जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय। राजनीति के चाणक्य। इन दिनों अपने मतदाताओं को ही घुमा रहे हैं। वह किस पार्टी में हैं। जनता को कुछ समझ में नहीं आ रहा। जनता में कंफ्यूजन है। कोई कह रहा है कि विधायक सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं। तो कोई उन्हें भारतीय जनतंत्र मोर्चा (भाजमो) में ही मान रहा है। उन्हें कुछ दिनों पहले भाजमो के सम्मेलन में सम्मेलन में देखा गया है। इस तरह जनता कंफ्यूज हो गई है कि विधायक सरयू राय किस पार्टी में हैं। इस कंफ्यूजन का विधायक के सियासी करियर पर भी असर पड़ रहा है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगर राजनीतिक परिदृश्य साफ नहीं हुआ तो चुनाव पर भी असर पड़ सकता है।
विधायक सरयू राय ने कुछ दिनों पहले जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने का फैसला लिया था। वह दिल्ली में 5 अगस्त को जदयू में शामिल हो गए थे। इसकी तस्वीर वायरल की गई थी। बाद में 21 अगस्त को विधायक सरयू राय ने बिष्टुपुर के माइकल जान ऑडिटोरियम में जदयू मिलन समारोह भी किया था। इसमें जदयू के बड़े नेता शामिल हुए थे। बिहार से झारखंड में जदयू प्रभारी मंत्री अशोक चौधरी भी आए थे। इसी के 5 दिन बाद 26 अगस्त को सिदगोड़ा टाउन हॉल में उनकी अपनी पार्टी भाजमो का सम्मेलन हुआ। इसमें विधायक सरयू राय शामिल हुए और उन्होंने बाकायदा अपने कार्यकर्ताओं को टिप्स भी दिए। इससे जनता में कंफ्यूजन फैल गया कि विधायक कहां हैं। वह किस पार्टी में हैं।
सरयू ने नहीं दिया भाजमो से इस्तीफा, जद यू में विलय भी नहीं
आमतौर पर यह होता है कि कोई भी नेता किसी दूसरी पार्टी में शामिल होता है तो वह अपनी पुरानी पार्टी से इस्तीफा दे देता है। जैसा कि अभी कुछ दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने किया। उन्होंने झामुमो से इस्तीफा दिया और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की भी कभी अपनी अलग पार्टी झारखंड विकास मोर्चा हुआ करती थी। लेकिन जब बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हुए तो अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का भी भाजपा में विलय कर दिया। लेकिन विधायक सरयू राय ने अभी ऐसा नहीं किया है। उनकी पार्टी भाजमो बरकरार है। भाजमो का कार्यकर्ता सम्मेलन हो रहा है। यही नहीं पूरे प्रदेश में भाजमो के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद हैं। ऐसे में लोग दुविधा का शिकार हो गए हैं कि क्या सही है। विधायक सरयू राय जदयू में हैं या फिर भाजमो में ही हैं।
मालिकाना हक का वादा कर जीते थे चुनाव
विधायक सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था। उन्होंने चुनाव में मालिकाना हक देने का वादा किया था। लेकिन, वह मालिकाना हक नहीं दे पाए। वादा पूरा नहीं होने पर जनता उनसे नाराज है। विधायक सरयू राय भी भलीभांति इस बात से अवगत हैं। इसीलिए वह घबराए हुए हैं। उन्होंने पहले भाजपा में शामिल होने की कोशिश की। लेकिन भाजपाइयों ने उनको भाव नहीं दिया। इसके बाद केंद्र सरकार में जब जदयू शामिल हुआ तो विधायक सरयू राय को आशा की किरण दिखाई दी। वह यह सोचकर जदयू में शामिल हो गए कि नीतीश कुमार दबाव बनाकर उनके लिए जमशेदपुर पूर्वी की सीट ले लेंगे और फिर भाजपा के कैडर के सहारे वह इस बार भी जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट को जीत लेंगे।
जमशेदपुर पूर्वी को लेकर जदयू व भाजपा में रस्साकशी
लेकिन सूत्र बताते हैं कि भाजपा जमशेदपुर पूर्वी सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। पार्टी ने नीतीश कुमार को भी इसके लिए मना लिया है। सूत्र बताते हैं कि जमशेदपुर पूर्वी से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि जनता दल के नेता भी अभी इस कोशिश में लगे हैं कि जमशेदपुर पूर्वी की सीट जदयू को ही मिल जाए। ताकि वह सरयू राय को चुनाव लड़ा सकें। यह भी चर्चा है कि भाजपा जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट जदयू को दे रही है। अगर ऐसा हुआ तो विधायक सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, विधायक सरयू राय प्लान बी पर भी काम कर रहे हैं। प्लान बी यह है कि अगर भाजपा ने जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी दोनों सीट जदयू को नहीं दी। तो फिर विधायक सरयू राय क्या करेंगे। ऐसे में वह जमशेदपुर पश्चिम या जमशेदपुर पूर्वी किसी भी सीट पर मंथन करने के बाद अपनी पार्टी बीजेपी से चुनाव लड़ जाएंगे। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इसीलिए विधायक सरयू राय ने ना तो भाजमो से इस्तीफा दिया है और ना ही अपनी पार्टी का जदयू में विलय किया है।