपा हारी।
चंदनक्यारी में भी बीजेपी का बेरमो जैसा हाल हुआ। यहां जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम के अर्जुन रजवार ने 56 हजार 294 मत प्राप्त कर भाजपा के अमर कुमार बाउरी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया। कहा जा रहा है कि यहां भी भाजपा जेएलकेएम की वजह से ही हारी।
गिरीडीह सीट पर जेएलकेएम की वजह से भाजपा के निर्भय कुमार शाहाबादी 3 हजार 838 वोटों से चुनाव हार गए। यहां चुनाव जीतने वाले जेएमएम के सुदिव्य कुमार को 94 हजार 42 वोट मिले। निर्भय कुमार शाहाबादी को 90 हजार 204 वोट मिले। जयराम महतो की पार्टी के नवीन आनंद ने 10 हजार 787 वोट बटोर कर निर्भय कुमार शाहाबादी की छाती पर मूंग दल दी। अगर जयराम महतो की पार्टी के वोट भाजपा को मिल जाते तो यहां से भाजपा ही निकलती। यहां भी जयराम महतो की पार्टी की वजह से ही भाजपा हार गई।
गोमिया सीट पर 59 हजार 77 वोट पाकर जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम दूसरे नंबर पर रही। यहां जेएलकेएम ने आजसू को तीसरे नंबर पर धकेल दिया। यहां से जेएमएम के योगेंद्र प्रसाद 95 हजार 170 वोट पाकर विधायक बन गए। जबकि, आजसू के लंबोदर महतो 54 हजार 508 वोटों पर सिमट कर तीसरे नंबर पर आ गए।
ईचागढ में भी जयराम महतो ने आजसू को पलीता लगा दिया। यहां जेएलकेएम की वजह से आजसू के हरेलाल महतो 26 हजार 523 वोटों से हार गए। जबकि, जेएलकेएम के तरुण महतो को 41 हजार 138 वोट मिला है। कहा जाता है कि यहां जेएमएम से नाराज महतो का वोट जेएलकेएम ने ले लिया। जेएलकेएम नहीं होती तो यहां से आजसू जीत सकती थी। ऐसा राजनीति के जानकारों का कहना है।
कांके की सीट पर जयराम महतो की पार्टी के फूलेश्वर बैठा ने 25 हजार 965 वोट बटोर पर भाजपा के जीतू चरण राम को हरा दिया। इस सीट पर भाजपा 968 वोट से हारी है। इस सीट से 1 लाख 33 हजार 499 वोट पाकर कांग्रेस के सुरेश कुमार बैठा चुनाव जीते। भाजपा के जीतू चरण को 1 लाख 32 हजार 580 वोट मिले थे।
खरसावां में भी भाजपा जयराम महतो की वजह से 32 हजार 615 वोटों से हारी। वरना, इस बार उसका चांस बन रहा था। यहां जेएलकेएम के पांडूराम हाईबुरू ने 33 हजार 841 वोट बटोरे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह वोट भाजपा के खाते में जाने वाले थे। यहां भाजपा के सोनाराम बोदरा 53 हजार 157 वोट पाकर हार गए। जबकि, जेएमएम के दशरथ गागराई 85 हजार 772 वोट पाकर विधायक बन गए।
लातेहार में जेएलकेएम के संतोष कुमार पासवान ने 4295 वोट झटक कर जेएमएम के बैद्यनाथ राम का खेल बिगाड दिया। यहां जेएमएम के बैद्यनाथ राम भाजपा के प्रकाश राम से 434 वोटों से हारे।
निरसा में भाकपा माले के अरूप चटर्जी ने 1 लाख 4 हजार 855 वोट पाकर भाजपा की अपर्णा सेन गुप्ता को 1 हजार 808 मतों से हरा दिया। जबकि, जेएलकेएम के उम्मीदवार अशोक कुमार मंडल ने यहां 16 हजार 316 वोट पा कर भाजपा को जीत से रोक दिया। यहां भाजपा की उम्मीदवार 1 लाख 3047 वोट तक पहुंच गई थीं।
रामगढ की सीट पर भी जेएलकेएम का प्रभाव दिखा। यहां जेएलकेएम के पानेश्वर कुमार की वजह से आजसू की सुनीता चौधरी 6 हजार 790 वोटों से हार गईं। पानेश्वर को यहां से 70 हजार 979 वोट मिले हैं। कांग्रेस की ममता देवी ने यहां से 89 हजार 818 वोट पाकर जीत हासिल की है। आजसू की सुनीता 83 हजार 28 वोटों पर ही सिमट गईं।
सिल्ली सीट पर जेएलकेएम के देवेंद्र नाथ महतो ने आजसू के सुदेश महतो का खेल बिगाड़ दिया। यहां देवेंद्र नाथ महतो को 41 हजार 725 वोट मिला। यहां से जेएमएम के अमित कुमार महतो 23 हजार 867 वोट से जीते हैं।
सिंदरी में भी जेकेएलएम ने भाजपा का गेम बजाया। यहां भाकपा माले के चंद्रदेव महतो 1 लाख 5 हजार 136 वोट पाकर 3448 वोट से जीते हैं। भाजपा की तारा देवी को 1लाख 1 हजार 688 वोट मिले हैं। यहां से जेएलकेएम की ऊषा देवी 42 हजार 664 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि अगर जेएलकेएम का भाजपा से तालमेल होता तो यह सीट भाजपा जीत लेती।
तमाड़ में भी यही हुआ। यहां एनडीए जदयू के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर 24 हजार 246 वोट से हारे हैं। यहां जेएलकेएम की उम्मीदवार दमयंती मुंडा को 26 हजार 562 वोट मिले हैं। यहां भी जेएलकेएम का प्रभाव दिखा है। यह सीट जेएमएम के विकास कुमार मुंडा ने जीती है।
टुंडी में भी भाजपा जेएलकेएम के मोती लाल महतो की वजह से 25 हजार 603 वोटों से हार गई। जेएलकेएम के मोती लाल महतो को 44 हजार 464 वोट मिले हैं। भाजपा के विकास कुमार महतो को 69 हजार 924 वोट मिले हैं। यहां से 95 हजार 527 वोट पाकर जेएमएम के मथुरा प्रसाद महतो विजयी हुए हैं।
मांडू सीट पर जेएलकेएम ने दमदार प्रदर्शन किया। यहां जेएलकेएम के उम्मीदवार बिहारी कुमार ने 71 हजार 276 वोट बटोरे और तीसरे स्थान पर रहे। यहां आजसू 231 वोटों से जीत सकी। यहां भी जेएलकेएम ने कांग्रेस का खेल बिगाड दिया। सरायकेला में भाजपा के चंपई सोरेन ने जेएमएम के गणेश महाली को 20 हजार 447 वोटों से हराया है। यहां जेएलकेएम के प्रेम मार्डी को 40 हजार 56 वोट मिले हैं। यहां भी जेएलकेएम ने दमदार प्रदर्शन किया है। सिमरिया में भी जेएलकेएम ने चुनाव प्रभावित करने की क्षमता दिखाई। यहां भाजपा के कुमार उज्जवल 4 हजार 1 वोट से जीते हैं। जेएलकेएम के जितेंद्र कुमार ने यहां 11 हजार 164 वोट हासिल किए हैं।
जुगसलाई सीट पर भी जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने आजसू का खेल बिगाड़ा। यहां जेएलकेएम उम्मीदवार विनोद स्वांसी लगातार आजसू के रामचंद्र सहिस को टेंशन देते रहे। इस सीट से जेएमएम के मंगल कालिंदी 43 हजार 445 वोट से जीते हैं। मगर, जेएलकेएम को यहां से 36 हजार 998 वोट मिले हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर यहां जयराम महतो की पार्टी नहीं होती तो माहौल आजसू के पक्ष में बन जाता। मगर जयराम महतो की पार्टी की वजह से पहले से ही चर्चा हो गई थी कि रामचंद्र सहिस की स्थिति खराब हो गई है। इसका भी असर पडा। खिजरी में भी यही हालत रही। यहां से भाजपा के रामकुमार पाहन 29 हजार 65 वोट से हारे जबकि, जेएलकेएम ने 27 हजार 30 वोट बटोरे। यहां भी आजसू नहीं होती तो भाजपा का माहौल बन सकता था। कोलेबीरा में भी जेएलकेएम का असर दिखा। यहां जेएलकेएम के विभव संदेश एक्का ने 18 हजार 878 वोट पाए। यहां से कांग्रेस के नमन बिक्सल कोंगाडी ने भाजपा के सुजान जोजो को 37 हजार 31वोट से हराया।