JMM के खिलाफ भाजपा व कांग्रेस के सुर हुए एक, जानें क्यों आई यह नौबत
रांची : झामुमो के खिलाफ अभी तक भाजपा ही एक सुर से विरोध करती थी। मगर, अब कांग्रेस भी भाजपा के सुर में सुर मिला रही है। ऐसा हुआ है बोरियो के झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम और मांडू के विधायक जेपी पटेल की विधायकी छिनने को लेकर। लोबिन हेंब्रम पर होने वाली कार्रवाई भाजपा को खराब लगी है जबकि, जेपी पटेल के मामले में कांग्रेस का कहना है कि इस फैसले को भी बाबूलाल मरांडी के दल-बदल केस की तरह कुछ दिन के लिए टाला जा सकता है। अगर फैसला कुछ दिन टल जाता तो जेपी पटेल तब तक विधायक बने रहते। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। चमरा को बचाने पर भाजपा भी सवाल उठा रही है।
आखिर चमरा लिंडा को क्यों बख्शा गया
राजमहल से झामुमो के उम्मीदवार विजय कुमार हांसदा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले बोरियो के झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम की विधानसभा की सदस्यता रद कर दी गई है। मगर, लोहरदगा लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार सुखदेव भगत के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बिशुनपुर से झामुमो विधायक चमरा लिंडा को बख्श दिया गया। और तो और कांग्रेस में शामिल होने वाले मांडू से भाजपा विधायक जेपी पटेल की भी विधायकी छीन ली गई। इस पर कांग्रेस भड़क गई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने इस पर नाराजगी जताते हुए इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार सुखदेव भगत के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले चमरा लिंडा पर क्यों कार्रवाई नहीं हुई। यही नहीं, जेपी पटेल की विधायकी खत्म कर दी गई। मगर, बाबूलाल मरांडी का अब तक कुछ नहीं हुआ। फैसला सुरक्षित है। झारखंड में विधानसभा चुनाव सर पर हैं। ऐसे में कांग्रेस की नाराजगी झारखंड के सियासत पर क्या असर डालेगी इसे लेकर सवाल शुरू हो गए हैं।
कांग्रेस के अगले रुख पर लोगों की निगाह
राजनीति के जानकारों का कहना है कि अब देखना होगा कि इस मामले में कांग्रेस का आगे का रुख क्या होगा। इस मामले में कांग्रेस आगे क्या कदम उठाती है। क्योंकि, झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बताया जा रहा है कि झामुमो की तरफ से इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से बात की है।
एक ही है चमरा और लोबिन का मामला
इस लोकसभा चुनाव में झामुमो के दो विधायकों ने बाकी सुर अख्तियार कर लिया था। झामुमो के विरष्ठ नेता इन्हें संभालने में जुटे मगर, इन दोनों ने किसी की न सुनी। इनमें से एक थे बोरियो के विधायक लोबिन हेंब्रम और दूसरे विधायक थे बिशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा। लोबिन हेंब्रम ने राजमहल सीट से अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार विजय कुमार हांसदा के खिलाफ ताल ठोंक दी तो चमरा ने लोहरदगा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार सुखदेव भगत। हालांकि, यह दोनों इंडिया गठबंधन का नुकसान नहीं कर सके। राजमहल सीट से झामुमो और लोहरदगा से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। फिर भी झामुमो ने विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र महतो से लोबिन हेंब्रम के खिलाफ तो शिकायत की मगर, चमरा लिंडा को छोड़ दिया।
किसी को हजम नहीं हो रही झामुमो की सफाई
झामुमो के केंद्रीय महसचिव विनोद पांडेय ने कहा कि चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम दोनों का मामला अलग है। चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम दोनों को झामुमो की तरफ से शो-कॉज किया गया था। चमरा लिंडा ने शो-कॉज का जवाब दिया। इसलिए, चमरा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। दूसरी तरफ, लोबिन हेंब्रम ने शो-कॉज का जवाब ही नहीं दिया। इस वजह से उन्हें निष्कासित किया गया है।