रांची : भाजपा ने चंपई सोरेन को गच्चा दे दिया। दिल्ली में बैठे चंपई से मिलने कोई भाजपा नेता नहीं पहुंचा। हालांकि, बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी के जरिए बार-बार बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से कहा जा रहा था कि वह चंपई से एक बार मुलाकात कर लें। मगर, चंपई के खाली हाथ दिल्ली पहुंचने से नाराज भाजपा नेताओं ने चंपई की तरफ रुख नहीं किया। थके-हारे चंपई और उनके सलाहकार वापस झारखंड लौट आए हैं। कहा जा रहा है कि चंपई को अब सियासत न उगलते बन रही है और ना ही निगलते। अब झारखंड की सियासत में चंपई का कद ऐसा घटा है कि वह राजनीति के रसातल पर पहुंच गए हैं।
कैसे अंजाम दिया जा रहा था आपरेशन लोटस
आपरेशन लोटस शुरू होते ही इंडिया गठबंधन के नेताओं को इसकी भनक लग गई थी। झामुमो के सूत्र बताते हैं कि ऐसा तब हुआ जब चंपई अपने साथ कम से कम आठ-10 विधायकों को लाने के लिए फोन पर फोन कर रहे थे। कई विधायकों ने फोन कर सीएम हेमंत सोरेन को बताया कि उन्हें भाजपा में जाने का लालच दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इंडिया गठबंधन के नेताओं और सीएम हेमंत सोरेन को इसकी जानकारी मिलते ही पूरा इंडिया गठबंधन अलर्ट हो गया। इसके बाद उन विधायकों से संपर्क साधा गया जो चंपई से संपर्क में थे। उनकी वफादारी तय की गई। इसी के बाद सभी ने चंपई को ना कह दिया। यह उन दिनों की बात है जब चंपई अपने विधानसभा क्षेत्र में मौजूद थे। विधायकों की तरफ से ना कह दिए जाने के बाद ही आपरेशन लोटस फेल हो गया था। इसके बाद गुरुवार 15 अगस्त को चंपई ने झामुमो में कुछ अपनों के जरिए प्रदेश नेतृत्व का मन टटोलने की कोशिश की तो पता चला कि सीएम हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन तक बात पहुंच गई है। अब बात बिगड़ चुकी है।
चंपई की साख बचाने को हुआ दिल्ली का ड्रामा भी फेल
सूत्रों का कहना है कि जब चंपई सोरेन और उनके सलाहकारों को यह पता चला कि आपरेशन लोटस की सारी जानकारी इंडिया गठबंधन के नेताओं और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन व सीएम हेमंत सोरेन को लग गई है तो चंपई सोरेन अब अपनी साख बचाना चाहते थे। उनके सलाहकार इस ताक में थे कि कोई ऐसी सूरत निकल आए कि इंडियन गठबंधन के नेता चंपई को फोन कर झामुमो में रहने के लिए मान-मनव्वल करें। इसीलिए दिल्ली का ड्रामा रचा गया। चंपई के सलाहकारों ने ही शुक्रवार 16 अगस्त को यह चर्चा उड़ा दी कि चंपई सोरेन दिल्ली पहुंच गए हैं। दावा किया गया कि उनके साथ 10 से अधिक विधायक हैं। सूत्रों की मानें तो ऐसा सिर्फ इसलिए कहा गया ताकि इंडिया गठबंधन फौरन दबाव में आ जाए और चंपई को फोन कर ऐसा नहीं करने को कहे। तभी चंपई झामुमो में अपनी पुरानी साख बचा लें और अपनी शर्त तय कर लें।
आपरेशन चंपई भी हुआ फेल
मगर, जब ऐसा कुछ नहीं हुआ। इंडिया गठबंधन से कोई फोन नहीं आया तो रविवार 18 अगस्त को इंडिया गठबंधन पर दबाव बनाने के लिए चंपई को दिल्ली ले जाने का सियासी ड्रामा रचा गया। सलाहकार इस जुगत में थे कि वहां किसी वरिष्ठ भाजपा नेता से मुलाकात हो जाए। इस सियासी ड्रामे के पीछे चंपई के एक और सलाहकार हैं जो उन्हें कोलकाता में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से मिलाने ले गए और वहां से चंपई दिल्ली गए। दिल्ली जाने की खबर भी फैला दी गई। भावनात्मक पत्र सोशल मीडिया पर जारी किया गया। मगर, जब बात नहीं बन पाई तो चंपई और उनके सलाहकार हाथ मलते वापस लौट आए।
भाजपा के दो बड़े नेताओं ने भी निभाया रोल
सूत्र बताते हैं कि आपरेशन लोटस को फेल करने में भाजपा के भी दो बड़े नेताओं की भूमिका थी। यह दो बड़े नेता आपरेशन लोटस की पल पल की खबर इंडिया गठबंधन के नेताओं तक पहुंचा रहे थे। बताते हैं कि भाजपा में मौजूद झारखंड के यह दोनों नेता नहीं चाहते थे कि भाजपा में कोई बड़ा कद्दावर आदिवासी नेता आए। इसी वजह से आपरेशन लोटस को फेल करने में इन दोनों नेताओं ने भी अग्रणी भूमिका निभाई और आपरेशन चौपट का सब कुछ चौपट कर दिया।