सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही झारखंड सरकार
झारखंड मइयां सम्मान योजना पर संकट गहरा गया है। केंद्र सरकार ने झारखंड के कोयला रायल्टी की 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये की रकम देने से मना कर दिया है। केंद्र सरकार के वित्त राज्य मंत्री ने संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि केंद्र के पास झारखंड का कोयला रायल्टी का कोई बकाया नहीं है। हम अपने इस खबर में बताएंगे कि इससे झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना पर क्या असर पड सकता है। क्या योजना संकट में है। trick in Jharkhand
आपने कहावत सुनी है ना। बिन पैसे सब सून। हेमंत सोरेन ने चुनाव में तो बडे़ बडे़ वादे कर दिए। अब इन दावों को पूरा कैसे करेंगे। केंद्र की भाजपा सरकार झारखंड हारने के बाद तपी तपाई बैठी है। कह दिया नहीं देंगे एक लाख छत्तीस हजार करोड़। जाओ। जो करना है कर लो। अब आप ही बताइए। पैसा नहीं रहेगा तो योजनाएं कैसे चलेंगी। विकास कार्य कैसे होंगे। सब कुछ धराशायी हो जाएगा ना। हां, यह है केंद्र की भाजपा सरकार का गणित। सरकार बनते ही फिर शुरू हो गया पुराना खेल। अब हम इस खेल की एक एक कड़ी आपको समझाएंगे। trick in Jharkhand
संसद में ही बोल दिया झूठ
झारखंड का केंद्र सरकार पर कोयला रायल्टी के तौर पर 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। कई बार उन्होंने दिल्ली जा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। केंद्र के अधिकारियों से भी मुलाकात की थी। चुनाव के दौरान भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये वाली बात उठाते रहे हैं। अब संसद में पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में यह सवाल उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि केंद्र सरकार पर झारखंड का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। केंद्र सरकार इस रकम को झारखंड को क्यों अदा नहीं कर रही है। इस पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जवाब दिया कि केंद्र सरकार पर झारखंड का कोई बकाया नहीं है। उन्होंने कहा कि झारखंड के साथ केंद्र सरकार कोई भेदभाव नहीं कर रही है। जबकि, झामुमो इसे सरासर झूठ मान रही है। झामुमो का कहना है कि भाजपाई झूठ बोल रहे हैं।
केंद्र के जवाब से झारखंड को झटका
केंद्र सरकार के इस जवाब से झारखंड को झटका लगा है। हेमंत सोरेन समझ रहे थे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। चुनाव के बाद जब भाजपा को अक्ल आ जाएगी तो केंद्र सरकार झारखंड की बकाया रकम वापस कर देगी। मगर ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। झारखंड की जनता का कहना है कि केंद्र सरकार झारखंड सरकार से भेदभाव कर रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अब इस मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि झारखंड के सांसदों को चाहिए कि वह केंद्र सरकार के सामने अपनी आवाज बुलंद करें और प्रदेश का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया दिलवाएं। उनका इशारा भाजपा के टिकट पर जीत कर लोकसभा पहुंचे सांसदों से है। हेमंत ने लिखा है कि यह रकम झारखंड के विकास के लिए बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार को यह बकाया वापस करना चाहिए। झामुमो के आधिकारिक अकाउंट से भी लिखा गया है कि केंद्र सरकार को झारखंड सरकार ने पूरा हिसाब किताब समझा दिया है। झारखंड का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपया केंद्र सरकार के ऊपर निकलता है। यह कोयला रायल्टी का पैसा है जो झारखंड की जनता के ऊपर खर्च किया जाना है। भाजपाई कब तक झूठ बोलते रहेंगे। trick in Jharkhand
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झारखंड के साथ यह क्या करने जा रहा केंद्र
इस रकम को लेकर झारखंड और केंद्र सरकार के बीच चार साल से बवाल चल रहा है। सीएम हेमंत सोरेन ने इसे लेकर 24 सितंबर साल 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर इस रकम को अदा करने की मांग उठाई थी। इसमें सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा था कि झारखंड का कोयला कंपनियों पर 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। कानून में प्रावधान के बाद भी कंपनियां भुगतान नहीं कर रही हैं। नीति आयोग समेत कई मंच पर यह मामला उठाए जाने के बाद भी केंद्र सरकार यह रकम नहीं दिला रही है। बकाया राशि का भुगतान नहीं होने की वजह से कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। चीफ सेक्रेटरी ने भी यह रकम वापस करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था।
तो इसलिए रकम नहीं दे रहा केंद्र
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार झारखंड की मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना को डैमेज करना चाहती है। केंद्र सरकार चाहती है कि झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना बंद हो जाए ताकि हेमंत सोरेन को अगले चुनाव में घेरा जा सके। इसीलिए केंद्र सरकार झारखंड की कोयला रायल्टी की रकम हजम करने के बहाने खोज रही है। कहा जा रहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने कई बडे़ बडे़ चुनावी वादे किए हैं। अब इन वादों का को पूरा करने का समय आ गया है। हेमंत सोरेन ने यह वादे इसी बलबूते पर किए थे कि केंद्र सरकार उनका 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया अदा कर देगी और झारखंड इस रकम से अपनी जनता के लिए कई लाभकारी योजनाएं चलाएगा। मगर, अब साफ हो गया है कि यह रकम वापस पाने के लिए झारखंड को लंबी लड़ाई लड़नी पडेगी। झारखंड इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। क्योंकि, उसे पता चल गया है कि केंद्र की भाजपा सरकार कानून की भाषा ही समझती है।